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उत्तराखंड में मॉनसून यानी खतरे की आहट, चारधाम यात्रियों की बढ़ेंगी मुश्किलें!

हर साल आने वाला मॉनसून उत्तराखंड के लिए खतरे की आहट लेकर आता है. बरसात के दिनों में पहाड़ों का दरकना, भूस्खलन, नदी नालों में उफान और पहाड़ी क्षेत्रों में मार्ग बाधित होने से जान माल की हानि होती है. इस बार मौसम विभाग ने मॉनसून के सामान्य रहने की संभावना जताई है.

Monsoon in Uttarakhand
उत्तराखंड में मॉनसून
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Published : Jun 23, 2022, 4:39 PM IST

Updated : Jun 23, 2022, 10:19 PM IST

देहरादून: पर्यावरणीय रूप से मॉनसून का अपना एक महत्व है, लेकिन उत्तराखंड के लिए यह सीजन किसी खतरे की आहट से कम नहीं. प्रदेश में हजारों जिंदगियां अब तक मॉनसून में तबाह हो चुकी है. दरकते पहाड़ और उफनती नदियों की तस्वीरें मॉनसून का नाम आते ही लोगों के जेहन में आने लगती हैं. उसी खतरे का संकेत लेकर एक बार फिर मॉनसून उत्तराखंड में दस्तक देने जा रहा है. इस दफा सबसे बड़ी चुनौती चारधाम यात्रा में ऐतिहासिक रूप से श्रद्धालुओं की संख्या होगी. पेश है मॉनसून सीजन को लेकर ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

देर से पहुंचेगा मॉनसून: उत्तराखंड में मॉनसून इस बार देरी से पहुंचेगा. हालांकि, संभव है कि मॉनसून की वापसी भी देरी से ही हो, लेकिन मौजूदा भविष्यवाणी के अनुसार इस बार मॉनसून सीजन में बरसात सामान्य ही रहेगी. वैसे तो मॉनसून सीजन को लेकर प्रदेश सरकार और आपदा प्रबंधन समेत सरकार का पूरा तंत्र सक्रिय ही रहता है, लेकिन इस साल चारधाम यात्रा में उमड़ते श्रद्धालुओं की भारी संख्या किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं.

मॉनसून यानी खतरे की आहट

आपदा में सैकड़ों की गई जान: ऐसा इसलिए क्योंकि प्रदेश में मॉनसून सीजन के दौरान आपदा की घटनाएं भारी जान माल का नुकसान करती हैं. आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं कि इस सीजन में सैकड़ों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है. इसके पीछे बरसात के कारण पहाड़ों का दरकना भी है. वहीं, इस सीजन में बादल फटने की घटनाओं का बढ़ना भी. सबसे पहले जानिए कि मॉनसून सीजन के दौरान जनहानि के आंकड़े क्या कहते हैं.

Monsoon in Uttarakhand
मॉनसून सीजन में जनहानि

ये भी पढ़ें: केदारनाथ यात्रा में 175 घोड़ा-खच्चरों ने गंवाई जान, मालिकों ने कमाए 56 करोड़

27 जून के बाद मॉनसून की दस्तक: उत्तराखंड में सामान्य रूप से मॉनसून 20 जून तक पहुंच जाता है और 30 सितंबर तक मॉनसून वापसी करने लगता है. लेकिन इस बार राज्य में मॉनसून देरी से पहुंचने जा रहा है. मॉनसून को लेकर मौसम विभाग के निदेशक विक्रम सिंह कहते हैं कि इस बार 26 जून तक मौसम साफ रहने की उम्मीद है. लिहाजा, 27 जून और इसके कुछ दिनों बाद तक मॉनसून उत्तराखंड में पहुंच जाएगा.

हर साल बदलता मॉनसून का ट्रेंड: मौसम विभाग की भविष्यवाणी मानें तो इस बार करीब एक से दो हफ्ता देरी से मॉनसून के पहुंचने की उम्मीद है. हालांकि, पिछले कुछ सालों में मॉनसून के देरी से पहुंचने को रिकॉर्ड किया जाता रहा है, लेकिन देखा गया है कि मॉनसून कई बार देरी से आने के साथ उसकी वापसी भी देरी से ही होती है. उत्तराखंड में पिछले कुछ सालों के दौरान मॉनसून की दस्तक और उसके वापस जाने को लेकर क्या रही स्थिति जानिए.

Monsoon in Uttarakhand
प्रदेश में मॉनसून की स्थिति

ये भी पढ़ें: चारधाम यात्राः पर्यटन विभाग ने मॉनसून को लेकर तीर्थ यात्रियों के लिए जारी की एडवाइजरी

बादल फटने की घटनाओं में बढ़ोत्तरी: उत्तराखंड में पिछले कुछ सालों में मॉनसून के दौरान बादल फटने की घटनाओं में बढ़ोत्तरी देखने को मिली है. इस वजह से आपदा की घटनाओं को लेकर लोगों में डर भी बढ़ा है. हालांकि, माना जाता है कि बादल फटने की अधिकतर घटनाएं पहाड़ी क्षेत्र के तलहटी इलाकों में ही ज्यादा देखने को मिल रही हैं. मौसम विभाग ने ऐसी घटनाओं को देहरादून के पहाड़ी क्षेत्रों से सटे इलाके और नैनीताल क्षेत्र में सबसे ज्यादा रिकॉर्ड किया है.

इस बार मॉनसून रहेगा सामान्य: वैसे इस बार मौसम विभाग ने बरसात के सामान्य होने की बात कही है. मतलब कि इस मॉनसून में बदरा खूब बरसने वाले हैं. बड़ी बात यह है कि इस बार गर्मी ने भी अपने सारे रिकॉर्ड तोड़े हैं और वैज्ञानिक इस बात को भी मानते रहे हैं कि अधिक गर्मी के साथ सीजन में बारिश के अधिक होने की संभावना भी बनी रहती है. बहरहाल मौसम विभाग ने अब तक की परिस्थितियों के हिसाब से बारिश के सामान्य होने की बात कही है.

ये भी पढ़ें: 100 साल के हुए World War समेत 3 युद्ध लड़ने वाले मेजर खीम सिंह कार्की, धूमधाम से मना जन्मदिन

चारधाम यात्रियों की बढ़ सकती है मुश्किलें: उत्तराखंड में चारधाम यात्रा के लिहाज से इस बार मॉनसून सीजन को लेकर ज्यादा सचेत होने की बात कही जा रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस बार चारधाम यात्रा 2 साल बाद सुचारू रूप से चल रही है. इसीलिए श्रद्धालुओं की संख्या भी पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ रही है. चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं की ज्यादा संख्या के कारण मॉनसून सीजन में खतरा भी ज्यादा बढ़ गया है. हल्की बारिश में ही दरकने वाले पहाड़ों पर मॉनसून सीजन के दौरान भारी बारिश श्रद्धालुओं की परेशानियां बढ़ सकती है. जानिए कि पिछले कुछ समय में ही यात्रा ने कैसे पकड़ी रफ्तार.

Monsoon in Uttarakhand
चारधाम यात्रियों की संख्या

मौसम विभाग की भविष्यवाणी: चारधाम यात्रा रूट पर मॉनसून सीजन के दौरान अक्सर सड़कें भूस्खलन के कारण बंद हो जाती हैं. 2013 में 16-17 जून को केदारनाथ में आई आपदा को भी अभी देश और दुनिया नहीं भूली है. लिहाजा जिस बड़ी संख्या में श्रद्धालु चारधाम के लिए पहुंच रहे हैं, उसको देखते हुए मॉनसून सीजन में मौसम विभाग की भविष्यवाणी के लिहाज से सरकार और प्रशासन को ज्यादा अलर्ट मोड पर रहना होगा. ताकि आपदा जैसे हालातों में इसके असर को कम से कम किया जा सके.

देहरादून: पर्यावरणीय रूप से मॉनसून का अपना एक महत्व है, लेकिन उत्तराखंड के लिए यह सीजन किसी खतरे की आहट से कम नहीं. प्रदेश में हजारों जिंदगियां अब तक मॉनसून में तबाह हो चुकी है. दरकते पहाड़ और उफनती नदियों की तस्वीरें मॉनसून का नाम आते ही लोगों के जेहन में आने लगती हैं. उसी खतरे का संकेत लेकर एक बार फिर मॉनसून उत्तराखंड में दस्तक देने जा रहा है. इस दफा सबसे बड़ी चुनौती चारधाम यात्रा में ऐतिहासिक रूप से श्रद्धालुओं की संख्या होगी. पेश है मॉनसून सीजन को लेकर ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

देर से पहुंचेगा मॉनसून: उत्तराखंड में मॉनसून इस बार देरी से पहुंचेगा. हालांकि, संभव है कि मॉनसून की वापसी भी देरी से ही हो, लेकिन मौजूदा भविष्यवाणी के अनुसार इस बार मॉनसून सीजन में बरसात सामान्य ही रहेगी. वैसे तो मॉनसून सीजन को लेकर प्रदेश सरकार और आपदा प्रबंधन समेत सरकार का पूरा तंत्र सक्रिय ही रहता है, लेकिन इस साल चारधाम यात्रा में उमड़ते श्रद्धालुओं की भारी संख्या किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं.

मॉनसून यानी खतरे की आहट

आपदा में सैकड़ों की गई जान: ऐसा इसलिए क्योंकि प्रदेश में मॉनसून सीजन के दौरान आपदा की घटनाएं भारी जान माल का नुकसान करती हैं. आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं कि इस सीजन में सैकड़ों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है. इसके पीछे बरसात के कारण पहाड़ों का दरकना भी है. वहीं, इस सीजन में बादल फटने की घटनाओं का बढ़ना भी. सबसे पहले जानिए कि मॉनसून सीजन के दौरान जनहानि के आंकड़े क्या कहते हैं.

Monsoon in Uttarakhand
मॉनसून सीजन में जनहानि

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27 जून के बाद मॉनसून की दस्तक: उत्तराखंड में सामान्य रूप से मॉनसून 20 जून तक पहुंच जाता है और 30 सितंबर तक मॉनसून वापसी करने लगता है. लेकिन इस बार राज्य में मॉनसून देरी से पहुंचने जा रहा है. मॉनसून को लेकर मौसम विभाग के निदेशक विक्रम सिंह कहते हैं कि इस बार 26 जून तक मौसम साफ रहने की उम्मीद है. लिहाजा, 27 जून और इसके कुछ दिनों बाद तक मॉनसून उत्तराखंड में पहुंच जाएगा.

हर साल बदलता मॉनसून का ट्रेंड: मौसम विभाग की भविष्यवाणी मानें तो इस बार करीब एक से दो हफ्ता देरी से मॉनसून के पहुंचने की उम्मीद है. हालांकि, पिछले कुछ सालों में मॉनसून के देरी से पहुंचने को रिकॉर्ड किया जाता रहा है, लेकिन देखा गया है कि मॉनसून कई बार देरी से आने के साथ उसकी वापसी भी देरी से ही होती है. उत्तराखंड में पिछले कुछ सालों के दौरान मॉनसून की दस्तक और उसके वापस जाने को लेकर क्या रही स्थिति जानिए.

Monsoon in Uttarakhand
प्रदेश में मॉनसून की स्थिति

ये भी पढ़ें: चारधाम यात्राः पर्यटन विभाग ने मॉनसून को लेकर तीर्थ यात्रियों के लिए जारी की एडवाइजरी

बादल फटने की घटनाओं में बढ़ोत्तरी: उत्तराखंड में पिछले कुछ सालों में मॉनसून के दौरान बादल फटने की घटनाओं में बढ़ोत्तरी देखने को मिली है. इस वजह से आपदा की घटनाओं को लेकर लोगों में डर भी बढ़ा है. हालांकि, माना जाता है कि बादल फटने की अधिकतर घटनाएं पहाड़ी क्षेत्र के तलहटी इलाकों में ही ज्यादा देखने को मिल रही हैं. मौसम विभाग ने ऐसी घटनाओं को देहरादून के पहाड़ी क्षेत्रों से सटे इलाके और नैनीताल क्षेत्र में सबसे ज्यादा रिकॉर्ड किया है.

इस बार मॉनसून रहेगा सामान्य: वैसे इस बार मौसम विभाग ने बरसात के सामान्य होने की बात कही है. मतलब कि इस मॉनसून में बदरा खूब बरसने वाले हैं. बड़ी बात यह है कि इस बार गर्मी ने भी अपने सारे रिकॉर्ड तोड़े हैं और वैज्ञानिक इस बात को भी मानते रहे हैं कि अधिक गर्मी के साथ सीजन में बारिश के अधिक होने की संभावना भी बनी रहती है. बहरहाल मौसम विभाग ने अब तक की परिस्थितियों के हिसाब से बारिश के सामान्य होने की बात कही है.

ये भी पढ़ें: 100 साल के हुए World War समेत 3 युद्ध लड़ने वाले मेजर खीम सिंह कार्की, धूमधाम से मना जन्मदिन

चारधाम यात्रियों की बढ़ सकती है मुश्किलें: उत्तराखंड में चारधाम यात्रा के लिहाज से इस बार मॉनसून सीजन को लेकर ज्यादा सचेत होने की बात कही जा रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस बार चारधाम यात्रा 2 साल बाद सुचारू रूप से चल रही है. इसीलिए श्रद्धालुओं की संख्या भी पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ रही है. चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं की ज्यादा संख्या के कारण मॉनसून सीजन में खतरा भी ज्यादा बढ़ गया है. हल्की बारिश में ही दरकने वाले पहाड़ों पर मॉनसून सीजन के दौरान भारी बारिश श्रद्धालुओं की परेशानियां बढ़ सकती है. जानिए कि पिछले कुछ समय में ही यात्रा ने कैसे पकड़ी रफ्तार.

Monsoon in Uttarakhand
चारधाम यात्रियों की संख्या

मौसम विभाग की भविष्यवाणी: चारधाम यात्रा रूट पर मॉनसून सीजन के दौरान अक्सर सड़कें भूस्खलन के कारण बंद हो जाती हैं. 2013 में 16-17 जून को केदारनाथ में आई आपदा को भी अभी देश और दुनिया नहीं भूली है. लिहाजा जिस बड़ी संख्या में श्रद्धालु चारधाम के लिए पहुंच रहे हैं, उसको देखते हुए मॉनसून सीजन में मौसम विभाग की भविष्यवाणी के लिहाज से सरकार और प्रशासन को ज्यादा अलर्ट मोड पर रहना होगा. ताकि आपदा जैसे हालातों में इसके असर को कम से कम किया जा सके.

Last Updated : Jun 23, 2022, 10:19 PM IST
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