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10 साल से खड़ी टेस्टिंग मशीन बनी कबाड़, अधिकारियों ने ये कहकर झाड़ा पल्ला

साल 2009 में केंद्र सरकार ने इस मशीन को माप तौल विभाग को सौंपा गया था. इस वाहन का काम सड़कों पर दौड़कर धर्मकांटों के वजन की जांच करना था, लेकिन ये मशीन आरएफसी के गोदाम में खड़े-खड़े धूल फांक रही है.

मोबाइल-वे ब्रिज टेस्टिंग मशीन हुई कबाड़
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Published : Apr 19, 2019, 5:43 PM IST

Updated : Apr 19, 2019, 7:50 PM IST

देहरादून: घटतौली पकड़ने वाली लाखों की मशीन विभाग की हीलाहवाली के चलते धूल फांक रही है. आलम ये है कि 45 लाख रुपए कीमत की मोबाइल-वे ब्रिज टेस्टिंग मशीन इस्तेमाल नहीं होने के कारण कबाड़ में तब्दील हो चुकी है. केंद्र सरकार की ओर से भेजी गई इस मशीन को माप तौल विभाग इस्तेमाल ही नहीं कर पाया है.

मोबाइल-वे ब्रिज टेस्टिंग मशीन हुई कबाड़

पढ़ें- अब लाइसेंस बनवाने के लिए नहीं चलेगा जुगाड़, 15 अगस्त से सभी को देना होगा टेस्ट

बता दें, साल 2009 में केंद्र सरकार ने इस मशीन को माप तौल विभाग को सौंपा गया था. इस वाहन का काम सड़कों पर दौड़कर धर्मकांटों के वजन की जांच करना था, लेकिन ये मशीन आरएफसी के गोदाम में खड़े-खड़े धूल फांक रही है. विभाग ने इस मशीन को पहाड़ी रास्तों का अनुकूल नहीं होना बताकर खड़ा कर दिया गया है. और सालों से बेकार खड़ी खड़ी यह मशीन कबाड़ बनती जा रही है.

आरएफसी के गोदाम इंचार्ज हरेंद्र रावत ने बताया कि सालों से खड़ी इस मशीन के कारण उनको काफी परेशानी हो रही है. इसके लिए उन्होंने विभाग को कई पत्र लिखें हैं लेकिन विभाग की ओर से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है.

देहरादून: घटतौली पकड़ने वाली लाखों की मशीन विभाग की हीलाहवाली के चलते धूल फांक रही है. आलम ये है कि 45 लाख रुपए कीमत की मोबाइल-वे ब्रिज टेस्टिंग मशीन इस्तेमाल नहीं होने के कारण कबाड़ में तब्दील हो चुकी है. केंद्र सरकार की ओर से भेजी गई इस मशीन को माप तौल विभाग इस्तेमाल ही नहीं कर पाया है.

मोबाइल-वे ब्रिज टेस्टिंग मशीन हुई कबाड़

पढ़ें- अब लाइसेंस बनवाने के लिए नहीं चलेगा जुगाड़, 15 अगस्त से सभी को देना होगा टेस्ट

बता दें, साल 2009 में केंद्र सरकार ने इस मशीन को माप तौल विभाग को सौंपा गया था. इस वाहन का काम सड़कों पर दौड़कर धर्मकांटों के वजन की जांच करना था, लेकिन ये मशीन आरएफसी के गोदाम में खड़े-खड़े धूल फांक रही है. विभाग ने इस मशीन को पहाड़ी रास्तों का अनुकूल नहीं होना बताकर खड़ा कर दिया गया है. और सालों से बेकार खड़ी खड़ी यह मशीन कबाड़ बनती जा रही है.

आरएफसी के गोदाम इंचार्ज हरेंद्र रावत ने बताया कि सालों से खड़ी इस मशीन के कारण उनको काफी परेशानी हो रही है. इसके लिए उन्होंने विभाग को कई पत्र लिखें हैं लेकिन विभाग की ओर से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है.

Intro:प्रदेश में तौल कांटो पर घटतौली पकड़ने वाली 45 लाख रुपए कीमत की मोबाइल वे ब्रिज टेस्टिंग मशीन इस्तेमाल नही होने के कारण कबाड़ में तब्दील हो गई है।केंद्र सरकार की ओर से भेजी गई इस मशीन को बाट-माप विभाग प्रदेश में इस्तेमाल ही नही कर पाया है। विधिक बाट-माप विभाग के जिस मोबाइल टेस्टिंग वाहन को सड़क पर दौड़ कर धर्म कांटा के वजन की जांच करनी चाहिए वह ट्रांसपोर्ट नगर स्थित आरएफसी के गोदाम में निष्क्रिय अवस्था में खड़ा है।


Body:2009 में केंद्र सरकार ने इस मशीन को विधिक बाट-माप विभाग को सौंपा गया था। इस वाहन का काम सड़को पर दौड़कर धर्मकांटो के वजन की जांच करनी थी।लेकिन यह मशीन आरएफसी के गोदाम में खड़े खड़े धूल की चादर मोटी होती जा रही है। यह मशीन पहाड़ी रास्तों के अनुकूल नहीं होना बताकर आरएफ़सी के कोटा में खड़ा कर दिया गया है। और सालों से बेकार खड़ी खड़ी यह मशीन कंडम होती जा रही है। आरएफसी गोदाम कैंपस में खड़ी इस मशीन से 100 टन के तौल कांटो में घटतौली की शिकायत की जांच की जाती है।और मशीन काफी बड़ी होने के कारण इसका मेंटेनेंस खर्च भी अधिक है इसके चलते बाट-माप विभाग के अधिकारियों ने इसे काम में नहीं लिया और पहाड़ी रास्तों के लिए मशीन को अनुकूल नहीं बता कर खड़ा कर अपना पल्ला झाड़ लिया।


Conclusion:आरएफसी के गोदाम इंचार्ज हरेंद्र रावत ने बताया कि सालों से खड़ी इस मशीन के कारण काफी परेशानी भी हो रही है।और इसके लिए और उसी की ओर से बाट-माप विभाग को कई पत्र लिखा जा चुका है लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया है।

बाइट- हरेंद्र रावत( इंचार्ज,आरएफसी गोदाम)
Last Updated : Apr 19, 2019, 7:50 PM IST
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