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बच्चों के दुश्मन MIS-c की उत्तराखंड में दस्तक, अब तक 30 मामले, सुनिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ

कोरोना की पहली लहर में बुजुर्ग, दूसरी लहर में युवाओं को ज्यादा खतरा देखने को मिला. लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो तीसरी लहर बच्चों के लिए घातक साबित हो सकती है. हालांकि इस बीच दूसरी लहर में भी बच्चों में MIS-c के लक्षण मिले हैं.

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देहरादून
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Published : May 19, 2021, 9:55 AM IST

Updated : May 19, 2021, 11:54 AM IST

देहरादूनः उत्तराखंड कोविड-19 की दूसरी लहर के बुरे दौर से गुजर रहा है. विशेषज्ञों द्वारा कोविड-19 की तीसरी लहर को लेकर भी लगातार अंदेशा जताया जा रहा है, जोकि सबसे ज्यादा छोटे बच्चों के लिए घातक रहने वाली है. उत्तराखंड की अगर बात करें तो उत्तराखंड में चाइल्ड केयर को लेकर अग्रिम भूमिका निभाने वाले देहरादून के वैश्य नर्सिंग होम के डायरेक्टर डॉ. विपिन का कहना है कि जागरूकता ही कोरोना की तीसरी लहर से बचा सकती है.

बच्चों के दुश्मन MIS-c की उत्तराखंड में दस्तक

15 दिन में 30 बच्चे पॉजिटिव.

ईटीवी भारत से खास बातचीत में नर्सिंग होम के डायरेक्टर डॉ. विपिन वैश्य ने बताया कि अचानक से पिछले दो हफ्तों में उनके अस्पताल में बच्चों में कुछ अलग तरह के बीमारी के लक्षण देखने को मिल रहे हैं. इनमें से तकरीबन 30 बच्चे ऐसे हैं, जो कि सीधे तौर से कोविड-19 के हैं. उन बच्चों के घर में कोविड-19 के केस हो चुके हैं, जिसके कारण बच्चों में बीमारी के कुछ अलग तरह के लक्षण देखने को मिल रहे हैं. इस तरह के मामलों को लेकर हमें अभी से जागरूक होना होगा और हमें अपने आसपास मौजूद सभी बच्चों की विशेष निगरानी की जरूरत है. खासतौर से वो बच्चे जो कि हाल ही में कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं.

बच्चों का दुश्मन MIS-c

डॉ. विपिन वैश्य ने बताया कि पिछले कुछ दिनों में उनके अस्पताल में कई बच्चे MIS-c यानी मल्टी सिस्टम इनफॉर्मेटरी सिंड्रोम इन चाइल्डहुड के मामले देखने को मिल रहे हैं. उन्होंने बताया कि यह बीमारी अब तक इटली, अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों में देखने को मिल रही थी, लेकिन अब यह भारत में और पिछले कुछ दिनों में देहरादून में भी इस तरह के मामले देखने को मिले हैं. यह एक पोस्ट कोविड-19 सिंड्रोम की तरह है. जहां पर कोविड-19 से ठीक हो जाने के तकरीबन 1 महीने बाद खास तौर से बच्चों में यह बीमारी देखने को मिलती है. जहां पर बच्चे में तेज बुखार, चिड़चिड़ापन, उल्टी दस्त इत्यादि लक्षण देखने को मिलते हैं.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में ब्लैक फंगस के इलाज को लेकर जारी हुई SOP

किस तरह की तैयारी की जरूरत ?

डॉ. विपिन वैश्य ने बताया कि कोविड-19 लगातार अपना स्ट्रेन बदल रहा है. शोध के मुताबिक तीसरी लहर में यह बच्चों पर ज्यादा असरदार करेगा. इससे निपटने के लिए हमें सबसे पहले जागरूकता की जरूरत है. इसके अलावा हमें सामान्य स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के साथ-साथ बाल चिकित्सा को लेकर भी व्यवस्थाएं दुरुस्त करनी होंगी. हमें अलग से पीडियाट्रिक कोविड सेंटर स्थापित करने की जरूरत है. अस्पतालों में बच्चों के लिए अलग से बेड और वेंटिलेटर आईसीयू की व्यवस्था करनी होगी.

कितनी तैयार उत्तराखंड सरकार ?

उत्तराखंड सरकार कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रही है. हर दिन, हर वक्त प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारा जा रहा है. लेकिन इस सबके बावजूद भी तीसरी लहर के लिए प्रदेश में अभी कोई तैयारी धरातल पर नहीं दिखती. हालांकि स्वास्थ्य सचिव पंकज पांडे ने मीडिया ब्रीफिंग के दौरान इस बात का जिक्र जरूर किया है कि उत्तराखंड में बन रहे दो बड़े अस्पतालों में 25 बेड बच्चों के लिए अलग से बनाए गए हैं.

देहरादूनः उत्तराखंड कोविड-19 की दूसरी लहर के बुरे दौर से गुजर रहा है. विशेषज्ञों द्वारा कोविड-19 की तीसरी लहर को लेकर भी लगातार अंदेशा जताया जा रहा है, जोकि सबसे ज्यादा छोटे बच्चों के लिए घातक रहने वाली है. उत्तराखंड की अगर बात करें तो उत्तराखंड में चाइल्ड केयर को लेकर अग्रिम भूमिका निभाने वाले देहरादून के वैश्य नर्सिंग होम के डायरेक्टर डॉ. विपिन का कहना है कि जागरूकता ही कोरोना की तीसरी लहर से बचा सकती है.

बच्चों के दुश्मन MIS-c की उत्तराखंड में दस्तक

15 दिन में 30 बच्चे पॉजिटिव.

ईटीवी भारत से खास बातचीत में नर्सिंग होम के डायरेक्टर डॉ. विपिन वैश्य ने बताया कि अचानक से पिछले दो हफ्तों में उनके अस्पताल में बच्चों में कुछ अलग तरह के बीमारी के लक्षण देखने को मिल रहे हैं. इनमें से तकरीबन 30 बच्चे ऐसे हैं, जो कि सीधे तौर से कोविड-19 के हैं. उन बच्चों के घर में कोविड-19 के केस हो चुके हैं, जिसके कारण बच्चों में बीमारी के कुछ अलग तरह के लक्षण देखने को मिल रहे हैं. इस तरह के मामलों को लेकर हमें अभी से जागरूक होना होगा और हमें अपने आसपास मौजूद सभी बच्चों की विशेष निगरानी की जरूरत है. खासतौर से वो बच्चे जो कि हाल ही में कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं.

बच्चों का दुश्मन MIS-c

डॉ. विपिन वैश्य ने बताया कि पिछले कुछ दिनों में उनके अस्पताल में कई बच्चे MIS-c यानी मल्टी सिस्टम इनफॉर्मेटरी सिंड्रोम इन चाइल्डहुड के मामले देखने को मिल रहे हैं. उन्होंने बताया कि यह बीमारी अब तक इटली, अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों में देखने को मिल रही थी, लेकिन अब यह भारत में और पिछले कुछ दिनों में देहरादून में भी इस तरह के मामले देखने को मिले हैं. यह एक पोस्ट कोविड-19 सिंड्रोम की तरह है. जहां पर कोविड-19 से ठीक हो जाने के तकरीबन 1 महीने बाद खास तौर से बच्चों में यह बीमारी देखने को मिलती है. जहां पर बच्चे में तेज बुखार, चिड़चिड़ापन, उल्टी दस्त इत्यादि लक्षण देखने को मिलते हैं.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में ब्लैक फंगस के इलाज को लेकर जारी हुई SOP

किस तरह की तैयारी की जरूरत ?

डॉ. विपिन वैश्य ने बताया कि कोविड-19 लगातार अपना स्ट्रेन बदल रहा है. शोध के मुताबिक तीसरी लहर में यह बच्चों पर ज्यादा असरदार करेगा. इससे निपटने के लिए हमें सबसे पहले जागरूकता की जरूरत है. इसके अलावा हमें सामान्य स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के साथ-साथ बाल चिकित्सा को लेकर भी व्यवस्थाएं दुरुस्त करनी होंगी. हमें अलग से पीडियाट्रिक कोविड सेंटर स्थापित करने की जरूरत है. अस्पतालों में बच्चों के लिए अलग से बेड और वेंटिलेटर आईसीयू की व्यवस्था करनी होगी.

कितनी तैयार उत्तराखंड सरकार ?

उत्तराखंड सरकार कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रही है. हर दिन, हर वक्त प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारा जा रहा है. लेकिन इस सबके बावजूद भी तीसरी लहर के लिए प्रदेश में अभी कोई तैयारी धरातल पर नहीं दिखती. हालांकि स्वास्थ्य सचिव पंकज पांडे ने मीडिया ब्रीफिंग के दौरान इस बात का जिक्र जरूर किया है कि उत्तराखंड में बन रहे दो बड़े अस्पतालों में 25 बेड बच्चों के लिए अलग से बनाए गए हैं.

Last Updated : May 19, 2021, 11:54 AM IST
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