ETV Bharat / state

मकर संक्रांति: धर्मनगरी में गंगा स्नान के लिए उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब, 3.50 लाख भक्तों ने लगाई डूबकी - MAKAR SANKRANTI 2025

हिंदू धर्म में मकर संक्रांति पर गंगा स्नान का खास महत्व है. मकर संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं.

Makar Sankranti in haridwar
मकर संक्रांति पर गंगा स्नान के लिए उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ (Photo-ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 14, 2025, 10:12 AM IST

हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार में मकर संक्रांति पर गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं का रेला उमड़ा. हरिद्वार के तमाम गंगा घाटों पर सुबह से श्रद्धालुओं की खासी भीड़ देखी गई. श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान के बाद पूजा दान कर पुण्य कमाया. वहीं मकर संक्रांति स्नान पर गंगा स्नान का धार्मिक लिहाज से काफी महत्व माना जाता है. इस मौके पर 3.50 भक्तों ने गंगा में डूबकी लगाई.

साल का पहला बड़ा गंगा स्नान 14 जनवरी यानि आज मकर संक्रांति का है. मकर संक्रांति स्नान का काफी महत्व है, क्योंकि मकर संक्रांति के पर्व के दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं. इसी के साथ ही सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण भी हो जाते हैं. इसलिए मकर संक्रांति के स्नान का खास माना जाता है. हरिद्वार में मकर संक्रांति पर गंगा स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती. देशभर से आए श्रद्धालुओं ने मां गंगा में आस्था की डुबकी लगाई. मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान करने के उपरांत तिल और खिचड़ी के साथ वस्त्रों का दान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है.

मकर संक्रांति पर गंगा स्नान के उमड़ा श्रद्धालुओं का रेला (Video-ETV Bharat)

ज्योतिषाचार्य पंडित शक्तिधर शास्त्री का कहना है कि पुराणों में उत्तरायणी पर्व को विशेष स्थान दिया है. भीष्म पितामह उत्तरायण पर्व के लिए तीर शैय्या पर लेटे रहे, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब उत्तरायण पर्व शुरू हो जाता है. इतना बड़ा पर्व होता है कि सुबह की दिशा और दशा दोनों बदल जाती है. गंगा या किसी भी पवित्र नदी में स्नान करके तिल खिचड़ी, वस्त्र का दान करने का विशेष महत्व है. इससे हर प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है. क्योंकि उत्तरायण का सूर्य सभी कष्टों का नाश करने वाला होता है. उत्तरायण पर्व सभी प्रदेशों में मनाया जाता है. उन्होंने कहा कि कहीं मकर संक्रांति, कहीं पोंगल और कहीं पर उत्तरायण पर्व के रूप में मनाया जाता है.

मगर इसका एक ही सार होता है कि अब सूर्य उत्तर दिशा की ओर आ गए हैं. क्योंकि यह दिशा देवताओं की प्राप्ति की होती है. इस दिन अगर अपने पितरों के निमित्त पिंडदान करते हैं, तो उससे आपके पित्र तृप्त होते हैं. ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, आज से सूर्य भगवान मकर राशि में प्रवेश करेंगे और आज से ही उत्तरायण की शुरुआत हो जाएगी. इसके तहत 6 महीने दक्षिणायन में देवों की रात और 6 महीने उत्तरायण में देवों का दिन माना जाता है. आज से ही देवों के दिन शुरू हो जाएंगे और मुंडन, यज्ञोपवीत, विवाह आदि सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत भी आज से हो जाएगी.
पढ़ें-मकर संक्रांति: श्रद्धालुओं ने गंगा भागीरथी में लगाई आस्था की डुबकी, देव डोलियां ने भी किया गंगा स्नान

हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार में मकर संक्रांति पर गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं का रेला उमड़ा. हरिद्वार के तमाम गंगा घाटों पर सुबह से श्रद्धालुओं की खासी भीड़ देखी गई. श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान के बाद पूजा दान कर पुण्य कमाया. वहीं मकर संक्रांति स्नान पर गंगा स्नान का धार्मिक लिहाज से काफी महत्व माना जाता है. इस मौके पर 3.50 भक्तों ने गंगा में डूबकी लगाई.

साल का पहला बड़ा गंगा स्नान 14 जनवरी यानि आज मकर संक्रांति का है. मकर संक्रांति स्नान का काफी महत्व है, क्योंकि मकर संक्रांति के पर्व के दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं. इसी के साथ ही सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण भी हो जाते हैं. इसलिए मकर संक्रांति के स्नान का खास माना जाता है. हरिद्वार में मकर संक्रांति पर गंगा स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती. देशभर से आए श्रद्धालुओं ने मां गंगा में आस्था की डुबकी लगाई. मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान करने के उपरांत तिल और खिचड़ी के साथ वस्त्रों का दान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है.

मकर संक्रांति पर गंगा स्नान के उमड़ा श्रद्धालुओं का रेला (Video-ETV Bharat)

ज्योतिषाचार्य पंडित शक्तिधर शास्त्री का कहना है कि पुराणों में उत्तरायणी पर्व को विशेष स्थान दिया है. भीष्म पितामह उत्तरायण पर्व के लिए तीर शैय्या पर लेटे रहे, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब उत्तरायण पर्व शुरू हो जाता है. इतना बड़ा पर्व होता है कि सुबह की दिशा और दशा दोनों बदल जाती है. गंगा या किसी भी पवित्र नदी में स्नान करके तिल खिचड़ी, वस्त्र का दान करने का विशेष महत्व है. इससे हर प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है. क्योंकि उत्तरायण का सूर्य सभी कष्टों का नाश करने वाला होता है. उत्तरायण पर्व सभी प्रदेशों में मनाया जाता है. उन्होंने कहा कि कहीं मकर संक्रांति, कहीं पोंगल और कहीं पर उत्तरायण पर्व के रूप में मनाया जाता है.

मगर इसका एक ही सार होता है कि अब सूर्य उत्तर दिशा की ओर आ गए हैं. क्योंकि यह दिशा देवताओं की प्राप्ति की होती है. इस दिन अगर अपने पितरों के निमित्त पिंडदान करते हैं, तो उससे आपके पित्र तृप्त होते हैं. ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, आज से सूर्य भगवान मकर राशि में प्रवेश करेंगे और आज से ही उत्तरायण की शुरुआत हो जाएगी. इसके तहत 6 महीने दक्षिणायन में देवों की रात और 6 महीने उत्तरायण में देवों का दिन माना जाता है. आज से ही देवों के दिन शुरू हो जाएंगे और मुंडन, यज्ञोपवीत, विवाह आदि सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत भी आज से हो जाएगी.
पढ़ें-मकर संक्रांति: श्रद्धालुओं ने गंगा भागीरथी में लगाई आस्था की डुबकी, देव डोलियां ने भी किया गंगा स्नान

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.