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पंचायतों को ऑनलाइन करने की 'झूठी योजना' पर मंत्री ने साधी चुप्पी, सवालों से बचते नजर आए

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Published : Sep 12, 2021, 7:37 PM IST

उत्तराखंड में पंचायतों को ऑनलाइन करने की 'झूठी योजना' योजना के बारे में जब विभागीय मंत्री से सवाल-जवाब किया गया तो वे इससे बचते नजर आए.

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'झूठी योजना' पर मंत्री जी की बोलती बंद

देहरादून: उत्तराखंड में पंचायती राज विभाग द्वारा राज्य स्थापना दिवस के दिन जिस झूठी योजना को लॉन्च किया गया, उस पर आखिरकार पंचायती राज मंत्री को जवाब देना ही पड़ा. वह बात अलग है कि सवाल होते ही पंचायती राज मंत्री की बोलती बंद हो गई. वह सवाल से बचने की कोशिश करते दिखाई दिए.

प्रदेश में योजनाओं के नाम पर जिस तरह आम लोगों का बेवकूफ बनाया जाता है, उसका ताजा मामला पंचायती राज विभाग में देखने को मिला. जहां विभाग ने एक ऐसी योजना को लॉन्च कर दिया जिसका धरातल पर कोई वजूद ही नहीं था. पंचायती राज विभाग द्वारा जब इस योजना को लेकर बजट से संबंधित आदेश जारी किया गया, तब ईटीवी भारत ने इस मामले का खुलासा किया था.

'झूठी योजना' पर मंत्री जी की बोलती बंद

पढ़ें-उत्तराखंड में शुरू हुई थी 'झूठी योजना', भाजपा सरकार का धोखा आया सामने

हकीकत में इन योजनाओं पर अधिकारी कुछ होमवर्क करते ही नहीं. पंचायती राज विभाग ने 2020 में गैरसैंण से राज्य स्थापना दिवस पर पंचायतों को ऑनलाइन करने से जुड़ी योजना को लॉन्च किया था. हैरत की बात यह है कि 9 नवंबर 2020 को जिस योजना को लॉन्च किया गया.

उससे संबंधित बजट 31 मार्च 2020 यानी 8 महीने पहले ही 15वें वित्त आयोग के तहत जारी किया जा सकता था. इस व्यवस्था को 12वें वित्त में बढ़ाए बिना ही 8 महीने बाद बिना बजट के योजना लॉन्च कर दी गई.

पढ़ें- उत्तराखंड की जनता से हुआ भद्दा सरकारी मजाक, जिस कंपनी से खत्म हो गया था करार उसे काम देने का हुआ प्रचार

फिर 1 साल बाद विभाग ने ऐसी व्यवस्था नहीं होने का एक नया आदेश जारी कर दिया. इस मामले पर जब हमने पंचायती राज मंत्री अरविंद पांडे से पूछा तो उन्होंने इस सवाल का वाजिब जवाब देने के बजाय सवाल से बचने के लिए इससे हटकर बातें कहनी शुरू कर दी. साफ दिखा कि पंचायती राज मंत्री के पास इस झूठी योजना को लेकर कोई जवाब ही नहीं था.

देहरादून: उत्तराखंड में पंचायती राज विभाग द्वारा राज्य स्थापना दिवस के दिन जिस झूठी योजना को लॉन्च किया गया, उस पर आखिरकार पंचायती राज मंत्री को जवाब देना ही पड़ा. वह बात अलग है कि सवाल होते ही पंचायती राज मंत्री की बोलती बंद हो गई. वह सवाल से बचने की कोशिश करते दिखाई दिए.

प्रदेश में योजनाओं के नाम पर जिस तरह आम लोगों का बेवकूफ बनाया जाता है, उसका ताजा मामला पंचायती राज विभाग में देखने को मिला. जहां विभाग ने एक ऐसी योजना को लॉन्च कर दिया जिसका धरातल पर कोई वजूद ही नहीं था. पंचायती राज विभाग द्वारा जब इस योजना को लेकर बजट से संबंधित आदेश जारी किया गया, तब ईटीवी भारत ने इस मामले का खुलासा किया था.

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हकीकत में इन योजनाओं पर अधिकारी कुछ होमवर्क करते ही नहीं. पंचायती राज विभाग ने 2020 में गैरसैंण से राज्य स्थापना दिवस पर पंचायतों को ऑनलाइन करने से जुड़ी योजना को लॉन्च किया था. हैरत की बात यह है कि 9 नवंबर 2020 को जिस योजना को लॉन्च किया गया.

उससे संबंधित बजट 31 मार्च 2020 यानी 8 महीने पहले ही 15वें वित्त आयोग के तहत जारी किया जा सकता था. इस व्यवस्था को 12वें वित्त में बढ़ाए बिना ही 8 महीने बाद बिना बजट के योजना लॉन्च कर दी गई.

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फिर 1 साल बाद विभाग ने ऐसी व्यवस्था नहीं होने का एक नया आदेश जारी कर दिया. इस मामले पर जब हमने पंचायती राज मंत्री अरविंद पांडे से पूछा तो उन्होंने इस सवाल का वाजिब जवाब देने के बजाय सवाल से बचने के लिए इससे हटकर बातें कहनी शुरू कर दी. साफ दिखा कि पंचायती राज मंत्री के पास इस झूठी योजना को लेकर कोई जवाब ही नहीं था.

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