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उपकरणों की खराबी के चलते मौसम विभाग के पास नहीं हैं सटीक आंकड़े - औसतन बारिश

उत्तराखंड में मॉनसून चरम पर है, लेकिन इस बार मॉनसून सीजन में औसतन बारिश कम आंकी गई है. मौसम विभाग की मानें तो ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन और ऑटोमेटिक रेन गेज के खराबी के चलते सटीक आंकड़े नहीं मिल पाए हैं. अभीतक 1 जून से लेकर 31 जुलाई तक औसतन 379 मिमी बारिश हुई है, जबकि 580 मिमी औसतन बारिश होनी चाहिए थी. इस बार करीब 36 फीसदी बारिश कम हुई है.

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Published : Aug 4, 2019, 6:30 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड में मॉनसून सीजन चल रहा है, लेकिन अभीतक औसतन कम बारिश रिकॉर्ड की गई है. हालांकि, मानसून सीजन में प्रदेश में कितनी बरिश हुई है, इसका सटीक आंकड़ा मौसम विभाग के पास उपलब्ध नहीं है. मौसम विभाग की मानें तो कई स्थानों पर ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन और ऑटोमेटिक रेन गेज के खराबी के चलते डाटा उपलब्ध नहीं हो पाए हैं. जिसकी वजह से बारिश का सटीक आकलन करना कठिन हो रहा है.

मौसम विभाग के पास उपलब्ध नहीं हैं सटीक आंकड़े.

दरअसल, राज्य में 45 ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन और ऑटोमेटिक रेन गेज बीते लंबे समय से खराब पडे़ हुए हैं. जिसके चलते मौसम विभाग को बारिश का सटीक आंकड़ा नहीं मिल पा रहा है. हालांकि, मौसम विभाग की मानें तो प्रदेश में 1 जून से लेकर 31 जुलाई तक औसतन 379 बारिश मिमी हुई है, जबकि 580 मिमी औसतन बारिश होनी चाहिए थी. इस बार करीब 36 फीसदी बारिश कम हुई है.

ये भी पढे़ंः उत्तराखंडः इन जिलों में भारी गुजरेंगे अगले 24 घंटे, भारी बारिश की चेतावनी

प्रदेश में खेती के लिए मॉनसून की बारिश काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है. ऐसे में बारिश का कम होना किसानों के लिए भी चिंता का विषय है. ऐसे में बारिश और मौसम का सही आकलन करने के लिए 107 ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन लगाए गए हैं. इनमें से कुछ राज्य सरकार, तो कुछ मौसम विभाग ने लगाए हैं. साथ ही 28 जगहों पर ऑटोमेटिक रेन गेज भी लगाए गए हैं, लेकिन मौसम विभाग को इनमें से 90 के आंकडे़ ही मिल पा रहे हैं.

वहीं, मौसम विभाग के निदेशक विक्रम सिंह का कहना है कि ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन और ऑटोमेटिक रेन गेज की खराबी की सूचना राज्य सरकार को दे दी गई है. बीते कई दिनों में दूसरी जगहों में भी खराबी आई है. ऐसे में ऐसी जगहों से सटीक आंकड़ा मिलने में दिक्कत हो रही है. हालांकि, अभी तक के आंकड़ों के मुताबिक बारिश औसतन कम हुई है.

देहरादूनः उत्तराखंड में मॉनसून सीजन चल रहा है, लेकिन अभीतक औसतन कम बारिश रिकॉर्ड की गई है. हालांकि, मानसून सीजन में प्रदेश में कितनी बरिश हुई है, इसका सटीक आंकड़ा मौसम विभाग के पास उपलब्ध नहीं है. मौसम विभाग की मानें तो कई स्थानों पर ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन और ऑटोमेटिक रेन गेज के खराबी के चलते डाटा उपलब्ध नहीं हो पाए हैं. जिसकी वजह से बारिश का सटीक आकलन करना कठिन हो रहा है.

मौसम विभाग के पास उपलब्ध नहीं हैं सटीक आंकड़े.

दरअसल, राज्य में 45 ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन और ऑटोमेटिक रेन गेज बीते लंबे समय से खराब पडे़ हुए हैं. जिसके चलते मौसम विभाग को बारिश का सटीक आंकड़ा नहीं मिल पा रहा है. हालांकि, मौसम विभाग की मानें तो प्रदेश में 1 जून से लेकर 31 जुलाई तक औसतन 379 बारिश मिमी हुई है, जबकि 580 मिमी औसतन बारिश होनी चाहिए थी. इस बार करीब 36 फीसदी बारिश कम हुई है.

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प्रदेश में खेती के लिए मॉनसून की बारिश काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है. ऐसे में बारिश का कम होना किसानों के लिए भी चिंता का विषय है. ऐसे में बारिश और मौसम का सही आकलन करने के लिए 107 ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन लगाए गए हैं. इनमें से कुछ राज्य सरकार, तो कुछ मौसम विभाग ने लगाए हैं. साथ ही 28 जगहों पर ऑटोमेटिक रेन गेज भी लगाए गए हैं, लेकिन मौसम विभाग को इनमें से 90 के आंकडे़ ही मिल पा रहे हैं.

वहीं, मौसम विभाग के निदेशक विक्रम सिंह का कहना है कि ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन और ऑटोमेटिक रेन गेज की खराबी की सूचना राज्य सरकार को दे दी गई है. बीते कई दिनों में दूसरी जगहों में भी खराबी आई है. ऐसे में ऐसी जगहों से सटीक आंकड़ा मिलने में दिक्कत हो रही है. हालांकि, अभी तक के आंकड़ों के मुताबिक बारिश औसतन कम हुई है.

Intro:प्रदेश में मानसून आये काफी समय हो चुका है, लेकिन इस बार के मानसून में अभी तक औसतन बारिश प्रदेश में कम हुई है। हालांकि मानसून सीजन में प्रदेश में कितनी बरिश हुई है इसका सटीक आकडा मौसम विभाग के पास उपलब्ध नही है, दरअसल राज्य में लगाए गए 45 आटोमेटिक वेदर स्टेशन और आटोमेटिक रेन गेज पिछले काफी लबे समय से खराब पडे हुए है। इसके चलते मौसम विभाग को बारिश का सटीक आकडा नही मिल पा रहा है। हालांकि मौसम विभाग की माने तो प्रदेश में 1 जून से लेकर 31 जुलाई तक औसतन बारिश 379मिमी हुई है, जबकि 580 मिमी औसतन बारिश होनी चाहिए थी। Body:इस बार मौसम विभाग की माने तो जितनी बारिश प्रदेश में होनी चाहिए थी उससे काफी कम बारिश अभी तक हुई है। मौसम विभाग को कुछ स्टेशनों का डाटा उपलब्ध नही हो पाया है जिसकी वजह बारिश का सटीक आकंलन करना मौसम विभाग के लिए भी कठिन है। मौसम विभाग की माने तो इस बार लगभग 36 प्रतिशत बारिश कम हुई है। बताते चलें कि उत्तराखंड की खेती के लिए मानसून की बारिश बहुत महत्व रखती है, ऐसे में बारिश का कम होना किसानों के लिए भी चिंता का विषय है। प्रदेश में बारिश और मौसम का सही आकलन करने के लिए 107 आटोमेटिक वेदर स्टेशन लगाए गए है । इनमें से कुछ राज्य सरकार तो कुछ मौसम विभाग ने लगाए है । इसके अलाव 28 जगहों पर आटोमेटिक रेन गेज भी लगाए गए है, लेकिन मौसम विभाग को इनमे से 90 के आकडे ही मिल पा रहे है। यानी कि बारिश कितनी हुई है इसका सही अनुमान ख़ुद मौसम विभाग को ही पता नही है।Conclusion:वही मौसम निदेशक विक्रम सिह का कहना है कि हमने राज्य सरकार को इनके खराब होने की सूचना दे दी है, क्योकि पिछले कई दिनों के दौरान दूसरी जगहों में भी ख़राबी आई है, इसलिए ऐसीे जगहों से सटीक आकडा मिलने में दिक्कत हो रही है, हालांकि अभी तक के आंकड़ों में बारिश औसतन कम हुई है।

बाइट - विक्रम सिंह , निदेशक मौसम विभाग।

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