देहरादून: उत्तराखंड की जेलों में कैदियों से मुलाकात के लिए वैसे तो कई नियम कायदे बनाए गए हैं. लेकिन अब कुछ संवेदनशील घटनाएं सामने आने के बाद राज्य की जेलों में बाहर से पका हुआ खाना व पेय पदार्थ सहित कई सामग्रियों को अंदर ले जाने में पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है. इसकी सबसे बड़ी वजह पिछले 3 सालों में दर्जनों ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें परिजनों द्वारा मुलाकात के समय कैदियों को शरबत, पानी और कोल्ड ड्रिंक में नशीला पदार्थ परोसने की शिकायतें सामने आई है.
इतना ही नहीं बाहर से पका हुआ खाना जेल के अंदर ले जाने में जहर की आशंका से लेकर मादक पदार्थों की शिकायत भी मिली है. नशे के आदी वाले कैदियों के परिजनों मुलाकात के समय चिप्स, बिस्कुट, मूंगफली, तरबूज जैसे खाने की चीजों में चरस और स्मैक मिलाकर दे देते हैं. जिसे जेल प्रशासन चेकिंग के दौरान देहरादून सुद्धोवाला जेल में कई बार पकड़ा है. ऐसे में कैदियों से मुलाकात के लिए अब सभी जेलों में सघन तलाशी के बाद ही परिजनों और परिचितों को कैदियों से मुलाकात करने दिया जाएगा.
अक्सर जेल प्रशासन को शिकायत मिलती है कि मुलाकात के लिए परिजनों या पहचान वालों को कई नियम कायदों का हवाला देकर परेशान किया जाता है. इस पर देहरादून सुद्धोवाला जेल के जेलर पवन कुमार कोठारी कहते हैं कि जेल मैनुअल के अनुसार नियम कायदे पहले से ही तय हैं. उसी के आधार पर कैदियों के परिजनों को सप्ताह में दो बार ऑनलाइन पर्ची बनाने के नियम के साथ मुलाकात कराई जाती है. एक बार में 3 लोग ही संबंधित कैदी से मिल सकते हैं.
वहीं, जेल के अंदर कैदियों के लिए घर का खाना, पेयजल पदार्थ और पैकिंग वाले सामानों पर प्रतिबंध लगाया गया है. जेलर कोठारी ने बताया कि सुद्धोवाला जेल के अंदर ही कैंटीन उपलब्ध है. जहां खाने पीने की वस्तु, कपड़े, साबुन, तेल और अन्य वस्तुएं कैशलेस व बाजार से कम कीमत पर उपलब्ध हैं, जिन्हें खरीद कर परिजन अपने कैदी को दे सकते हैं. इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि परिजन पहले सामान की सघन चेकिंग से बचेंगे और उन्हें अन्य औपचारिकताओं से निजात मिल जाएगा. जिससे उन्हें मुलाकात के दौरान अधिक समय मिल पाएगा.
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जेलर कोठारी का कहना है कि जेल के अंदर कुछ कैदियों से मुलाकात में प्रतिबंध लगाया जाता है. क्योंकि देखा गया है कि जेल के अंदर भी कई बार वह हमला कर देते जाता हैं. फिर उनसे मिलने वाले लोग उन्हें नशा सामग्री या अन्य जहरीली पदार्थ भी दे सकते हैं. इसके चलते ऐसे कैदियों से मुलाकात के लिए नियमानुसार प्रतिबंध लगाया जाता है.
जेल में मुलाकात करने का नियम सप्ताह में दो बार का होता है. लेकिन किसी इमरजेंसी में अगर कैदी से तीसरी बार परिजनों को मुलाकात करनी हो तो इसको लेकर जेल सुपरिटेंडेंट के समक्ष प्रार्थना पत्र देकर विशेष अनुमति ली जा सकती है. जेलर पवन कोठारी के मुताबिक, सुपरिटेंडेंट के पास यह अधिकार है कि वह विशेष परिस्थितियों में इसकी अनुमति दें. ऐसे में परिजन और परिचित से तीसरी बार मुलाकात के विषय में पूछताछ का कारण जानना महत्वपूर्ण है. तभी तीसरी बार मुलाकात की अनुमति दी जाती है.
जेलर ने बताया कि कई बार कैदियों से मिलने वाले परिजन ऐसी सामग्रियां लेकर आते हैं, प्रतिबंधित है. कई बार ऐसा देखा गया है कि परिजन खाने की सामग्री या डिब्बा में नशीला पदार्थ के अलावा मोबाइल, धारदार हथियार लेकर आ जाते हैं. ऐसे में सघन चेकिंग के दौरान जब ऐसी चीजें पकड़ी जाती है तो उन संबंधित कैदियों के मुलाकात पर न सिर्फ प्रतिबंध लगाया जाता है, बल्कि उनके इस क्रियाकलाप के बारे में कोर्ट को एक रिपोर्ट पेश करने के साथ ही परिजनों की इस हरकत पर स्थानीय पुलिस को भी शिकायत दी जा सकती है.