देहरादून: उत्तराखंड में बिजली की कमी लगातार बनी हुई है. फिलहाल जहां 3 मिलियन यूनिट तक खुले बाजार से यूपीसीएल को बिजली खरीदनी पड़ रही है तो वही मंगलवार को राज्य की नजर केंद्र के फैसले पर होगी. क्योंकि केंद्रीय पूल से मिलने वाली करीब 300 मेगावाट बिजली की समय सीमा मंगलवार यानी आज ही खत्म होने जा रही है. ऐसे में राज्य की तरफ से कोशिश की जाएगी कि आगे भी इस सस्ती बिजली को केंद्रीय पूल से प्राप्त किया जाए.
केंद्र सरकार के सामने बिजली संकट को लेकर उत्तराखंड के अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपनी बात रखेंगे. इस दौरान जहां केंद्र की तरफ से राज्य में गैस आधारित दो प्लांट जल्द से जल्द खोले जाने की बात रखी जाएगी. वहीं राज्य भी गैस आधारित बिजली के महंगे होने की बात को केंद्र के सामने रखेगा. दरअसल, केंद्र सरकार देश भर में बिजली की कमी को लेकर राज्यों से बात करने जा रही है. जिसमें सभी गैस और कोयला आधारित प्लांट्स को शुरू किए जाने पर जोर दिया जा रहा है. उत्तराखंड में रूस और यूक्रेन के युद्ध के बाद से ही दो गैस आधारित प्लांट बंद पड़े हैं, करीब 407 मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता रखने वाले इन प्लांट से राज्य को राहत मिल सकती है. लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में 19 डॉलर तक गैस के दाम होने के चलते फिलहाल इस से बनने वाली बिजली राज्य को ₹8 से भी अधिक दाम प्रति यूनिट पड़ सकती है.
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लिहाजा राज्य सरकार केंद्रीय पूल से करीब 5 रुपये प्रति यूनिट बिजली पाने की कोशिश करेगा. उधर पूरी तरह से केंद्र का फोकस सभी प्लांट्स को शुरू करने का है, ताकि देश भर में बिजली उत्पादन बढ़ाया जा सके और ऊर्जा संकट जैसे हालातों से पार पाया जा सके. इन सभी स्थितियों के बीच आज सभी की नजर केंद्र के साथ होने वाली इस बातचीत पर रहेगी, क्योंकि यदि मार्च से केंद्रीय पूल से मिलने वाली करीब 300 मेगावाट बिजली राज्य को नहीं मिलती है तो प्रदेश में बिजली संकट को लेकर स्थितियां बिगड़ सकती हैं. हालांकि यूपीसीएल के अधिकारी इन हालातों से निपटने की बात कह रहे हैं और केंद्र से मजबूती के साथ अपना पक्ष रखने का भी दावा कर रहे हैं.