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पहाड़ी व्यंजन प्रतियोगिता का आगाज, देश-विदेश में जलवा बिखेरेंगे गढ़वाली शेफ

स्वाद और सेहत के खजाने को समेटे गढ़वाली व्यंजन का महत्व किसी की पहचान का मोहताज नहीं है. इसी गढ़वाली खाने को बढ़ावा देने के लिए एक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है.

पहाड़ी व्यंजन प्रतियोगिता का आगाज.
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Published : Aug 7, 2019, 11:02 AM IST

ऋषिकेश: उत्तराखंड के पहाड़ों की सुंदरता दुनिया से छिपी नहीं है, उसी तरह पहाड़ी व्यंजनों का अपना अलग ही क्रेज है, लेकिन आधुनिकता के इस दौर में स्वादिष्ट पहाड़ी व्यंजन विलुप्ति होने के कगार पर हैं. ऐसे में शेफ एसोसिएशन ऑफ उत्तराखण्ड ने एक व्यंजन प्रतियोगिता का आयोजन किया, जिसमें गढ़वाली मास्टर शेफ पहाड़ी व्यंजनों को विश्वभर में पहचान दिलाएंगे.

स्वाद और सेहत के खजाने को समेटे गढ़वाली व्यंजन का महत्व किसी की पहचान का मोहताज नहीं है. चाइनीज और फास्ट फूड के आधुनिक जमाने में पहाड़ी व्यंजन गुमनामी के साथ विलुप्त होने की कगार पर हैं. इसके लिए कुछ युवाओं ने शेफ एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के बैनर तले प्रदेश के कई जगहों पर गढ़वाली व्यजंनों की प्रतियोगिता आयोजित करवाई है.

पहाड़ी व्यंजन प्रतियोगिता का आगाज.

शेफ एसोसिएशन ऑफ उत्तराखण्ड ने रुड़की और ऋषिकेश में मास्टर शेफ देहरादून का ऑडिशन करवाया. इस निशुल्क ऑडिशन में महिलाओं ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया. ऋषिकेश में मास्टर शेफ देहरादून में चयन के बाद विजयी महिलाओं और शेफ को पुरस्कृत किया जाएगा. जिसके बाद शेफ एसोशिएशन ऑफ उत्तराखंड देशभर के कई शहरों और विदेशों में पहाड़ी व्यंजनों का जलवा बिखेरेगा.

ये भी पढ़ें: स्कूल के ऊपर से गुजर रही हाईटेंशन लाइन पर भड़के नरेश बंसल, अधिकारियों को लगाई फटकार

आयोजक विकास कुड़ियाल ने बताया कि स्वादिष्ठ पहाड़ी व्यंजनों को अगर पहचान दिलानी है तो लोगों को अपने स्तर के प्रयास करना चाहिये. साथ ही सरकारी स्तर पर भी पहाड़ी व्यंजनों को पर्यटन के साथ जड़ने का प्रयास होना चाहिए.

ऋषिकेश: उत्तराखंड के पहाड़ों की सुंदरता दुनिया से छिपी नहीं है, उसी तरह पहाड़ी व्यंजनों का अपना अलग ही क्रेज है, लेकिन आधुनिकता के इस दौर में स्वादिष्ट पहाड़ी व्यंजन विलुप्ति होने के कगार पर हैं. ऐसे में शेफ एसोसिएशन ऑफ उत्तराखण्ड ने एक व्यंजन प्रतियोगिता का आयोजन किया, जिसमें गढ़वाली मास्टर शेफ पहाड़ी व्यंजनों को विश्वभर में पहचान दिलाएंगे.

स्वाद और सेहत के खजाने को समेटे गढ़वाली व्यंजन का महत्व किसी की पहचान का मोहताज नहीं है. चाइनीज और फास्ट फूड के आधुनिक जमाने में पहाड़ी व्यंजन गुमनामी के साथ विलुप्त होने की कगार पर हैं. इसके लिए कुछ युवाओं ने शेफ एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के बैनर तले प्रदेश के कई जगहों पर गढ़वाली व्यजंनों की प्रतियोगिता आयोजित करवाई है.

पहाड़ी व्यंजन प्रतियोगिता का आगाज.

शेफ एसोसिएशन ऑफ उत्तराखण्ड ने रुड़की और ऋषिकेश में मास्टर शेफ देहरादून का ऑडिशन करवाया. इस निशुल्क ऑडिशन में महिलाओं ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया. ऋषिकेश में मास्टर शेफ देहरादून में चयन के बाद विजयी महिलाओं और शेफ को पुरस्कृत किया जाएगा. जिसके बाद शेफ एसोशिएशन ऑफ उत्तराखंड देशभर के कई शहरों और विदेशों में पहाड़ी व्यंजनों का जलवा बिखेरेगा.

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आयोजक विकास कुड़ियाल ने बताया कि स्वादिष्ठ पहाड़ी व्यंजनों को अगर पहचान दिलानी है तो लोगों को अपने स्तर के प्रयास करना चाहिये. साथ ही सरकारी स्तर पर भी पहाड़ी व्यंजनों को पर्यटन के साथ जड़ने का प्रयास होना चाहिए.

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ऋषिकेश--गढ़वाली मास्टर शेफ पहाड़ी व्यंजनों का विश्व भर में दिलाएंगे पहचान उत्तराखण्ड़ की पहाड़ियों की सुन्दरता दुनिया से छिपी नही हैं लेकिन सून्दर उत्तराखण्ड़ के पहाड़ी व्यंजनों का भी कोई मुकाबला नही है, परन्तु आधुनिकता की दौड़ में स्वादिष्ठ पहाड़ी व्यजंन अब विलुप्ति कगार पर हैं, ऐेसे में पहाड़ी व्यंजनों के लिए एक आशा की किरण नजर आ रही है ।




Body:वी/ओ--स्वाद और सेहत के खजाने को अपने में समेटे गढ़वाली व्यंजन वैसे तो किसी पहचान के मोहताज नही लेकिन चाईनिस और फास्ट फूड के आधुनिक जमाने में पहाड़ी व्यंजन गुमनामी में खोने के साथ ही विलुप्ती की कगार पर है, पहाड़ के इन्ही व्यंजनों को बचपन से देख रहे उत्तराखण्ड़ के पहाड़ो के 70 प्रतिशत युवा आज भी दुनिया भर में फैले होस्पिटलिटी व्यवसाय में नाम कमा रहे है, आज ऐसे ही कुछ युवाओं ने शेफ एसोशिएशन आॅफ उत्तराखण्ड़ के बैनर तले प्रदेश के कई जगहों पर गढ़वाली व्यजंनों की प्रतियोगिता कराई जा रही है- 



बाईट- मधू रतूड़ी, प्रतिभागी


वी/ओ--शेफ एसोशिएशन आॅफ उत्तराखण्ड द्वारा पहले रूड़की में और अब ऋषिकेश में मास्टर शेफ देहरादून ओडिशन करवाया गया है, ओडिशन में लोगों की ज्यादा से ज्यादा भागादारी के लिए इसे किसी भी प्रकार का शुल्क नही रखा गया, ऐसे में पहाड़ की महिलाओं के साथ ही गंढ़वाली व्यंजनों के कई शौकीन आॅडीशन में बढ़चढ कर हिस्सा ले रहे है, ऋषिकेश में मास्टर शेफ देहरादून के चयन के बाद, बेहतर पहाड़ी व्यजंन बनाने वाली महिलाओं और शेफ को पुरूष्कृत किया जायेगा, जिसके बाद शेफ एसोशिएशन आॅफ उत्तराखण्ड द्वारा देश भर के कई शहरों और विदेशों में पहाड़ी व्यजनों ओडीशन कराये जाने की तैयारी की जा रही है-


बाईट- विकास कुडियाल, आयोजक। 


वी/ओ--पर्यटन प्रदेश उत्तराखण्ड़ में स्वादिष्ठ पहाड़ी व्यंजनों को अगर पहचान दिलानी है तो लोगों के अपने स्तर के प्रयासों के साथ-साथ सरकार स्तर पर भी पहाड़ी व्यंजनों को पर्यटन के साथ जोड़ने कर प्रयास होना चाहिए, तभी दुनियाॅ पहाड़ के अनमोल खजाने से रू-ब-रू हो पायेगी।गौरतलब है की देश और विदेश में गढ़वाल के शैफ बड़ी संख्या में अपनी सेवायें से रहे हैं ।





Conclusion:वी/ओ--पहाड़ व्यंजनों में होता है स्वाद व सेहत का खजाना। 

ये हैं प्रमुख पहाडी व्यंजन - पहाड़ी चावल, भांग की चटनी, मंढवे की रोटी, जखिया में भुने चावल, आलू का झोल, कापली, फाणु का साग, बाड़ी, चैंसा, अरसा, सिंगौड़ी, काछमौली, झगोरा की खीर, छंछेड़ा।

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