ETV Bharat / state

11 साल पहले ताड़मेटला नक्सली हमले में शहीद टीकम की पत्नी के हौसले बुलंद, बेटे को बनाएंगी CRPF अधिकारी

author img

By

Published : Apr 2, 2021, 4:24 PM IST

Updated : Apr 8, 2021, 12:31 PM IST

छत्तीसगढ़ के ताड़मेटला नक्सली हमले को 11 साल हो गए. एक दशक बाद भी शहीद जवानों के परिजनों का जख्म ताजे हैं. इस हमले में उत्तराखंड के देहरादून जिले के रहने वाले टीकम सिंह चौहान भी शहीद हुए थे. उनके जाने के बाद परिवार की मानों खुशियां आधी हो गई हों.

शहीद टीकम सिंह की पत्नी के हौसले बुलंद
शहीद टीकम सिंह की पत्नी के हौसले बुलंद

विकासनगर: सीआरपीएफ की 62 बटालियन के टीकम सिंह चौहान 6 अप्रैल 2010 को वाहिनी की एक कंपनी छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के जंगलों के समीप गश्त लगा रही थी, तभी लगभग 700 नक्सलियों ने उन पर घात लगाकर हमला किया और अंधाधुंध फायरिंग करने लगे. इस हमले में सिपाही टीकम सिंह ने साहस एवं वीरता का परिचय देते हुए बड़ी ही बहादुरी के साथ नक्सलियों का मुकाबला किया. उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना आखिरी सांस तक लड़ते रहे और वीरगति को प्राप्त हुए.

नक्सली हमले में शहीद हुए थे टीकम

देहरादून के चकराता तहसील के जामुवा गांव के रहने वाले शहीद सीआरपीएफ जवान टीकम सिंह चौहान पांच बहनों और दो भाइयों में पांचवें नंबर के थे. 18 साल की उम्र में वे सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे. अप्रैल 2009 में वे कमलेश चौहान के साथ शादी के बंधन में बंधे. अगले साल जनवरी 2010 में उनके घर पर बेटे ने जन्म लिया. बेटा करीब ढाई महीने का हुआ था कि उसके सिर से पिता का साया उठ गया. 6 अप्रैल 2010 को ताड़मेटला में गश्त पर निकले जवानों में टीकम सिंह भी शामिल थे, जो नक्सलियों का मुकाबला करते हुए शहीद हुए थे.

11 साल पहले छत्तीसगढ़ ताड़मेटला नक्सली हमले में शहीद हुए थे टीकम सिंह

शहीद की पत्नी कमलेश चौहान की चुनौतियां

11 साल पहले नक्सली हमले में टीकम सिंह शहीद हो गए. टीकम सिंह की पत्नी कमलेश चौहान ने ढाई महीने के बच्चे का पालन पोषण किया और आज वह एक प्राइवेट स्कूल में पांचवी क्लास में पढ़ाई कर रहा है. कमलेश चौहान बताती हैं कि इन 11 सालों में कई समस्याओं से उन्हें जूझना पड़ा. पुत्र अमर सिंह चौहान के कभी बीमार पड़ने पर बड़ी समस्या आती थी. शहीद टीकम सिंह के परिवार के लोग बताते हैं कि सरकार ने समय-समय पर उनकी मदद की है. कमलेश चौहान अपने परिवार की देखरेख के साथ-साथ ही घर के काम भी बखूबी निभा रही हैं. साथ ही अपने पुत्र को सीआरपीएफ अधिकारी बनने के लिए प्रेरित कर रही हैं. ताकि वह भी देश की सेवा कर सकें.

ये भी पढ़ें: संसार से विदा हुए वीरेंद्र अरोड़ा, लेकिन दुनिया देखती रहेंगी उनकी आंखें

सरकार और CRPF ने की भरपूर मदद

शहीद टीकम सिंह की पत्नी कमलेश चौहान ने बताया कि सरकार और सीआरपीएफ ने काफी मदद की.बच्चे की पढ़ाई का खर्च, पेंशन, कैंटीन कार्ड, रेल पास सबकुछ मदद की जा रही है. समय-समय पर सीआरपीएफ के अधिकारी भी हालचाल पूछने आ जाते हैं. कमलेश चौहान ने बताया कि वे चाहती हैं कि उनका बेटा अच्छी शिक्षा गृहण कर सीआरपीएफ में अधिकारी बने.

पिता की तरह बेटा बनना चाहता है CRPF अधिकारी

शहीद टीकम सिंह की पत्नी कमलेश चौहान शहीद की माता बुरगी देवी, चाचा गंगारा और 12 साल के बेटे के साथ रहती हैं. शहीद टीकम सिंह के बेटा अमर सिंह विकास नगर में पांचवीं क्लास की पढ़ाई कर रहा है. जब वो ढाई महीने का था, तब उसके सिर से पिता का साया उठ गया था. उसने अपने पिता को तो नहीं देखा. लेकिन पिता की तरह देश की सेवा करना चाहता है. वो सीआरपीएफ में अधिकारी बनना चाहता है.

बेटे की शहादत पर गर्व

शहीद टीकम सिंह के परिजनों आज भी अपने बेटे को याद करते उनके आंखों से आंसू निकल आते हैं. उन्हें गर्व भी है कि उनका बेटा देश सेवा में कुर्बाना हो गया. इन एक दशक में बहुत कुछ बदला है. लेकिन उस हमले का दर्द, आंसू, संघर्ष और जिंदगी से लड़ते हुए आगे बढ़ने का जुनून शहीद के परिवार वालों में देखा जा सकता है.

विकासनगर: सीआरपीएफ की 62 बटालियन के टीकम सिंह चौहान 6 अप्रैल 2010 को वाहिनी की एक कंपनी छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के जंगलों के समीप गश्त लगा रही थी, तभी लगभग 700 नक्सलियों ने उन पर घात लगाकर हमला किया और अंधाधुंध फायरिंग करने लगे. इस हमले में सिपाही टीकम सिंह ने साहस एवं वीरता का परिचय देते हुए बड़ी ही बहादुरी के साथ नक्सलियों का मुकाबला किया. उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना आखिरी सांस तक लड़ते रहे और वीरगति को प्राप्त हुए.

नक्सली हमले में शहीद हुए थे टीकम

देहरादून के चकराता तहसील के जामुवा गांव के रहने वाले शहीद सीआरपीएफ जवान टीकम सिंह चौहान पांच बहनों और दो भाइयों में पांचवें नंबर के थे. 18 साल की उम्र में वे सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे. अप्रैल 2009 में वे कमलेश चौहान के साथ शादी के बंधन में बंधे. अगले साल जनवरी 2010 में उनके घर पर बेटे ने जन्म लिया. बेटा करीब ढाई महीने का हुआ था कि उसके सिर से पिता का साया उठ गया. 6 अप्रैल 2010 को ताड़मेटला में गश्त पर निकले जवानों में टीकम सिंह भी शामिल थे, जो नक्सलियों का मुकाबला करते हुए शहीद हुए थे.

11 साल पहले छत्तीसगढ़ ताड़मेटला नक्सली हमले में शहीद हुए थे टीकम सिंह

शहीद की पत्नी कमलेश चौहान की चुनौतियां

11 साल पहले नक्सली हमले में टीकम सिंह शहीद हो गए. टीकम सिंह की पत्नी कमलेश चौहान ने ढाई महीने के बच्चे का पालन पोषण किया और आज वह एक प्राइवेट स्कूल में पांचवी क्लास में पढ़ाई कर रहा है. कमलेश चौहान बताती हैं कि इन 11 सालों में कई समस्याओं से उन्हें जूझना पड़ा. पुत्र अमर सिंह चौहान के कभी बीमार पड़ने पर बड़ी समस्या आती थी. शहीद टीकम सिंह के परिवार के लोग बताते हैं कि सरकार ने समय-समय पर उनकी मदद की है. कमलेश चौहान अपने परिवार की देखरेख के साथ-साथ ही घर के काम भी बखूबी निभा रही हैं. साथ ही अपने पुत्र को सीआरपीएफ अधिकारी बनने के लिए प्रेरित कर रही हैं. ताकि वह भी देश की सेवा कर सकें.

ये भी पढ़ें: संसार से विदा हुए वीरेंद्र अरोड़ा, लेकिन दुनिया देखती रहेंगी उनकी आंखें

सरकार और CRPF ने की भरपूर मदद

शहीद टीकम सिंह की पत्नी कमलेश चौहान ने बताया कि सरकार और सीआरपीएफ ने काफी मदद की.बच्चे की पढ़ाई का खर्च, पेंशन, कैंटीन कार्ड, रेल पास सबकुछ मदद की जा रही है. समय-समय पर सीआरपीएफ के अधिकारी भी हालचाल पूछने आ जाते हैं. कमलेश चौहान ने बताया कि वे चाहती हैं कि उनका बेटा अच्छी शिक्षा गृहण कर सीआरपीएफ में अधिकारी बने.

पिता की तरह बेटा बनना चाहता है CRPF अधिकारी

शहीद टीकम सिंह की पत्नी कमलेश चौहान शहीद की माता बुरगी देवी, चाचा गंगारा और 12 साल के बेटे के साथ रहती हैं. शहीद टीकम सिंह के बेटा अमर सिंह विकास नगर में पांचवीं क्लास की पढ़ाई कर रहा है. जब वो ढाई महीने का था, तब उसके सिर से पिता का साया उठ गया था. उसने अपने पिता को तो नहीं देखा. लेकिन पिता की तरह देश की सेवा करना चाहता है. वो सीआरपीएफ में अधिकारी बनना चाहता है.

बेटे की शहादत पर गर्व

शहीद टीकम सिंह के परिजनों आज भी अपने बेटे को याद करते उनके आंखों से आंसू निकल आते हैं. उन्हें गर्व भी है कि उनका बेटा देश सेवा में कुर्बाना हो गया. इन एक दशक में बहुत कुछ बदला है. लेकिन उस हमले का दर्द, आंसू, संघर्ष और जिंदगी से लड़ते हुए आगे बढ़ने का जुनून शहीद के परिवार वालों में देखा जा सकता है.

Last Updated : Apr 8, 2021, 12:31 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.