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देहरादून के शहीद मेजर चित्रेश और मेजर विभूति को मिला वीरता का सम्मान

देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले शहीद मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल को मरणोपरांत शौर्य चक्र मिला है. वहीं शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट को मरणोपरांत सेना मेडल से सम्मानित किया गया है.

उत्तराखंड के दो शहीदो को वीरता का सम्मान.
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Published : Aug 14, 2019, 9:04 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड राज्य एक बार फिर देशभर में गौरवान्वित हुआ है. मातृभूमि के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर करने वाले शहीद मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल और मेजर चित्रेश बिष्ट की वीरता को सम्मान दिया गया है. शहीद मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल को शौर्य चक्र मिला है तो वहीं शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट को सेना मेडल का सम्मान दिया गया है. देहरादून निवासी यह दोनों युवा सेना अधिकारी इसी साल फरवरी में देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए थे.

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पुलवामा हमले में शहीद हुए थे मेजर विभूति

शहीद मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल देहरादून के नेशविला रोड (डंगवाल मार्ग) के रहने वाले थे. बीती 18 फरवरी को पुलवामा में हुए आंतकी हमले में वह शहीद हो गए थे. जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को आतंकवादियों ने सीआरपीएफ पर हमला किया था. सेना के जवानों ने जैश के दो खूंखार आतंकवादियों को मार गिराया था. 34 वर्षीय मेजर विभूति ढौंडियाल सेना के 55 आरआर (राष्ट्रीय राइफल) में तैनात थे. वह तीन बहनों के इकलौते भाई थे. वहीं, उनके शहीद होने के बाद रक्षा बंधन के अवसर पर उनकी बहनों की आंखें नम हैं. पिछले साल अप्रैल में उनकी शादी हुई थी. मेजर ढौंडियाल मूलरूप से पौड़ी जिले के बैजरों ढौंड गांव के निवासी थे.

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नौशेरा में आइईडी ब्लास्ट में शहीद हुए थे मेजर चित्रेश बिष्ट

शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट देहरादून के ओल्ड नेहरू कॉलोनी के रहने वाले थे. बीती 16 फरवरी को राजौरी के नौशेरा सेक्टर में हुए आइईडी ब्लास्ट में वह शहीद हो गए थे. इंजीनियरिंग कोर में तैनात मेजर चित्रेश बिष्ट को आइइडी डियूज्ड करने में महारथ हासिल थी, लेकिन इसी बीच आइइडी ब्लास्ट होने से वह शहीद हो गए. मेजर चित्रेश बिष्ट मूलरूप से जनपद अल्मोड़ा के रानीखेत के पिपली गांव के रहने वाले थे. शहीद चित्रेश बिष्ट की उम्र 28 साल थी. उनकी शहादत की खबर उस समय आई जब उनके घर पर शादी की तैयारियां चल रही थी.

देहरादून: उत्तराखंड राज्य एक बार फिर देशभर में गौरवान्वित हुआ है. मातृभूमि के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर करने वाले शहीद मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल और मेजर चित्रेश बिष्ट की वीरता को सम्मान दिया गया है. शहीद मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल को शौर्य चक्र मिला है तो वहीं शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट को सेना मेडल का सम्मान दिया गया है. देहरादून निवासी यह दोनों युवा सेना अधिकारी इसी साल फरवरी में देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए थे.

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पुलवामा हमले में शहीद हुए थे मेजर विभूति

शहीद मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल देहरादून के नेशविला रोड (डंगवाल मार्ग) के रहने वाले थे. बीती 18 फरवरी को पुलवामा में हुए आंतकी हमले में वह शहीद हो गए थे. जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को आतंकवादियों ने सीआरपीएफ पर हमला किया था. सेना के जवानों ने जैश के दो खूंखार आतंकवादियों को मार गिराया था. 34 वर्षीय मेजर विभूति ढौंडियाल सेना के 55 आरआर (राष्ट्रीय राइफल) में तैनात थे. वह तीन बहनों के इकलौते भाई थे. वहीं, उनके शहीद होने के बाद रक्षा बंधन के अवसर पर उनकी बहनों की आंखें नम हैं. पिछले साल अप्रैल में उनकी शादी हुई थी. मेजर ढौंडियाल मूलरूप से पौड़ी जिले के बैजरों ढौंड गांव के निवासी थे.

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नौशेरा में आइईडी ब्लास्ट में शहीद हुए थे मेजर चित्रेश बिष्ट

शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट देहरादून के ओल्ड नेहरू कॉलोनी के रहने वाले थे. बीती 16 फरवरी को राजौरी के नौशेरा सेक्टर में हुए आइईडी ब्लास्ट में वह शहीद हो गए थे. इंजीनियरिंग कोर में तैनात मेजर चित्रेश बिष्ट को आइइडी डियूज्ड करने में महारथ हासिल थी, लेकिन इसी बीच आइइडी ब्लास्ट होने से वह शहीद हो गए. मेजर चित्रेश बिष्ट मूलरूप से जनपद अल्मोड़ा के रानीखेत के पिपली गांव के रहने वाले थे. शहीद चित्रेश बिष्ट की उम्र 28 साल थी. उनकी शहादत की खबर उस समय आई जब उनके घर पर शादी की तैयारियां चल रही थी.

Intro:उत्तराखंड राज्य का एक बार फिर देशभर में मान बढ़ा है। अपनी मातृभूमि के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर करने वाले शहीद मेजर विभूति शंकर धौंडियाल और मेजर चित्रेश बिष्ट की वीरता को सम्मान मिला है शहीद मेजर विभूति शंकर धोंडियाल को शहीद होने के बाद "शौर्य चक्र" मिला है तो वहीं शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट को शहीद होने के बाद "सेना मेडल" दी गई है। देहरादून निवासी यह दोनों युवा सेना अधिकारी इसी साल फरवरी में देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए थे।


Body:गौर हो कि जम्मू कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को सीआरपीएफ की टुकड़ी पर आतंकवादियों के हमला करने के बाद 18 फरवरी को आतंकवादियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ हुई थी जिसमें शहीद मेजर विभूति शंकर धौंडियाल शहीद हो गए थे। तो वही 16 फरवरी को शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट, आतंकियों द्वारा लगाए गए इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस को डिफ्यूज करने के दौरान आईईडी ब्लास्ट होने से मेजर चित्रेश बिष्ट शहीद हो गए थे। 



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