विकासनगर: उत्तराखंड की सुंदर वादियों में देवी देवताओं का वास है. जनजाति क्षेत्र जौनसार बाबर की बात की जाए तो यहां जनजाति लोग अपने देवी-देवताओं के प्रति अटूट आस्था रखते हैं. इसी कड़ी में चकराता से लगभग 20 किलोमीटर दूरी पर इंद्रोली गांव स्थित प्राचीन महाकाली मंदिर में आस्था का सैलाब उमड़ा है. महाकाली के दर्शन के लिए श्रद्धालु कई किलोमीटर की दूरी नंगे पांव तय करके मंदिर पहुंच रहे हैं.
मां के दर्शनों के लिए भक्त हिमाचल,गढ़वाल, उत्तरप्रदेश ,दिल्ली, हरियाणा और पंजाब से दर्शनों के लिए पहुंचते हैं. जौनसार बावर के कई गांवों के श्रद्धालु कई किलोमीटर नंगे पांव पैदल चलकर मां के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंचते हैं. माना जाता है कि जो भी श्रद्धालु सच्ची श्रद्धा और भक्ति से माता रानी के मंदिर में मनौती मांगता है उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है.
महाकाली मंदिर समिति के सदस्य टीकम सिंह रावत ने बताया कि यह मंदिर प्राचीन समय से स्थापित है. वैसे तो कई मंदिर अन्य स्थानों पर भी हैं, लेकिन इस मंदिर की मान्यता अलग है. जो भी श्रद्धालु यहां अपनी मनौती लेकर आता है. वह पूरी हो जाती है. उन्होंने बताया कि प्रत्येक वर्ष जेठ माह में हर रविवार को महाकाली मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगता है. यहां आने से निसंतान दंपत्ति को संतान की प्राप्ति होती है.
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श्रद्धालुओं ने बताया महाकाली मंदिर में प्रत्येक वर्ष जेष्ठ महीने में मां के दर्शन के लिए आते हैं, जो भी सच्ची श्रद्धा और भक्ति भाव से अपनी मुराद मां के चरणों में रखता है उनकी माता रानी हर मुरादें पूरी करती हैं. वहीं, 12 किलोमीटर पैदल चलकर मां का दीदार करने पहुंची 5 कन्याओं ने बताया कि मां के प्रति सच्ची आस्था और लगन है, इसलिए वह नंगे पांव पैदल चलकर मां के दर्शनों के लिए आई हैं.
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