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आज हाईकोर्ट में इन महत्वपूर्ण मामलों पर होगी सुनवाई, कुलपति भंडारी केस पर भी नजर

नैनीताल हाईकोर्ट में आज कुलपति नरेंद्र सिंह भंडारी की नियुक्त को लेकर सुनवाई होनी है. साथ ही शिवालिक एलिफेंट कॉरिडोर, राजाजी नेशनल पार्क के बहुमूल्य पेड़ काटे जाने को लेकर दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई होनी है.

Nainital High Court
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Published : Aug 25, 2021, 9:27 AM IST

Updated : Aug 25, 2021, 9:39 AM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट में आज कई मामलों पर सुनवाई होनी है. इन मामलों में नरेंद्र सिंह भंडारी को सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किये जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई होगी. साथ ही शिवालिक एलिफेंट कॉरिडोर को विकास के नाम पर डी नोटिफाइड करने के खिलाफ दायर की गई जनहित याचिका पर भी सुनवाई होनी है.

इसके साथ ही देहरादून दिल्ली नेशनल हाइवे के चौड़ीकरण में राजाजी नेशनल पार्क के 2500 से अधिक बहुमूल्य पेड़ काटे जाने के खिलाफ भी होईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. उस याचिका पर आज सुनवाई होनी है. वहीं, बागेश्वर में सरयू नदी भारी मशीनों से खनन किए जाने के मामले पर आज सुनवाई होनी है.

पढ़ें- CM धामी का निराला है अंदाज, धरने पर बैठे विपक्षी विधायकों से मिले और मना लिया

शिवालिक एलिफेंट कॉरिडोर मामला: नैनीताल हाईकोर्ट में शिवालिक एलिफेंट कॉरिडोर के विकास के नाम पर डी नोटिफाइड करने के खिलाफ याचिका दायर की गई है. कोर्ट ने सरकार के इस डी नोटिफिकेशन के आदेश पर रोक लगा रखी है. याचिकाकर्ता का कहना है कि रिजर्व शिवालिक एलीफेंट कॉरिडोर 2002 से रिजर्व एलिफेंट कॉरिडोर की श्रेणी में शामिल है, जो करीब 5405 वर्ग किलोमीटर में फैला है. यह वन्य जीव बोर्ड द्वारा ही नोटिफाइड किया गया एरिया है. उसके बाद भी बोर्ड इसे डीनोटिफाइड करने की अनुमति कैसे दे सकता है, जबकि एलिफेंट इस एरिया से नेपाल तक जाते हैं.

पिछली सुनवाई के दौरान सरकार ने कोर्ट को बताया था कि इस पर उन्हें फॉरेस्ट विभाग से नो ऑब्जेक्शन (अनापत्ति) प्रमाण पत्र मिला हुआ है. इसके साथ ही सदस्य सचिव राज्य वन्य जीव बोर्ड जे. सुहाग व्यक्तिगत रूप से भी कोर्ट कोर्ट में पेश हुए थे. उनसे कोर्ट ने पूछा था कि केंद्र सरकार व जैव विविधता पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए क्या कदम उठा रही है ?

25,00 पेड़ काटने का मामला: देहरादून-दिल्ली हाईवे चौड़ीकरण में करीब ढाई हजार साल के पेड़ काटने के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. इस पर न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में सुनवाई चल रही है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि विकास के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में संतुलन जरूरी है. साथ ही कोर्ट ने एनएचएआई से पूछा था कि इन पेड़ों को बचाने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं ? इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस मामले में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए थे.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट में आज कई मामलों पर सुनवाई होनी है. इन मामलों में नरेंद्र सिंह भंडारी को सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किये जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई होगी. साथ ही शिवालिक एलिफेंट कॉरिडोर को विकास के नाम पर डी नोटिफाइड करने के खिलाफ दायर की गई जनहित याचिका पर भी सुनवाई होनी है.

इसके साथ ही देहरादून दिल्ली नेशनल हाइवे के चौड़ीकरण में राजाजी नेशनल पार्क के 2500 से अधिक बहुमूल्य पेड़ काटे जाने के खिलाफ भी होईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. उस याचिका पर आज सुनवाई होनी है. वहीं, बागेश्वर में सरयू नदी भारी मशीनों से खनन किए जाने के मामले पर आज सुनवाई होनी है.

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शिवालिक एलिफेंट कॉरिडोर मामला: नैनीताल हाईकोर्ट में शिवालिक एलिफेंट कॉरिडोर के विकास के नाम पर डी नोटिफाइड करने के खिलाफ याचिका दायर की गई है. कोर्ट ने सरकार के इस डी नोटिफिकेशन के आदेश पर रोक लगा रखी है. याचिकाकर्ता का कहना है कि रिजर्व शिवालिक एलीफेंट कॉरिडोर 2002 से रिजर्व एलिफेंट कॉरिडोर की श्रेणी में शामिल है, जो करीब 5405 वर्ग किलोमीटर में फैला है. यह वन्य जीव बोर्ड द्वारा ही नोटिफाइड किया गया एरिया है. उसके बाद भी बोर्ड इसे डीनोटिफाइड करने की अनुमति कैसे दे सकता है, जबकि एलिफेंट इस एरिया से नेपाल तक जाते हैं.

पिछली सुनवाई के दौरान सरकार ने कोर्ट को बताया था कि इस पर उन्हें फॉरेस्ट विभाग से नो ऑब्जेक्शन (अनापत्ति) प्रमाण पत्र मिला हुआ है. इसके साथ ही सदस्य सचिव राज्य वन्य जीव बोर्ड जे. सुहाग व्यक्तिगत रूप से भी कोर्ट कोर्ट में पेश हुए थे. उनसे कोर्ट ने पूछा था कि केंद्र सरकार व जैव विविधता पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए क्या कदम उठा रही है ?

25,00 पेड़ काटने का मामला: देहरादून-दिल्ली हाईवे चौड़ीकरण में करीब ढाई हजार साल के पेड़ काटने के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. इस पर न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में सुनवाई चल रही है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि विकास के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में संतुलन जरूरी है. साथ ही कोर्ट ने एनएचएआई से पूछा था कि इन पेड़ों को बचाने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं ? इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस मामले में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए थे.

Last Updated : Aug 25, 2021, 9:39 AM IST
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