देहरादून: नैनीताल में बैलपड़ाव और उधम सिंह नगर के बाजपुर में प्रवासी पक्षियों के लिए बनाए जा रहे कम्युनिटी रिजर्व में लगातार हो रहे अवैध खनन को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद मेनका गांधी ने सवाल उठाए हैं. सांसद मेनका गांधी ने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को पत्र लिखा है.
कम्युनिटी रिजर्व की आड़ में हो रहा अवैध खनन
मेनका गांधी ने कुमाऊं क्षेत्र में बनाए जा रहे कम्युनिटी रिजर्व की आड़ में लगातार हो रहे अवैध खनन को लेकर सवाल खड़े किए हैं. इस मामले पर उन्होंने मुख्यमंत्री तीरथ रावत को पत्र लिखकर आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है. बता दें, मेनका गांधी ने नैनीताल और उधम सिंह नगर में बनाए जा रहे कम्युनिटी रिजर्व को लेकर पहले भी शिकायत की थी. आज तक उसकी जांच रिपोर्ट उनको नहीं मिल पाई है.
अफसरों पर खनन माफिया से मिलीभगत का आरोप
मेनका गांधी ने पत्र में लिखा है कि प्रमुख सचिव वन एवं पर्यावरण द्वारा जारी किए गए शासनादेशों में जिस जगह पर प्रवासी वासियों पक्षियों के लिए कम्युनिटी रिजर्व बनाया जाना था, वहां पर केवल खनन किया जा रहा है. इसमें कुछ अधिकारियों की भी मिलीभगत है. उन्होंने कम्युनिटी रिजर्व का शासनादेश रद्द करने की सिफारिश भी की है.
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मेनका गांधी के सवाल
- क्या खोदकर बनाए गए तालाब में प्रवासी पक्षी लाए जा सकते हैं ?
- इसको लेकर क्या कोई सर्वे किया गया है ?
- यहां पर प्रवासी पक्षी किस जगह से आते हैं ?
- क्या इसको लेकर कोई शोध किया गया है ?
नेता, अफसर और खनन माफिया का गठजोड़
नैनीताल जिले के बैलपड़ाव और उधमसिंह नगर के बाजपुर में माइग्रेटरी बर्ड कम्युनिटी रिजर्व बनाने का आदेश हुआ है. सरकार का दावा है कि दोनों स्थानों पर ऐसी झील होगी जहां प्रवासी पक्षी आ सकेंगे. लेकिन मेनका का कहना है कि माइग्रेटरी बर्ड ऐसे नहीं आती हैं. यह सारा खेल खनन माफिया को फायदा पहुंचाने के लिए किया जा रहा है. ऐसा करने से आसपास के क्षेत्रों में वन्य जंतुओ का जीवन प्रभावित होगा. कुल मिलाकर यह पूरा मामला नेता, अफसर और खनन माफिया का गठजोड़ प्रतीत हो रहा है.
त्रिवेंद्र रावत सरकार के समय का है फैसला
यह मामला त्रिवेंद्र रावत सरकार के समय का है. तब इस तरह की तैयारी की गयी थी कि बैलपड़ाव और बाजपुर में माइग्रेटरी बर्ड कम्युनिटी रिजर्व का निर्माण किया जाये.
मेनका ने 26 अक्टूबर 2020 को त्रिवेंद्र से भी पूछा था प्रश्न
7 अगस्त 2020 को इस कार्य का शासनादेश जारी किया गया था. सांसद मेनका गांधी ने 26 अक्टूबर को तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पत्र लिखकर पूछा था कि क्या इन दोनों स्थानों (बैलपड़ाव और बाजपुर) में माइग्रेटेड पक्षियों का आना जाना है? यदि आते हैं तो कौन-कौन से माइग्रेटेड पक्षी यहां आते हैं?
कृत्रिम जल निकाय बनाकर पारिस्थितिकी तंत्र तैयार होने में सालों लग जाते हैं. जिन स्थानों पर माइग्रेटरी बर्ड कम्युनिटी रिजर्व बनाने का फैसला लिया गया है, वो खनन माफिया द्वारा तैयार कराया गया है.
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मेनका के पत्र का त्रिवेंद्र ने नहीं दिया था संतोषजनक जवाब
मेनका के इस पत्र का कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला था. अभी तक शासनादेश भी वापस नहीं हुआ है. इसी दौरान उत्तराखंड में सत्ता परिवर्तन हो गया और मामला ठंडे बस्ते में चला गया. अब मेनका गांधी ने मामले को फिर से जिंदा कर दिया है. इससे उत्तराखंड की राजनीति फिर से गर्माने की उम्मीद है.
उत्तराखंड सरकार को मेनका गांधी का दूसरा पत्र
सांसद मेनका गांधी द्वारा उत्तराखंड सरकार को भेजा गया यह दूसरा पत्र है. आपको बता दें कि इससे पहले भी एक पत्र पिछले वर्ष दिवाली से ठीक पहले मेनका गांधी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को लिखा था. उस समय उत्तराखंड में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत थे और शासकीय प्रवक्ता के रूप में कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका में थे. आज एक बार फिर से मेनका गांधी द्वारा भेजा गया यह एक रिमाइंडर पत्र है. इस पर जब हमने अब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बन चुके मदन कौशिक से जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने इस मामले से खुद को बिल्कुल अनभिज्ञ बताया और कहा कि उनके संज्ञान में यह मामला नहीं है. हालांकि, जब उनसे पूछा गया कि बतौर उनके सरकार में रहते मेनका गांधी का पहला लेटर आया था तो उस पर उन्होंने कहा कि सरकार इस पर उचित कार्रवाई कर रही है और जल्द ही सरकार इस मामले को लेकर कोई सख्त कदम उठाएगी.
कांग्रेस को मिला घेरने का मौका
वहीं, इस मामले पर कांग्रेस लगातार सरकार को घेर रही है. कांग्रेस की वरिष्ठ प्रवक्ता गरिमा दसोनी का कहना है कि यह पहला मामला नहीं है जब सरकार के ही किसी व्यक्ति द्वारा सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर किया गया हो बल्कि इससे पहले भी कई बार भाजपा के कई विधायक प्रदेश में फैले भ्रष्टाचार पर अपनी आवाज उठा चुके हैं लेकिन सरकार को चलाने वाले सत्ता में इतने मस्त है कि उन्हें किसी की आवाज सुनाई नहीं देती.