देहरादून: कुंभ कोविड टेस्ट फर्जीवाड़े के तार भाजपा के नेताओं से जुड़ रहे हैं. क्योंकि पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर फर्जी कोविड-19 टेस्ट करने वाली कंपनी के संचालक की फोटो बीजेपी के कई बड़े नेताओं के साथ वायरल हो रही है.
इस पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा है कि किसी के द्वारा फोटो खिंचवाना एक सामान्य प्रक्रिया है और राजनीतिक क्षेत्र में यह आम बात है. इसके साथ ही मदन कौशिक ने कहा कि किसी भी बड़े नेता के साथ फोटो खिंचवाने से कोई आरोपी बच नहीं सकता है.
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साथ ही उन्होंने कहा कि वो सरकार को बधाई देना चाहते हैं कि सरकार ने इस मामले पर तत्काल कार्रवाई करते हुए एसआईटी गठित की है. मामले की उच्चस्तरीय जांच चल रही है. उन्होंने कहा कि इस मामले में जो भी आरोपी होगा उसे किसी भी कीमत पर छोड़ा नहीं जाएगा.
क्या है मामला
बता दें कि कुंभ मेला 2021 के दौरान हरिद्वार आने वाले श्रद्धालुओं की एक प्राइवेट लैब द्वारा की गई कोरोना जांच अब सवालों के घेरे में आ गई है. क्योंकि कुंभ मेले के दौरान किए गए 1 लाख कोरोना टेस्ट रिपोर्ट फर्जी मिले हैं. प्राइवेट लैब द्वारा फर्जी तरीके से श्रद्धालुओं की जांच कर कुंभ मेला प्रशासन को लाखों रुपए का चूना लगाने का प्रयास किया गया है. इस प्राइवेट लैब द्वारा एक ही फोन नंबर को कई श्रद्धालुओं की जांच रिपोर्ट में डाला गया है.
यही नहीं, कई जांच रिपोर्ट में एक ही आधार नंबर का इस्तेमाल किया गया है. वहीं, एक ही घर से सैकड़ों लोगों की जांच का मामला भी सामने आया है, जो असंभव सा लगता है, क्योंकि सैकड़ों लोगों की रिपोर्ट में घर का एक ही पता डाला गया है. इस मामले में हरिद्वार जिलाधिकारी सी रविशंकर ने जांच कमेटी का गठन कर 15 दिन में रिपोर्ट पेश के आदेश दिए थे.
ऐसा हुआ था खुलासा
हरिद्वार कुंभ में हुए टेस्ट के घपले का खुलासा पंजाब के रहने वाले एक एलआईसी एजेंट (LIC Agent) के माध्यम से हुआ है. पंजाब के फरीदकोट के रहने वाले एक शख्स विपन मित्तल ने हरिद्वार कुंभ में कोविड जांच घोटाले की पोल खोली. विपन मित्तल के मुताबिक उन्हें उत्तराखंड की एक लैब से फोन आया था, जिसमें उन्हें बताया गया कि 'आप की रिपोर्ट निगेटिव आई है'. जिसे सुनते ही वे भौचक्के रह गए. क्योंकि उन्होंने कोई कोरोना की कोई जांच ही नहीं कराई थी. ऐसे में विपन ने फौरन स्थानीय अधिकारियों को मामले की जानकारी दी. स्थानीय अधिकारियों के ढुलमुल रवैए को देखते हुए विपिन ने तुरंत भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) से शिकायत की.