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शारदीय नवरात्रि 2021: स्कंदमाता की ऐसे करें उपासना, मिलेगी सफलता - Navratri

आज शारदीय नवरात्र (Navratri 2021) का पांचवां दिन है. आज मां स्कंदमाता की पूजा-अर्चना की जाती है. ऐसी मान्यता है कि देवी स्कंदमाता को सफेद रंग बेहद पसंद है, जो शांति और सुख का प्रतीक है. इन्हें गौरी भी कहा जाता है.

skandamata maa
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Published : Oct 10, 2021, 7:53 AM IST

Updated : Oct 10, 2021, 8:58 AM IST

देहरादून: आदिशक्ति मां दुर्गा का पांचवां स्वरूप स्कंदमाता का है. नवरात्र के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. भगवान स्कंद की माता होने के कारण मां दुर्गा के इस स्वरूप को स्कंदमाता कहा जाता है.

स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं. उनकी दाहिनी तरफ की ऊपर वाली भुजा में भगवान स्कंद गोद में हैं. इनके दाहिने तरफ की नीचे वाली भुजा में जो ऊपर की ओर उठी हुई है, उसमें कमल पुष्प है. बाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा वर मुद्रा में और नीचे वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी हुई है, उसमें भी कमल पुष्प है. इनका वर्ण पूर्णतः शुभ्र है. मां कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं. यही कारण है कि इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है. इनका वाहन सिंह है.

मां की उपासना का महत्व: नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है. उनकी पूजा करने से सुख, ऐश्वर्य और मोक्ष प्राप्त होता है. इसके अलावा हर तरह की इच्छाएं भी पूरी होती हैं. ऐसी मान्यता है कि देवी स्कंदमाता को सफेद रंग बेहद पसंद है, जो शांति और सुख का प्रतीक है. ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार, देवी स्कंदमाता बुध ग्रह को नियंत्रित करती हैं. देवी की पूजा से बुध ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं. ये देवी अग्नि और ममता की प्रतीक मानी जाती हैं, इसलिए अपने भक्तों पर सदा आशीर्वाद बनाए रखती हैं.

स्कंदमाता को इन चीजों से लगाएं भोग: मां का स्वरूप हर किसी को आकर्षित करने वाला है, क्योंकि मां को सफेद वस्त्र, सफेद पुष्प और सफेद भोग स्वरूप चढ़ाई जाने वाली सामग्री बहुत पसंद है. इसलिए माता को नारियल, इससे बनी मिठाईयां, खीर, दूध अर्पण कर उन्हें बेला या टेंगरी के फूल चढ़ाए जाने चाहिए.

मां स्कंदमाता का मंत्र

सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया |
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ||

सच्चे भक्तों की मनोकामनाएं होती हैं पूर्ण: मान्यता है कि यदि कोई श्रद्धा और भक्तिपूर्वक मां स्कंदमाता की पूजा करता है, तो उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. महादेव की पत्नी होने के कारण माहेश्वरी और अपने गौर वर्ण के कारण गौरी के नाम से भी माता का पूजन किया जाता है. माता को अपने पुत्र से अधिक स्नेह है, जिस कारण इन्हें इनके पुत्र स्कन्द के नाम से भी पुकारा जाता है.

पढ़ें: हेमकुंड साहिब के कपाट शीतकाल के लिए आज होंगे बंद, इतने श्रद्धालु टेक चुके मत्था

संतान प्राप्ति के लिए करें पूजा

  • कहा जाता है कि असुरों के संहार के लिए कार्तिकेय का जन्म हुआ था, इसलिए जिन माताओं की संतान नहीं हैं, संतान की समृद्धि और संरक्षण के लिए उनको स्कंदमाता की आराधना करनी चाहिए.
  • किसी की कुडंली में मंगल दोष है, तो उसे दूर करने के लिए आज का दिन महत्वपूर्ण है.
  • स्कंदमाता का स्वरूप समस्त लोकायन मे सुख-समृद्धि देने वाला है.

पौराणिक कथा
तारकासुर का भी वध स्कंदमाता के द्वारा ही हुआ था. शेर पर सवार माता कमल के आसन पर भी विराजमान हैं. अतः माता को पद्मासना भी कहा जाता है. आज के दिन कमल फूल से मां की पूजा की जाती है. लाल गुलाब लाल पुष्प लाल गुलहड़ के द्वारा माता की पूजा की जाती है. माता को लाल गुलाब की माला भी चढ़ाई जा सकती है. निसंतान दंपत्ति आज के दिन माता की विशेष रूप से पूजा करें. उन्हें लाभ मिलता है. स्कंदमाता की आराधना से शत्रु पक्ष निर्बल हो जाते हैं. माता की चार भुजाएं उद्यम सील होने के लिए प्रेरित करती हैं.

देहरादून: आदिशक्ति मां दुर्गा का पांचवां स्वरूप स्कंदमाता का है. नवरात्र के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. भगवान स्कंद की माता होने के कारण मां दुर्गा के इस स्वरूप को स्कंदमाता कहा जाता है.

स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं. उनकी दाहिनी तरफ की ऊपर वाली भुजा में भगवान स्कंद गोद में हैं. इनके दाहिने तरफ की नीचे वाली भुजा में जो ऊपर की ओर उठी हुई है, उसमें कमल पुष्प है. बाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा वर मुद्रा में और नीचे वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी हुई है, उसमें भी कमल पुष्प है. इनका वर्ण पूर्णतः शुभ्र है. मां कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं. यही कारण है कि इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है. इनका वाहन सिंह है.

मां की उपासना का महत्व: नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है. उनकी पूजा करने से सुख, ऐश्वर्य और मोक्ष प्राप्त होता है. इसके अलावा हर तरह की इच्छाएं भी पूरी होती हैं. ऐसी मान्यता है कि देवी स्कंदमाता को सफेद रंग बेहद पसंद है, जो शांति और सुख का प्रतीक है. ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार, देवी स्कंदमाता बुध ग्रह को नियंत्रित करती हैं. देवी की पूजा से बुध ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं. ये देवी अग्नि और ममता की प्रतीक मानी जाती हैं, इसलिए अपने भक्तों पर सदा आशीर्वाद बनाए रखती हैं.

स्कंदमाता को इन चीजों से लगाएं भोग: मां का स्वरूप हर किसी को आकर्षित करने वाला है, क्योंकि मां को सफेद वस्त्र, सफेद पुष्प और सफेद भोग स्वरूप चढ़ाई जाने वाली सामग्री बहुत पसंद है. इसलिए माता को नारियल, इससे बनी मिठाईयां, खीर, दूध अर्पण कर उन्हें बेला या टेंगरी के फूल चढ़ाए जाने चाहिए.

मां स्कंदमाता का मंत्र

सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया |
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ||

सच्चे भक्तों की मनोकामनाएं होती हैं पूर्ण: मान्यता है कि यदि कोई श्रद्धा और भक्तिपूर्वक मां स्कंदमाता की पूजा करता है, तो उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. महादेव की पत्नी होने के कारण माहेश्वरी और अपने गौर वर्ण के कारण गौरी के नाम से भी माता का पूजन किया जाता है. माता को अपने पुत्र से अधिक स्नेह है, जिस कारण इन्हें इनके पुत्र स्कन्द के नाम से भी पुकारा जाता है.

पढ़ें: हेमकुंड साहिब के कपाट शीतकाल के लिए आज होंगे बंद, इतने श्रद्धालु टेक चुके मत्था

संतान प्राप्ति के लिए करें पूजा

  • कहा जाता है कि असुरों के संहार के लिए कार्तिकेय का जन्म हुआ था, इसलिए जिन माताओं की संतान नहीं हैं, संतान की समृद्धि और संरक्षण के लिए उनको स्कंदमाता की आराधना करनी चाहिए.
  • किसी की कुडंली में मंगल दोष है, तो उसे दूर करने के लिए आज का दिन महत्वपूर्ण है.
  • स्कंदमाता का स्वरूप समस्त लोकायन मे सुख-समृद्धि देने वाला है.

पौराणिक कथा
तारकासुर का भी वध स्कंदमाता के द्वारा ही हुआ था. शेर पर सवार माता कमल के आसन पर भी विराजमान हैं. अतः माता को पद्मासना भी कहा जाता है. आज के दिन कमल फूल से मां की पूजा की जाती है. लाल गुलाब लाल पुष्प लाल गुलहड़ के द्वारा माता की पूजा की जाती है. माता को लाल गुलाब की माला भी चढ़ाई जा सकती है. निसंतान दंपत्ति आज के दिन माता की विशेष रूप से पूजा करें. उन्हें लाभ मिलता है. स्कंदमाता की आराधना से शत्रु पक्ष निर्बल हो जाते हैं. माता की चार भुजाएं उद्यम सील होने के लिए प्रेरित करती हैं.

Last Updated : Oct 10, 2021, 8:58 AM IST
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