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एम्स ऋषिकेश में कैंसर के इलाज के लिए लंग क्लीनिक की शुरुआत

लंग कैंसर के मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए एम्स के पल्मोनरी विभाग में अलग से लंग क्लीनिक संचालित किया जा रहा है. लंग क्लीनिक प्रत्येक शुक्रवार को दिन में 2 से 4 बजे तक संचालित होगा.

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ऋषिकेश एम्स में कैंसर के लिए लंग क्लीनिक की शुरुआत
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Published : Sep 3, 2021, 7:37 PM IST

ऋषिकेश: यदि आप धूम्रपान करते हैं और लम्बे समय से खांसी की शिकायत के साथ थकान महसूस हो रही है, तो सावधान हो जाएं. यह लंग कैंसर के लक्षण हो सकते हैं. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश के विशेषज्ञ चिकित्सकों के अनुसार कैंसर से होने वाली मौतों में सर्वाधिक मौतें लंग कैंसर की वजह से होती हैं. ऐसे मरीजों के लिए एम्स ऋषिकेश में अब स्पेशल लंग क्लीनिक शुरू किया है. इस क्लीनिक का संचालन प्रत्येक शुक्रवार को किया जाएगा.

फेफड़े के कैंसर में फेफड़ों के किसी भाग में कोशिकाओं की अनियंत्रित व असामान्य वृद्धि होने लगती है. चिकित्सकों के अनुसार कई दफा फेफड़े के कैंसर का शुरुआती दौर में पता नहीं चल पाता. यह अंदर ही अंदर बढ़ता जाता है. लिहाजा इसके लक्षण अक्सर देर से पता चलते हैं.

पढ़ें- UKD ने BJP और कांग्रेस पर साधा निशाना, त्रिवेंद्र पंवार ने कहा- माफिया चला रहे हैं राज्य

एम्स निदेशक प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि फेफड़े का कैंसर एक गंभीर बीमारी है. लेकिन आधुनिक मेडिकल साइंस में हुई प्रगति के कारण अब कैंसर से छुटकारा संभव है. लक्षणों के आधार पर समय पर उपचार शुरू कर दिए जाने से कैंसर की गंभीर स्थिति से बचाव किया जा सकता है. उन्होंने बताया एम्स ऋषिकेश में लंग कैंसर के लिए स्पेशल क्लीनिक संचालित किया जा रहा है. इस बीमारी के समुचित इलाज के लिए एम्स में सभी तरह की आधुनिक मेडिकल सुविधाएं और विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम उपलब्ध है.

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पल्मोनरी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. मयंक मिश्रा ने बताया कि बीड़ी-सिगरेट आदि धूम्रपान का सेवन करना फेफड़ों के कैंसर का सबसे बड़ा कारण है. इसके अलावा विभिन्न प्रकार के तम्बाकू उत्पाद, खैनी, गुटखा, सिगार का सेवन करने, धुएं के संपर्क में रहने, घर या कार्य स्थल पर एस्बेस्टस या रेडॉन जैसे पदार्थों के संपर्क में आने और पारिवारिक इतिहास होने के कारण भी फेफड़ों का कैंसर हो सकता है.

आंकड़ों के अनुसार उत्तराखंड में लंग कैंसर के मरीजों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है. उन्होंने बताया वर्तमान में एम्स ऋषिकेश में इस बीमारी से ग्रसित औसतन 40 से 50 मरीज हर महीने आ रहे हैं. मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए पल्मोनरी विभाग में अलग से लंग क्लीनिक संचालित किया जा रहा है. इस क्लीनिक में केवल लंग कैंसर से ग्रसित मरीज ही देखे जाएंगे.

पढ़ें- श्रीनगर को जन आशीर्वाद: CM धामी ने दी नगर निगम की सौगात

इंसेट फेफड़ों के कैंसर के लक्षण: लंबे समय से खांसी-बलगम की शिकायत, खांसी में खून आना, सांस फूलना, सीने में दर्द, वजन का कम होना, चेहरे या गले में सूजन, आवाज बदल जाना, भूख कम लगना, लगातार थकान महसूस होना आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं.

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शुक्रवार को संचालित होगा लंग क्लीनिक: पल्मोनरी विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. मयंक मिश्रा ने बताया कि लंग क्लीनिक प्रत्येक शुक्रवार को दिन में 2 से 4 बजे तक संचालित होगा. इस क्लीनिक में केवल वही मरीज देखे जाएंगे, जिन्हें पल्मोनरी विभाग की जनरल ओपीडी से रेफर किया गया हो. लिहाजा जरूरी है कि मरीज पहले पल्मोनरी की ओपीडी में अपना परीक्षण करा लें. क्लीनिक में पल्मोनरी विभाग के अलावा, मेडिकल ऑन्कोलॉजी, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी और रेडिएशन ऑन्कोलॉजी के विशेषज्ञ चिकित्सक भी मरीजों का स्वास्थ्य परीक्षण करेंगे.

ऋषिकेश: यदि आप धूम्रपान करते हैं और लम्बे समय से खांसी की शिकायत के साथ थकान महसूस हो रही है, तो सावधान हो जाएं. यह लंग कैंसर के लक्षण हो सकते हैं. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश के विशेषज्ञ चिकित्सकों के अनुसार कैंसर से होने वाली मौतों में सर्वाधिक मौतें लंग कैंसर की वजह से होती हैं. ऐसे मरीजों के लिए एम्स ऋषिकेश में अब स्पेशल लंग क्लीनिक शुरू किया है. इस क्लीनिक का संचालन प्रत्येक शुक्रवार को किया जाएगा.

फेफड़े के कैंसर में फेफड़ों के किसी भाग में कोशिकाओं की अनियंत्रित व असामान्य वृद्धि होने लगती है. चिकित्सकों के अनुसार कई दफा फेफड़े के कैंसर का शुरुआती दौर में पता नहीं चल पाता. यह अंदर ही अंदर बढ़ता जाता है. लिहाजा इसके लक्षण अक्सर देर से पता चलते हैं.

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एम्स निदेशक प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि फेफड़े का कैंसर एक गंभीर बीमारी है. लेकिन आधुनिक मेडिकल साइंस में हुई प्रगति के कारण अब कैंसर से छुटकारा संभव है. लक्षणों के आधार पर समय पर उपचार शुरू कर दिए जाने से कैंसर की गंभीर स्थिति से बचाव किया जा सकता है. उन्होंने बताया एम्स ऋषिकेश में लंग कैंसर के लिए स्पेशल क्लीनिक संचालित किया जा रहा है. इस बीमारी के समुचित इलाज के लिए एम्स में सभी तरह की आधुनिक मेडिकल सुविधाएं और विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम उपलब्ध है.

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पल्मोनरी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. मयंक मिश्रा ने बताया कि बीड़ी-सिगरेट आदि धूम्रपान का सेवन करना फेफड़ों के कैंसर का सबसे बड़ा कारण है. इसके अलावा विभिन्न प्रकार के तम्बाकू उत्पाद, खैनी, गुटखा, सिगार का सेवन करने, धुएं के संपर्क में रहने, घर या कार्य स्थल पर एस्बेस्टस या रेडॉन जैसे पदार्थों के संपर्क में आने और पारिवारिक इतिहास होने के कारण भी फेफड़ों का कैंसर हो सकता है.

आंकड़ों के अनुसार उत्तराखंड में लंग कैंसर के मरीजों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है. उन्होंने बताया वर्तमान में एम्स ऋषिकेश में इस बीमारी से ग्रसित औसतन 40 से 50 मरीज हर महीने आ रहे हैं. मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए पल्मोनरी विभाग में अलग से लंग क्लीनिक संचालित किया जा रहा है. इस क्लीनिक में केवल लंग कैंसर से ग्रसित मरीज ही देखे जाएंगे.

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इंसेट फेफड़ों के कैंसर के लक्षण: लंबे समय से खांसी-बलगम की शिकायत, खांसी में खून आना, सांस फूलना, सीने में दर्द, वजन का कम होना, चेहरे या गले में सूजन, आवाज बदल जाना, भूख कम लगना, लगातार थकान महसूस होना आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं.

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शुक्रवार को संचालित होगा लंग क्लीनिक: पल्मोनरी विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. मयंक मिश्रा ने बताया कि लंग क्लीनिक प्रत्येक शुक्रवार को दिन में 2 से 4 बजे तक संचालित होगा. इस क्लीनिक में केवल वही मरीज देखे जाएंगे, जिन्हें पल्मोनरी विभाग की जनरल ओपीडी से रेफर किया गया हो. लिहाजा जरूरी है कि मरीज पहले पल्मोनरी की ओपीडी में अपना परीक्षण करा लें. क्लीनिक में पल्मोनरी विभाग के अलावा, मेडिकल ऑन्कोलॉजी, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी और रेडिएशन ऑन्कोलॉजी के विशेषज्ञ चिकित्सक भी मरीजों का स्वास्थ्य परीक्षण करेंगे.

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