देहरादून: उत्तराखंड में एक LT के सहायक शिक्षक पर 'सरकार' इतने मेहरबान हो गये कि उन्हें एक ही आदेश से कर्मचारी से अधिकारी बना लिया. चहेतों की चाह में यहां नियम, कायदे, कानून सभी को ताक पर रखकर ऐसी नियुक्ति कर दी गई, जिस पर अब सवाल उठने लगे हैं. यहां 'सरकार' का अपनत्व तो देखिए कि इंटर कॉलेज स्तर के कर्मचारी को सीधे विश्वविद्यालय में प्रतिनियुक्ति दे दी गई, वो भी सीधे सहायक कुलसचिव के पद पर.
कोरोना काल में उत्तराखंड में कई लोग ऐसे हैं जो बेरोजगार हो गये. साथ ही कई ऐसे भी हैं जिन्हें कोरोना के कारण उपजी परिस्थितियों में न तो नौकरी में प्रमोशन मिला और न ही उनके काम को सराहा गया. वहीं, कई ऐसे लोग भी हैं जो सरकार की मेहरबानी के चलते कोरोनाकाल में भी खूब फल-फूल रहे हैं. उनके लिए न तो नियम हैं और न ही कोई कानून. ताजा मामला श्रीदेव सुमन यूनिवर्सिटी का है, जहां उच्च शिक्षा अनुभाग ने रुद्रप्रयाग के एक LT सहायक शिक्षक को ही सहायक कुलसचिव पद पर नियुक्त कर दिया.
एलटी सहायक शिक्षक को सीधा बनाया गया सहायक कुलसचिव
शासन के उच्च शिक्षा अनुभाग द्वारा रुद्रप्रयाग के राजकीय इंटर कॉलेज के एक एलटी सहायक शिक्षक को सीधा श्रीदेव सुमन यूनिवर्सिटी के सहायक कुलसचिव के पद पर नियुक्त कर दिया गया है. चयन आयोग से नियुक्त किए जाने वाले इस पद पर अगर प्रतिनियुक्ति भी की जाए तो यह एक अधिकारी का पद है. इस पर कला विषय के एलटी सहायक शिक्षक की प्रतिनियुक्ति कई सवाल खड़े करता है.
मानकों को किया गया दरकिनार
सोमवार को उत्तराखंड उच्च शिक्षा अनुभाग द्वारा श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के सहायक कुल सचिव पद पर रुद्रप्रयाग जिले के राजकीय इंटर कॉलेज कांडा भरदार के कला विषय मे सहायक LT अध्यापक देवेंद्र सिंह रावत को प्रतिनियुक्ति दे दी गई है. बता दें कि इस पद पर उत्तराखंड राज्य विश्वविद्यालय केंद्रियित सेवा नियमावली 2006 के बिन्दु 12 (2) के अनुसार सहायक कुलसचिव के पद के लिए अनिवार्य शैक्षिक अहर्ता के अनुसार किसी विश्वविद्यालय से स्नातक उपाधि और अंग्रेजी और हिंदी भाषा का समुचित ज्ञान होना अनिवार्य है.
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क्या कहते हैं अधिकारी
इतना ही नहीं अनुभव की बात करें तो इस पद के लिए किसी सरकारी कार्यालय या फिर किसी विश्वविद्यालय में अंग्रेजी और हिंदी में पत्र लेखन का कम से कम 7 सालों का अनुभव होना अनिवार्य है. इस बारे में जब हमने आदेश जारी करने वाले उत्तराखंड शासन में उच्च शिक्षा के अपर सचिव एमएम सेमवाल से बात की तो उन्होंने इस विषय पर गोलमोल जवाब दिया. उन्होंने कहा अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से अभ्यर्थी उपलब्ध न होने पर प्रतिनियुक्ति का प्रावधान है.
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उच्च शिक्षा अनुभाग भूला अधिकारी और कर्मचारी का फर्क
उन्होंने उसी सेवा नियमावली के बिंदु 20 (5) का हवाला देते हुए कहा कि चयन आयोग से यदि कोई उपलब्ध न हो तो राज्य सरकार द्वारा किसी को भी इस पद पर नियुक्त करने का अधिकार है. उन्होंने बिंदु 20 (5) की उस लाइन का हवाला दिया है, जिसमें लिखा गया है कि राज्य सरकार के अधीन सेवारत किसी अधिकारी को प्रतिनियुक्ति करके अस्थायी नियुक्ति कर सकती है. लेकिन शासन में इतने बड़े पद पर तैनात अपर सचिव उच्च शिक्षा एमएम सेमवाल भूल गए कि एक इंटर कॉलेज में सहायक अध्यापक के पर तैनात कला विषय का LT शिक्षक एक सरकारी अधिकारी की श्रेणी में आता है या कर्मचारी की श्रेणी में.
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एक प्रशासनिक अधिकारी के पद पर और बिना तर्क संगत शैक्षणिक अहर्ता के प्रदेश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के सहायक कुल सचिव पर इस तैनाती प्रदेश में व्याप्त भ्रष्टाचार और अवसरवादिता की बू आ रही है.
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मंत्री जी ने झाड़ा पल्ला
वहीं, क्षेत्र भ्रमण पर निकले उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत से जब ईटीवी भारत ने इस मुद्दे पर पक्ष जानना चाहा तो धन सिंह रावत ने पहले तो विश्वविद्यालय प्रशासन पर पल्ला झाड़ते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय के अधिकार क्षेत्र का मामला है. जब हमारे द्वारा जारी किए गए आदेश का हवाला दिया गया तो उन्होंने इस विषय पर ज्यादा जानकारी के लिए एमएम सेमवाल से जानकारी लेने को कहा.