देहरादूनः आज उत्तराखंड का सुप्रसिद्ध बाल लोक पर्व फूलदेई धूमधाम से मनाया गया. यह पर्व उत्तराखंडी समाज के लिए विशेष महत्व रखता है. चैत संक्रांत यानि फूल संक्रांति से शुरू होकर इस पूरे महीने बच्चे घरों की दहलीज पर फूल डालते हैं. इसी को गढ़वाल में फूल संग्रांत और कुमाऊं में फूलदेई पर्व कहा जाता है.
देहरादून के राजभवन में भी फूलदेई पर्व मनाया गया. बच्चों ने प्रकृति के साथ सुख-शान्ति और समृद्धि की शुभकामनाएं लेकर राजभवन की दहलीज पर फूल बिछाए. हाथों में आकर्षक फूलों की छोटी-छोटी टोकरियां थामे बच्चियों को राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने शुभकामनाएं दीं. वहीं, सीएम तीरथ सिंह रावत ने भी फूलेदई के पर्व पर उत्तराखंडवासियों को शुभकामनाएं दी. साथ ही दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री सिसोदिया ने भी उत्तराखंड वासियों को फूलदेई पर्व की शुभकामनाएं दी है.
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उधर पहाड़ी जिलों में भी फूलदेई की धूम रही. चमोली, रद्रप्रयाग, टिहरी, पौड़ी श्रीनगर और मसूरी में भी फूलदेई संक्रांति के मौके पर बच्चों ने सुबह-सुबह घरों की दहलीज पर रंग बिरंगे फूल बिखेरे. बच्चों ने सुबह-सुबह घरों के दरवाजों पर फूल डाले. इसके बदले में लोगों ने भी बच्चों को मिठाई, चॉकलेट, गिफ्ट और चावल दिए.
दूसरी तरफ कुमाउं में भी फूलदेई लोकपर्व की धूम रही. चंपावत, रामनगर, हल्द्वानी, बेरीनाग में भी प्रकृति के संरक्षण, संवर्धन एवं मौसम परिवर्तन का प्रतीक फुलदेई त्योहार परम्परागत व हर्षोउल्लास से मनाया गया. इस मौके पर बच्चों ने घर-घर जाकर फूल व चावल से दहलीज की पूजा की. उत्साह से भरे बच्चों ने घर-घर जाकर फूल देई छम्मा देई दैनी द्वार भर भकार गीत गाकर सुख समृद्दि की कामना की.
उत्तराखंड का फूलदेई, बग्वाल जैसे लुप्त होते पर्वों को फिर से जीवित करने के लिए कई नेता और लोककलाकार आगे आ रहे हैं. उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद अनील बलूनी इस तहर के अभियानों को आगे बढ़ाने का काम बखूबी रुप से कर रहे हैं.