देहरादून: कोरोना महामारी और लॉकडाउन के चक्र ने खास और आम सभी लोगों के जीवन पर गहरा असर डाला है. देश में बड़े से बड़े और छोटे से छोटे सभी वर्ग के व्यापारी पर इसका बड़ा बुरा असर पड़ा है. लॉकडाउन की वजह से कई फैक्ट्रियों पर ताले लटक गए तो कई श्रमिक के हाथों से रोजगार छिन गया. ऐसा ही कुछ हाल है देहरादून में शरबत, जूस और कॉल्ड ड्रिंक्स बेचकर अपना और अपने परिवार का पेट पालने वाले लोगों का. देखिए ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट....
गर्मियों का सीजन शुरू हो गया है और इस सीजन में अमूमन लोग शीतल पेय का सहारा लेते हैं, जिनमे मुख्य रूप से गन्ने का रस, कोल्ड ड्रिंक, जूस और आइसक्रीम का सेवन करते हैं, लेकिन इस लॉकडाउन का असर इन छोटे व्यापारियों पर साफ तौर से देखा जा रहा है. इन छोटे व्यापारियों की माली स्थिति खराब हो चुकी है. ऐसे में इन लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट गहराता जा रहा है.
गर्मियों के सीजन में सड़क किनारे आइसक्रीम, गन्ने का रस और फलों के जूस की ठेलियां अमूमन देखी जाती है. इस तरह के छोटे व्यापारियों के लिए पैसे कमाने का सबसे अच्छा सीजन गर्मी होती है. क्योंकि गर्मियों के समय लोग शीतल पेय का इस्तेमाल करते हैं. अब गर्मी का सीजन शुरू हो गया है, लेकिन लॉकडाउन के चलते इन व्यापारियों को दुकान खोलने की परमिशन नहीं मिली है. हालांकि, आइसक्रीम की ठेलियों को लगाने का परमिशन तो मिल गई है, लेकिन कोरोना महामारी के चलते आइसक्रीम की भी न के बराबर बिक्री हो रही है. ऐसे में अब इन छोटे व्यापारियों का अपना और परिवार का पेट पालना मुश्किल हो रहा है.
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गौर हो कि, 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के बाद से ही उत्तराखंड में लॉकडाउन लागू है. इस दौरान प्रदेश में आवश्यक सेवाओं को छोड़, बाकी सभी छोटी-बड़ी दुकाने बंद कर दी गयी थी. लेकिन केंद्र सरकार ने 4 मई को लॉकडाउन के तीसरे चरण के दौरान व्यापारियों को राहत देते हुए कुछ दुकानों को खोलने की अनुमति दी. लेकिन अभी तक इन छोटे व्यापारियों को अपनी दुकानें खोलने अनुमति नहीं मिल पाई है. जिसके चलते इनकी दुकाने पिछले करीब 50 दिनों से बंद पड़ी है. ऐसे में इन छोटे व्यापारियों का दिन प्रति दिन नुकसान हो रहा है. गर्मियों के सीजन में ही ये व्यापारी कमाई कर पाते थे, लेकिन इस सीजन कोरोना वायरस के चलते लागू लॉकडाउन ने इनके काम को पूरी तरह से प्रभावित कर दिया है.
ETV Bharat से बातचीत में इन जूस विक्रेताओं ने बताया कि कोरोना वायरस के चलते उन्हें दुकान खोलने की परमिशन नहीं दी गई है, हालांकि तमाम अन्य दुकानों को तो खोल दिया गया, लेकिन अभी भी जूस की दुकान को खोलने की परमिशन नहीं मिली है. ऐसे में अब वह अपनी रोजी-रोटी चलाने के लिए फलों को ही बेच रहे हैं. फिर भी एक मुसीबत उनके सामने खड़ी है कि लॉकडाउन के दौरान बहुत कम लोग ही फल खरीद रहे हैं, लिहाजा जितना फल बिकता है, उससे ज्यादा फल खराब हो जाता है. ऐसे में उनके सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है.
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ETV Bharat से बातचीत के दौरान आइसक्रीम विक्रेताओं ने बताया कि अभी कुछ दिनों से ही उन्होंने आइसक्रीम की ठेलिया लगानी शुरू की है, लेकिन सेल बिल्कुल न के बराबर है. साथ ही बताया कि पिछले गर्मियों के सीजन तक आइसक्रीम बिक्री से अच्छी खासी कमाई हो जाती थी. वही, इस सीजन कोरोना वायरस के चलते न के बराबर ही सेल हो पा रही है.
आइसक्रीम कंपनी के क्षेत्रीय इंचार्ज ने बताया कि पहले गर्मियों के सीजन में एक क्षेत्र में करीब 20 ठेलिया लगाई जाती थी, लेकिन अब लॉकडाउन के चलते मात्र 5-6 ठेलियां ही लगाई जा रही हैं. पहले गर्मियों के सीजन में कम से कम 5,000 रुपए तक की सेल हो जाती थी, लेकिन अब इस गर्मी सीजन में 200 और 500 रुपए तक की बिक्री ही हो पा रही है.
वही, राजकीय दून मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन एचओडी डॉ. नारायण जीत ने बताया कि कोरोना वायरस की महामारी और गर्मी से राहत के लिए जनता ताजे और सीजनल फलों का इस्तेमाल कर सकती है. क्योंकि ताजे फलों में एंटी ऑक्सीडेंट के साथ ही अधिक मात्रा में लिक्विड पाया जाता है. अगर लोग फलों का इस्तेमाल करते हैं तो किसी भी तरह के इंफेक्शन से लड़ने में आपकी बॉडी कारगर साबित होगी. लिहाजा, गर्मियों के समय में जरूरी है कि कम से कम 3 लीटर लिक्विड ले, सीजनल फल खाएं और हाई प्रोटीन डाइट लें.