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'चलो भारत को समझे' कार्यक्रम का आयोजन, 33 देशों के 125 विद्यार्थी ले रहे हिस्सा - अन्तर्राष्ट्रीय विद्यार्थी परिषद ऋषिकेश समाचार

परमार्थ निकेतन में अन्तरराष्ट्रीय विद्यार्थी परिषद के तत्वाधान में ’’चलो भारत को समझे कार्यक्रम" का आयोजन किया गया. इस दौरान विद्यार्थियों को भारत की संस्कृति के बारे में बताया गया.

Let's understand India program , चलो भारत को समझे कार्यक्रम समाचार
’’चलो भारत को समझे कार्यक्रम" कार्यक्रम का आयोजन .
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Published : Nov 30, 2019, 2:57 PM IST

ऋषिकेश: परमार्थ निकेतन में अन्तरराष्ट्रीय विद्यार्थी परिषद के तत्वाधान में 'चलो भारत को समझे कार्यक्रम' का आयोजन किया गया. जिसमें विश्व के 33 देशों से आये 125 विद्यार्थियों ने सहभाग किया. इस कार्यक्रम का उद्घाटन परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती, डिप्टी हाई कमिशनर फिजी निलेश कुमार, साध्वी भगवती सरस्वती, अन्तरराष्ट्रीय सहयोग परिषद के अध्यक्ष वीरेन्द्र गुप्ता ने किया.

स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने विभिन्न देशों से आये छात्रों का अभिनन्दन करते हुये कहा कि यह आपका हिमालयन होम है, आपका अपना घर है. भारत की यात्रा भीतर की यात्रा है. इंडिया केवल एक कन्ट्री नहीं बल्कि कल्चर है. उन्होंने कहा कि आज आप चारों ओर इंटरनेट का जाल बिछा देख रहे है, इंटरनेट से जुड़े रहना अच्छी बात है, परन्तु इसके साथ आप इनर नेट से भी जुड़े रहें, दोनों में बैलेंस बनाकर रखना बहुत जरूरी है, क्योंकि बैलेंस ही तो जीवन है.

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वहीं साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि भारत को समझने के लिये पहले स्वयं को समझे. भारत केवल एक देश नहीं है बल्कि यह तो जीवंत राष्ट्र है जहां पर गंगा, हिमालय, तुलसी और गाय की पूजा की जाती है, जहां के कण-कण में जानने के लिये बहुत कुछ है.

यह भी पढ़ें-साध्वी प्रज्ञा के बयान पर संत समाज ने दी प्रतिक्रिया, किसी ने समर्थन किया तो किसी ने विरोध

अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद के अध्यक्ष वीरेन्द्र गुप्ता ने कहा कि उनका उद्देश्य वसुधैव कुटुम्बकम् का है. हमारे देश में लगभग 20 हजार से अधिक विदेशी छात्र शिक्षा ग्रहण करते हैं, हमारा प्रयास है कि उन्हें भारत में भी घर जैसा माहौल मिले.

ऋषिकेश: परमार्थ निकेतन में अन्तरराष्ट्रीय विद्यार्थी परिषद के तत्वाधान में 'चलो भारत को समझे कार्यक्रम' का आयोजन किया गया. जिसमें विश्व के 33 देशों से आये 125 विद्यार्थियों ने सहभाग किया. इस कार्यक्रम का उद्घाटन परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती, डिप्टी हाई कमिशनर फिजी निलेश कुमार, साध्वी भगवती सरस्वती, अन्तरराष्ट्रीय सहयोग परिषद के अध्यक्ष वीरेन्द्र गुप्ता ने किया.

स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने विभिन्न देशों से आये छात्रों का अभिनन्दन करते हुये कहा कि यह आपका हिमालयन होम है, आपका अपना घर है. भारत की यात्रा भीतर की यात्रा है. इंडिया केवल एक कन्ट्री नहीं बल्कि कल्चर है. उन्होंने कहा कि आज आप चारों ओर इंटरनेट का जाल बिछा देख रहे है, इंटरनेट से जुड़े रहना अच्छी बात है, परन्तु इसके साथ आप इनर नेट से भी जुड़े रहें, दोनों में बैलेंस बनाकर रखना बहुत जरूरी है, क्योंकि बैलेंस ही तो जीवन है.

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वहीं साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि भारत को समझने के लिये पहले स्वयं को समझे. भारत केवल एक देश नहीं है बल्कि यह तो जीवंत राष्ट्र है जहां पर गंगा, हिमालय, तुलसी और गाय की पूजा की जाती है, जहां के कण-कण में जानने के लिये बहुत कुछ है.

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अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद के अध्यक्ष वीरेन्द्र गुप्ता ने कहा कि उनका उद्देश्य वसुधैव कुटुम्बकम् का है. हमारे देश में लगभग 20 हजार से अधिक विदेशी छात्र शिक्षा ग्रहण करते हैं, हमारा प्रयास है कि उन्हें भारत में भी घर जैसा माहौल मिले.

Intro:ऋषिकेश-- परमार्थ निकेतन में अन्तर्राष्ट्रीय विद्यार्थी परिषद् के तत्वाधान में ’’चलो भारत को समझे कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें विश्व के 33 देशों से आये 125 विद्यार्थियों ने सहभाग किया। इस कार्यक्रम का उद्घाटन परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती, डिप्टी हाई कमिशनर फिजी निलेश कुमार , साध्वी भगवती सरस्वती , अध्यक्ष, अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग परिषद् वीरेन्द्र गुप्ता और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।


Body:वी/ओ--स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने विभिन्न देशों से आये छात्रों का अभिनन्दन करते हुये कहा कि यह आपका हिमालयन होम है; आपका अपना घर है। भारत की यात्रा भीतर की यात्रा है। इन्डिया केवल एक कन्ट्री नहीं बल्कि कल्चर है। उन्होने कहा कि आज आप चारों ओर इन्टरनेट का जाल बिछा देख रहे है, इन्टरनेट से जुड़े रहना अच्छी बात है परन्तु इसके साथ अपने इनरनेट से भी जुड़े रहे, दोनों में बैलेंस बनाकर रहे यह बहुत जरूरी है क्योकि बैलेंस ही तो जीवन है।कहा कि आप सभी छात्र हिमालय की तरह अपार शक्ति सम्पन्न युवा है। हिमालय हमें साधना, सुरक्षा और संजीवनी प्रदान करता है। जीवन में अपने प्रत्येक कर्म साधना की तरह पूरा करे, यही साधना हो कि मेरा टाइम, टेक्नोलाॅजी, टेनासीटी और टैलेंट समाज के लिये हो, आपने लिये नहीं सब के लिये हो, अपने वतन के लिये हो, अपनी कर्मभूमि और अपनी जन्म भूमि के लिये हो। अपनी बहनों को सुरक्षा प्रदान करे, अपने संस्कारों को प्रज्जवलित करें तथा ऐसा कर्म करे कि हमारा जीवन संजीवनी बूटी की तरह कार्य करे। उन्होने कहा कि हिमालय में तो जड़ी-बूटियाँ होती है लेकिन युवा शक्ति तो अपने-आप में संजीवनी है। साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि भारत एक श्रेष्ठ और सुन्दर देश है, इसका इतिहास अद्भुत है यहां पर देखने और जानने के लिये बहुत कुछ है। परन्तु मेरा मानना है कि भारत को समझने के लिये पहले स्वयं को समझे। भारत केवल एक देश नहीं है बल्कि यह तो जीवंत राष्ट्र है जहां पर गंगा, हिमालय, तुलसी और गाय की पूजा की जाती है। यहां के कण-कण में जानने के लिये बहुत कुछ है।




Conclusion:वी/ओ--अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग परिषद् के वीरेन्द्र गुप्ता ने बताया कि भारत में विभिन्न देशों के विद्यार्थी आकर शिक्षा ग्रहण करते है उन विद्यार्थियों को वास्तविक भारत के दर्शन कराना, भारतीय संस्कृति और दर्शन के बारे में जानकारी देना ताकि वे शिक्षा के साथ भारतीय संस्कृति को भी अत्मसात कर सके। हम 50 वर्षो से प्रवासी और विदेशी विद्याथियों को भारतीय संस्कृति से जोड़ने का कार्य कर रही है। उन्होने कहा कि हमारा उद्देश्य वसुधैव कुटुम्बकम् का है। हमारे देश में विदेशों से जो भी अतिथि आते है वे यहां की संस्कृति को जान सके। हमारे देश में लगभग 20 हजार से अधिक विदेशी छात्र शिक्षा ग्रहण करते है हमारा प्रयास है कि उन्हें भारत में भी घर जैसा माहौल मिले।
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