देहरादून: उत्तराखंड में मानसून की दस्तक के साथ ही बारिश किसानों के लिए हमेशा ही परेशानी का सबब रही है. कभी अतिवृष्टि से किसानों की फसल चौपट हो जाती है तो कभी कम बारिश के कारण किसानों की फसलों की सिंचाई भी नहीं हो पाती है. इस बार भी मॉनसून सीजन में सामान्य से कम बारिश हुई है. सीजन के मध्य तक राज्यभर में सामान्य से कुल 15 प्रतिशत तक कम बरसात आंकी गयी है, जो किसानों के लिए आने वाले खतरे को बयां कर रही है.
राज्य के तमाम जिलों में रुक -रुककर बारिश का सिलसिला जारी है. मौसम विभाग ने आने वाले 48 घंटों में भी बरसात के यूं ही जारी रहने का अनुमान लगाया है, लेकिन प्रदेश के विभिन्न जिलों में हो रही बारिश के बावजूद मौसम विभाग का आकलन सूबे में 15 प्रतिशत कम बारिश का है. यानी राज्य में अबतक हुई बारिश सामान्य से भी कम रही है.
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उधर, कुछ जिलों में तो हालात बेहद खराब हैं. खराब इसलिए क्योंकि मॉनसून के मध्य तक जो ट्रेंड निकलकर सामने आया है, उसमें कुछ पहाड़ी जिलों में बारिश सामान्य तक भी नहीं पहुंच पाई है, जबकि पहाड़ के किसान पूरी तरह बारिश आधारित खेती ही करते हैं.
मॉनसून सीजन में कम बारिश वाले जिले
- ऐसे जिलों में सबसे पहला नाम उत्तरकाशी का है. यहां अब तक 48% से कम बारिश आंकी गई है.
- कम बारिश वाले जिलों में दूसरा नाम भी पहाड़ी जिले का ही है, दरअसल पौड़ी गढ़वाल जिले में कुल 44% से कम बारिश मॉनसून सीजन में हुई है.
- कुमाऊं के चंपावत जिले में भी बारिश सामान्य से बेहद कम हुई है. यहां 43 प्रतिशत से कम बारिश आंकी गई है.
- कुमाऊं के ही नैनीताल जिले में भी 33% से कम बारिश आंकी गई है.
- गढ़वाल के पहाड़ी जिले रुद्रप्रयाग में भी 27% से कम बारिश हुई है.
- राजधानी देहरादून में भी इस बार बारिश काफी कम हुई है. मौसम विभाग के अनुसार राजधानी में 26% से कम बारिश हुई है.
- टिहरी जिले में मॉनसून सीजन के दौरान अब तक का बारिश का आंकलन किया गया है. यहां 23% से कम बारिश हुई है.
- अल्मोड़ा जिले में भी इस बार बारिश मॉनसून सीजन के दौरान कम रही. यहां अब तक कुल 22% से कम बारिश आंकी गई.
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राज्य मौसम केंद्र के वैज्ञानिक रोहित थपलियाल बताते हैं कि इस सीजन में अब तक रिकॉर्ड की गई बारिश बेहद कम रही है. कुछ पहाड़ी जिलों में तो खास तौर पर सामान्य से भी बेहद कम बारिश हुई है. हालांकि, वैज्ञानिक रोहित थपलियाल आने वाले महीनों में ज्यादा बारिश के जरिये इसकी भरपाई होने की उम्मीद लगा रहे हैं.
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मौसम विभाग का यह आकलन मॉनसून सीजन के दौरान का है, यानी एक जून 2020 से अगस्त महीने के पहले हफ्ते तक रिकॉर्ड की गई बारिश की समीक्षा के बाद इन जिलों में बारिश कम मापी गयी है. वैसे कुछ जिले ऐसे भी हैं जहां सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है. ऐसे जिलों में बागेश्वर सबसे ऊपर है जहां सामान्य से करीब 148% से ज्यादा बारिश हुई है.
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इस तरह पूरे प्रदेश का कुल एवरेज निकाला जाए तो 15% से कम बारिश राज्य भर में अबतक मॉनसून काल के दौरान हुई है. वैसे आधा मॉनसून के निकल जाने के बावजूद भी कई जिलों में इतनी कम बारिश के होने से कृषि विभाग भी चिंतित नजर आ रहा है. राज्य में हुई कम बारिश की जानकारी जब ईटीवी भारत में कृषि मंत्री को दी तो उन्होंने फौरन विभागीय अधिकारी से बात कर इन स्थितियों की मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए हैं.
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कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि वैसे तो अभी कृषि विभाग भी आने वाले महीनों में अच्छी बारिश के जरिए पहाड़ों में इसके सामान्य तक पहुंचने की अनुमान लगाए हुए है. अगर बारिश इसी अनुपात पूरे सीजन के दौरान कम रहती है, तो किसानों के लिए फसलों में बीमा की सुविधा के जरिए उन्हें नुकसान से बचाया जाएगा. यही नहीं राज्य सरकार की तरफ से सूखे के दौरान किसानों को दी जाने वाली राहत का भी फायदा ऐसे हालातों में किसानों को दिया जाएगा.
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उत्तराखंड के 13 जिलों में से कुल 9 जिले पहाड़ी हैं. इन जिलों में अधिकतर जगहों पर बारिश पर ही खेती निर्भर रहती है. ऐसे में भी जानकार मानते हैं कि अगर आने वाले 1 से डेढ़ महीनों में पहाड़ी जिलों में ज्यादा बारिश नहीं हुई तो किसानों की परेशानी बढ़ना तय है.