देहरादून: उत्तराखंड समान नागरिक संहिता कानून को लेकर काफी पहले ही कदम बढ़ा चुका है. इसके लिए बकायदा रिटायर्ड जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता में विशेष कमेटी का गठन भी किया जा चुका है. खास बात ये है कि इस कमेटी ने अब अपना मसौदा भी करीब-करीब तैयार कर लिया है. उधर केंद्र में विधि आयोग ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर सक्रियता बढ़ाई है. जिससे माना जा रहा है कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता को लेकर की जा रही तैयारी के रास्ते ही केंद्र भी इस कानून को देशभर में धरातल पर उतारने की कोशिश में है.
खड़े हो रहे कई सवाल: केंद्र में विधि आयोग ने जिस तरह यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर तमाम हित धारकों से सुझाव मांगने शुरू किए हैं, उससे हर कोई हैरान दिखाई दे रहा है. दरअसल, उत्तराखंड समान नागरिक संहिता कानून को लागू करने के लिए पहले एक विशेष कमेटी का गठन कर चुका है. साथ ही इससे संबंधित अध्ययन और हित धारकों के सुझाव भी लिए गए थे. इतना ही नहीं अब रिटायर्ड जस्टिस रंजना देसाई की कमेटी ने अपना मसौदा भी करीब फाइनल ही कर लिया है. ऐसे में इस मसौदे के तैयार होने के साथ ही केंद्र में विधि आयोग ने जिस तरह समान नागरिक संहिता को लेकर अपनी सक्रियता बढ़ाई है उससे कई सवाल खड़े हो रहे हैं.
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कानून लागू करने की दिशा में बढ़े कदम: माना जा रहा है कि केंद्र भी उत्तराखंड के इसी मसौदे के जरिए देशभर में समान नागरिक संहिता कानून लागू करने की दिशा में बढ़ सकता है. हालांकि उत्तराखंड सरकार ने समान नागरिक संहिता कानून राज्य में लागू करने के लिए इस कमेटी का गठन किया था और राज्य स्तर पर ही कमेटी ने भी लोगों के सुझाव लेकर इस पर अपनी रिपोर्ट तैयार की है. लेकिन इसी रिपोर्ट के आधार पर देश भर में भी इस कानून को लागू करने की कोशिश संभव है. वैसे केंद्र की मोदी सरकार देश में समान नागरिक संहिता कानून लाने को लेकर प्रतिबद्ध दिखी है और समय-समय पर इसके समर्थन में तमाम बयान भी जारी होते रहे हैं.
देशभर में अहम हो सकता है कानून: ऐसे में अब उत्तराखंड में जिस तरह से कमेटी का गठन कर मसौदे को तैयार किया है, उसके बाद केंद्र भी इसी मसौदे की बदौलत देश भर में समान नागरिक संहिता कानून लाने की कोशिश कर सकता है. माना जा रहा है कि जस्टिस रंजना देसाई जल्द ही इस मसौदे को उत्तराखंड सरकार को सौंप सकती है और इसके बाद इस कानून को लागू करने की दिशा में सरकार आगे कदम बढ़ा सकती है. लेकिन यह मसौदा न केवल उत्तराखंड बल्कि देशभर में इस कानून को लागू करने के लिए काफी अहम हो सकता है.