ETV Bharat / state

बाघों के संरक्षण प्लान पर राजाजी टाइगर रिजर्व की लेटलतीफी, सीएम धामी ने जताई चिंता

Tiger conservation plan राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघों के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण टाइगर कंजर्वेशन प्लान अब तक ठंडे बस्ते में है. हैरत की बात यह है कि एक तरफ राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है, जबकि बाघों के संरक्षण के लिए तैयार होने वाले प्लान को समयबद्ध तरीके से भी पूरा नहीं किया जा रहा. खास बात यह है कि बाघों की संख्या के लिहाज से सुखद स्थिति में दिखने वाले कॉर्बेट नेशनल पार्क के भी कुछ इसी तरह के हालात हैं. पढ़ें पूरी खबर..

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Aug 10, 2023, 10:53 AM IST

बाघों के संरक्षण प्लान पर राजाजी टाइगर रिजर्व की लेटलतीफी

देहरादून: राजाजी टाइगर रिजर्व उत्तराखंड को बाघों के दूसरे महत्वपूर्ण वास स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है. पार्क का बेहद विस्तृत क्षेत्र बाघों के लिए मुफीद मानते हुए वन विभाग यहां बाहर से भी बाघों को शिफ्ट कर रहा है. पिछले कुछ समय में राजाजी टाइगर रिजर्व में 3 बाघ कॉर्बेट से लाकर छोड़े जा चुके हैं, जबकि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से कुल 5 बाघों को लाने के लिए स्वीकृति दी जा चुकी है. राजाजी टाइगर रिजर्व ने बाघों के संरक्षण के लिए अब तक टाइगर कंजर्वेशन प्लान एनटीसीए को भेजा ही नहीं है.

बाघों की सुरक्षा हेतु एक कंजर्वेशन प्लान तैयार करना जरूरी: किसी भी टाइगर रिजर्व के लिए बाघों की सुरक्षा हेतु एक कंजर्वेशन प्लान तैयार करना होता है और इस प्लान को एनटीसीए यानी नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी को भेजा जाता है. इस प्लान के आधार पर ही बजट की डिमांड भी की जा सकती है और बजट मिलने पर इसे खर्च भी करना होता है. लेकिन इतने महत्वपूर्ण टाइगर कंजर्वेशन प्लान को लंबे समय से अंतिम चरण तक नहीं पहुंचाया जा सका है.

सीएम धामी ने जताई चिंता: राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघों की सुरक्षा के लिए टाइगर कंजर्वेशन प्लान नहीं होना हैरानी की बात है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी प्लान एनटीसीए को नहीं भेजने पर चिंतित दिखाई दिए हैं. यही नहीं पिछले दिनों हुई राज्य वन्य जीव बोर्ड की बैठक में मुख्यमंत्री ने अफसरों से ऐसा ना होने की वजह भी जान ली और जल्द से जल्द इस प्रस्ताव को अंतिम रूप देने के भी निर्देश दिए. प्रमुख सचिव आरके सुधांशु और चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन समीर सिन्हा ने भी ऐसे महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर तेजी से काम करने के निर्देश दिए हैं.
ये भी पढ़ें: कॉर्बेट नेशनल पार्क में रैप्टर प्रजाति के संरक्षण पर जोर, गिद्धों और चीलों की हो रही गणना

कई प्रस्ताव फाइलों में अटके: राजाजी टाइगर रिजर्व में ही प्रस्ताव में लेटलतीफी की शिकायत नहीं है, बल्कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व जैसे संरक्षित क्षेत्र में भी टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स का गठन नहीं हो पा रहा है. इसकी वजह टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स से जुड़े प्रस्ताव का समय पर आगे न बढ़ पाना है. वैसे वन विभाग में प्रस्ताव में देरी के यह कोई इकलौते मामले नहीं हैं. अक्सर ऐसे कई प्रस्ताव वन विभाग में बनते हैं, जो बेहद महत्वपूर्ण होते हैं, लेकिन लेटलतीफी के कारण वक्त पर यह अपने अंजाम तक नहीं पहुंच पाते. यही नहीं वन मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक की घोषणाएं भी वन विभाग में लंबे समय तक फाइलों में ही दौड़ती रहती हैं.
ये भी पढ़ें: राजाजी नेशनल पार्क में बाघों को मिलेगा नया आशियाना

बाघों के संरक्षण प्लान पर राजाजी टाइगर रिजर्व की लेटलतीफी

देहरादून: राजाजी टाइगर रिजर्व उत्तराखंड को बाघों के दूसरे महत्वपूर्ण वास स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है. पार्क का बेहद विस्तृत क्षेत्र बाघों के लिए मुफीद मानते हुए वन विभाग यहां बाहर से भी बाघों को शिफ्ट कर रहा है. पिछले कुछ समय में राजाजी टाइगर रिजर्व में 3 बाघ कॉर्बेट से लाकर छोड़े जा चुके हैं, जबकि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से कुल 5 बाघों को लाने के लिए स्वीकृति दी जा चुकी है. राजाजी टाइगर रिजर्व ने बाघों के संरक्षण के लिए अब तक टाइगर कंजर्वेशन प्लान एनटीसीए को भेजा ही नहीं है.

बाघों की सुरक्षा हेतु एक कंजर्वेशन प्लान तैयार करना जरूरी: किसी भी टाइगर रिजर्व के लिए बाघों की सुरक्षा हेतु एक कंजर्वेशन प्लान तैयार करना होता है और इस प्लान को एनटीसीए यानी नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी को भेजा जाता है. इस प्लान के आधार पर ही बजट की डिमांड भी की जा सकती है और बजट मिलने पर इसे खर्च भी करना होता है. लेकिन इतने महत्वपूर्ण टाइगर कंजर्वेशन प्लान को लंबे समय से अंतिम चरण तक नहीं पहुंचाया जा सका है.

सीएम धामी ने जताई चिंता: राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघों की सुरक्षा के लिए टाइगर कंजर्वेशन प्लान नहीं होना हैरानी की बात है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी प्लान एनटीसीए को नहीं भेजने पर चिंतित दिखाई दिए हैं. यही नहीं पिछले दिनों हुई राज्य वन्य जीव बोर्ड की बैठक में मुख्यमंत्री ने अफसरों से ऐसा ना होने की वजह भी जान ली और जल्द से जल्द इस प्रस्ताव को अंतिम रूप देने के भी निर्देश दिए. प्रमुख सचिव आरके सुधांशु और चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन समीर सिन्हा ने भी ऐसे महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर तेजी से काम करने के निर्देश दिए हैं.
ये भी पढ़ें: कॉर्बेट नेशनल पार्क में रैप्टर प्रजाति के संरक्षण पर जोर, गिद्धों और चीलों की हो रही गणना

कई प्रस्ताव फाइलों में अटके: राजाजी टाइगर रिजर्व में ही प्रस्ताव में लेटलतीफी की शिकायत नहीं है, बल्कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व जैसे संरक्षित क्षेत्र में भी टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स का गठन नहीं हो पा रहा है. इसकी वजह टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स से जुड़े प्रस्ताव का समय पर आगे न बढ़ पाना है. वैसे वन विभाग में प्रस्ताव में देरी के यह कोई इकलौते मामले नहीं हैं. अक्सर ऐसे कई प्रस्ताव वन विभाग में बनते हैं, जो बेहद महत्वपूर्ण होते हैं, लेकिन लेटलतीफी के कारण वक्त पर यह अपने अंजाम तक नहीं पहुंच पाते. यही नहीं वन मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक की घोषणाएं भी वन विभाग में लंबे समय तक फाइलों में ही दौड़ती रहती हैं.
ये भी पढ़ें: राजाजी नेशनल पार्क में बाघों को मिलेगा नया आशियाना

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.