देहरादून: सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के लालढांग-चिल्लरखाल मोटर मार्ग के तमाम प्रयासों पर पानी फेर दिया है. मंत्री हरक सिंह एक बार फिर अधिकारियों के साथ रणनीति बनाने में जुट गए हैं. ताकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का तोड़ निकाला जा सके.
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गढ़वाल को कुमाऊं से जोड़ने वाले लालढांग-चिल्लरखाल मोटर मार्ग से संकट के बादल छटने का नाम नहीं ले रहे हैं. आए दिन कोई न कोई बाधा इस मार्ग के आड़े आ रही है. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने लालढांग-चिल्लरखाल सड़क निर्माण पर रोक लगा दी थी. साथ ही कोर्ट ने नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) और राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्टैंडिंग कमेटी की अनुमति न लेने पर उत्तराखंड सरकार से तीन हफ्तों के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है.
दरअसल, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में जाने से पूर्व अधिवक्ता गौरव बंसल की ओर से एनजीटी, केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय व एनटीसीए को शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत में बताया था कि सड़क निर्माण नियमों के विपरीत किया जा रहा है और इससे जिम कार्बेट टाइगर रिजर्व व राजाजी टाइगर रिजर्व की जैव विविधता के साथ ही वन्यजीवों पर इसका असर पड़ रहा है. प्रकरण की एनजीटी में भी सुनवाई चल रही है.
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इस मामले पर वन मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट के आदेश को देख रहे हैं. इस विषय पर वे अधिकारियों से बातचीत करेंगे. वहीं सूत्रों की मानें तो हरक सिंह रावत वन विभाग और शासन के अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे और सुप्रीम कोर्ट में जवाब देने के लिए अपनी रणनीति बनाएंगे.
11 किमी लंबे मार्ग के निर्माण पर सरकार साढ़े चार करोड़ रुपये से अधिक का बजट भी खर्च कर चुकी है. प्रस्तावित योजना में कई किमी सड़क को बनाने के साथ ही कई जगहों पर पुलिया व अंडरपास बनाया जा चुका है. मोटर मार्ग के निर्माण कार्य को शुरू करने के लिए वन मंत्री हरक सिंह रावत मोर्चा भी खोल चुके हैं. अब सुप्रीम कोर्ट की रोक से निर्माण कार्य खटाई में पड़ता दिख रहा है. हालांकि सरकार कोर्ट में अपना पक्ष रखेगी, जिसके बाद ही स्थिति साफ होगी.