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मंत्री हरक सिंह रावत के ड्रीम प्रोजेक्ट पर सुप्रीम कोर्ट का 'ब्रेक', तोड़ निकालने में जुटे अफसर

इस मामले पर वन मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट के आदेश को देख रहे हैं. इस विषय पर वे अधिकारियों से बातचीत करेंगे. वहीं सूत्रों की मानें तो हरक सिंह रावत वन विभाग और शासन के अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे और सुप्रीम कोर्ट में जवाब देने के लिए अपनी रणनीति बनाएंगे.

फाइल फोटो
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Published : Jun 22, 2019, 5:28 PM IST

देहरादून: सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के लालढांग-चिल्लरखाल मोटर मार्ग के तमाम प्रयासों पर पानी फेर दिया है. मंत्री हरक सिंह एक बार फिर अधिकारियों के साथ रणनीति बनाने में जुट गए हैं. ताकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का तोड़ निकाला जा सके.

पढ़ें- बच्चों का बस्ता हल्का करने की अनोखी पहल, हाथ में तख्ती लेकर छेड़ा अभियान

गढ़वाल को कुमाऊं से जोड़ने वाले लालढांग-चिल्लरखाल मोटर मार्ग से संकट के बादल छटने का नाम नहीं ले रहे हैं. आए दिन कोई न कोई बाधा इस मार्ग के आड़े आ रही है. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने लालढांग-चिल्लरखाल सड़क निर्माण पर रोक लगा दी थी. साथ ही कोर्ट ने नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) और राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्टैंडिंग कमेटी की अनुमति न लेने पर उत्तराखंड सरकार से तीन हफ्तों के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है.

मंत्री हरक सिंह रावत.

दरअसल, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में जाने से पूर्व अधिवक्ता गौरव बंसल की ओर से एनजीटी, केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय व एनटीसीए को शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत में बताया था कि सड़क निर्माण नियमों के विपरीत किया जा रहा है और इससे जिम कार्बेट टाइगर रिजर्व व राजाजी टाइगर रिजर्व की जैव विविधता के साथ ही वन्यजीवों पर इसका असर पड़ रहा है. प्रकरण की एनजीटी में भी सुनवाई चल रही है.

पढ़ें- धर्मनगरी में पुलिस ने जब्त की 1000 लीटर कच्ची शराब, तस्कर को पकड़ने में नाकाम हुई पुलिस

इस मामले पर वन मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट के आदेश को देख रहे हैं. इस विषय पर वे अधिकारियों से बातचीत करेंगे. वहीं सूत्रों की मानें तो हरक सिंह रावत वन विभाग और शासन के अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे और सुप्रीम कोर्ट में जवाब देने के लिए अपनी रणनीति बनाएंगे.

11 किमी लंबे मार्ग के निर्माण पर सरकार साढ़े चार करोड़ रुपये से अधिक का बजट भी खर्च कर चुकी है. प्रस्तावित योजना में कई किमी सड़क को बनाने के साथ ही कई जगहों पर पुलिया व अंडरपास बनाया जा चुका है. मोटर मार्ग के निर्माण कार्य को शुरू करने के लिए वन मंत्री हरक सिंह रावत मोर्चा भी खोल चुके हैं. अब सुप्रीम कोर्ट की रोक से निर्माण कार्य खटाई में पड़ता दिख रहा है. हालांकि सरकार कोर्ट में अपना पक्ष रखेगी, जिसके बाद ही स्थिति साफ होगी.

देहरादून: सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के लालढांग-चिल्लरखाल मोटर मार्ग के तमाम प्रयासों पर पानी फेर दिया है. मंत्री हरक सिंह एक बार फिर अधिकारियों के साथ रणनीति बनाने में जुट गए हैं. ताकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का तोड़ निकाला जा सके.

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गढ़वाल को कुमाऊं से जोड़ने वाले लालढांग-चिल्लरखाल मोटर मार्ग से संकट के बादल छटने का नाम नहीं ले रहे हैं. आए दिन कोई न कोई बाधा इस मार्ग के आड़े आ रही है. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने लालढांग-चिल्लरखाल सड़क निर्माण पर रोक लगा दी थी. साथ ही कोर्ट ने नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) और राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्टैंडिंग कमेटी की अनुमति न लेने पर उत्तराखंड सरकार से तीन हफ्तों के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है.

मंत्री हरक सिंह रावत.

दरअसल, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में जाने से पूर्व अधिवक्ता गौरव बंसल की ओर से एनजीटी, केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय व एनटीसीए को शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत में बताया था कि सड़क निर्माण नियमों के विपरीत किया जा रहा है और इससे जिम कार्बेट टाइगर रिजर्व व राजाजी टाइगर रिजर्व की जैव विविधता के साथ ही वन्यजीवों पर इसका असर पड़ रहा है. प्रकरण की एनजीटी में भी सुनवाई चल रही है.

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इस मामले पर वन मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट के आदेश को देख रहे हैं. इस विषय पर वे अधिकारियों से बातचीत करेंगे. वहीं सूत्रों की मानें तो हरक सिंह रावत वन विभाग और शासन के अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे और सुप्रीम कोर्ट में जवाब देने के लिए अपनी रणनीति बनाएंगे.

11 किमी लंबे मार्ग के निर्माण पर सरकार साढ़े चार करोड़ रुपये से अधिक का बजट भी खर्च कर चुकी है. प्रस्तावित योजना में कई किमी सड़क को बनाने के साथ ही कई जगहों पर पुलिया व अंडरपास बनाया जा चुका है. मोटर मार्ग के निर्माण कार्य को शुरू करने के लिए वन मंत्री हरक सिंह रावत मोर्चा भी खोल चुके हैं. अब सुप्रीम कोर्ट की रोक से निर्माण कार्य खटाई में पड़ता दिख रहा है. हालांकि सरकार कोर्ट में अपना पक्ष रखेगी, जिसके बाद ही स्थिति साफ होगी.

Intro:summary- कोटद्वार लालढांग-चिल्लरखाल मार्ग को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने हरक सिंह रावत के तामम प्रयासों पर पानी फेर दिया है जिसके बाद एक बार फिर हरक सिंह रावत अधिकारियों के साथ रणनीति बनाने में जुटने वाले हैं।

एंकर- कोटद्वार की लालढांग-चिल्लरखाल मार्ग पर संकट के बादल के बादल छटने का नाम नही ले रहे हैं। आए दिन दिन कोई न कोई बाधा इस मार्ग को रोक देती है और इस बार सुप्रीम कोर्ट ने हरक सिंह रावत की मुश्किलें बढ़ा दी है लेकिन हरक सिंह रावत भी हार मानने के मन मे नही है और जल्द ही इस मामले पर रणनीति बनाने जा रहे हैं।


Body:वीओ- कोटद्वार से विधायक और उत्तराखंड सरकार में वन मंत्री हरक सिंह रावत पिछले लंबे समय से कोटद्वार के लिए लालढांग-चिल्लरखाल को लेकर प्रयासरत है जिसके लिए वो हर अड़चन को पार करते हुए इस मार्ग का निर्माण के लिए प्रयासरत है और मर्ग का 70 फीसदी काम भी लगभग बनकर तैयार है। लेकिन शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश ने हरक सिंह के सारे प्रयासों पर पानी फेर दिया और इस काम को तत्काल रोकने के आदेश दे दिए और साथ मे नेशनल टाइगर कंजरवेशन ऑथोरिटी यानी (NTCA) और राष्टीय वन्य जीव बोर्ड की स्टैंडिंग की अनुमति ना लेने को लेकर उत्तराखंड सरकार से तीन हफ्तों के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है।

इस पूरे मामले पर वन मंत्री हरक सिंह रावत फिलहाल बैकफुट पर है और उन्होंने कहा कि ओर कोर्ट के आदेश का देख रहे हैं और इस विषय पर सम्बंधित अधिकारियों से बात चीत करेंगे वहीं सूत्रों के अनुसार आज हरक सिंह रावत ने वन विभाग और शासन के तमाम अधिकारियों को तलब किया है और देर शाम तक सभी अधिकारी इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के किस तरह से अपना पक्ष रखने को लेकर रणनीति बनाएंगे।

बाइट- हरक सिंह रावत, वन मंत्री उत्तराखंड





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