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वन मंत्री हरक सिंह रावत की हुई जीत, लालढांग-चिल्लरखाल मोटर मार्ग का रास्ता हुआ साफ - वन विभाग

वन मंत्री हरक सिंह रावत और अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश के बीच तनातनी और बयानबाजी के बाद आखिरकार लालढांग-चिल्लरखाल मोटर मार्ग के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है.

laldhang chillarakhaal motorway
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Published : May 31, 2019, 11:34 PM IST

देहरादून: लालढांग-चिल्लरखाल मोटरमार्ग के निर्माण को लेकर आखिरकार वन मंत्री हरक सिंह रावत की ही जीत हुई. वन विभाग ने आज लोक निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव को पत्र भेजकर इस मार्ग के निर्माण को लेकर किसी भी अनुमति की जरूरत नहीं होने की बात कही है. वन विभाग के इस पत्र के बाद लोक निर्माण विभाग द्वारा मार्ग के निर्माण पर जल्द काम शुरू कर दिया जाएगा.

पढ़ें- PWD की कार्यप्रणाली पर ग्रामीणों ने उठाए सवाल, सड़क निर्माण में धांधली का आरोप

वन मंत्री हरक सिंह रावत और अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश के बीच तनातनी और बयान बाजी के बाद आखिरकार लालढांग-चिल्लरखाल मोटरमार्ग के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है. वन विभाग ने मंगलवार अपर मुख्य सचिव लोक निर्माण विभाग ओम प्रकाश के लिए को एक पत्र भेजा था. जिसमें लिखा हुआ था कि इस मार्ग के निर्माण में किसी भी वाइल्ड लाइफ क्लीयरेंस की जरुरत नहीं है.

बता दें कि डीएफओ की रिपोर्ट के आधार पर अपर मुख्य सचिव लोक निर्माण विभाग ओम प्रकाश ने लालढांग-चिल्लरखाल मार्ग के निर्माण को रोकने के आदेश दिए थे. इस बात से वन मंत्री हरक सिंह रावत काफी गुस्सा थे. उन्होंने लगातार अपर मुख्य सचिव लोक निर्माण विभाग के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था. इतना ही नहीं इस मार्ग के न बनने पर उन्होंने मुख्यमंत्री को इस्तीफे की पेशकश तक कर दी थी.

पढ़ें- मां गंगा के लिये 19 किमी की चढ़ाई करेंगे दिव्यांगजन, गंगोत्री से गोमुख तक करेंगे ट्रेकिंग

वन मंत्री हरक की नाराजगी इस कदर थी कि मामला मुख्यमंत्री दरबार तक पहुंच गया था. इसके बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने खुद इस मामले में हरक सिंह रावत से बात की थी. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र से मुलाकात के बाद और आचार संहिता खत्म होते ही वन मंत्री ने अधिकारियों की बैठक बुलाई थी. बैठक में दो दिन के अंदर वन विभाग को जांच पूरी करने के आदेश दिए थे. मंगलवार को मुख्य वन संरक्षक जयराज के निर्देशों के बाद मार्ग के निर्माण में किसी भी रेंज की जरुरत नहीं होने की बात कही. अब मार्ग का निर्माण कार्य विधिवत रूप से शुरू हो पाएगा. लोक निर्माण विभाग इस पर काम शुरू कर सकेगा.

बता दें कि लालढांग-चिल्लरखाल मोटर मार्ग राजनीतिक रूप से भी बेहद महत्व है. हरक सिंह रावत के विधानसभा क्षेत्र का मामला होने के कारण ये मार्ग उनके लिए और भी जरुरी हो गया था. यहीं कारण है कि इस मामले में हरक सिंह रावत के सरकार और अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था.

देहरादून: लालढांग-चिल्लरखाल मोटरमार्ग के निर्माण को लेकर आखिरकार वन मंत्री हरक सिंह रावत की ही जीत हुई. वन विभाग ने आज लोक निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव को पत्र भेजकर इस मार्ग के निर्माण को लेकर किसी भी अनुमति की जरूरत नहीं होने की बात कही है. वन विभाग के इस पत्र के बाद लोक निर्माण विभाग द्वारा मार्ग के निर्माण पर जल्द काम शुरू कर दिया जाएगा.

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वन मंत्री हरक सिंह रावत और अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश के बीच तनातनी और बयान बाजी के बाद आखिरकार लालढांग-चिल्लरखाल मोटरमार्ग के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है. वन विभाग ने मंगलवार अपर मुख्य सचिव लोक निर्माण विभाग ओम प्रकाश के लिए को एक पत्र भेजा था. जिसमें लिखा हुआ था कि इस मार्ग के निर्माण में किसी भी वाइल्ड लाइफ क्लीयरेंस की जरुरत नहीं है.

बता दें कि डीएफओ की रिपोर्ट के आधार पर अपर मुख्य सचिव लोक निर्माण विभाग ओम प्रकाश ने लालढांग-चिल्लरखाल मार्ग के निर्माण को रोकने के आदेश दिए थे. इस बात से वन मंत्री हरक सिंह रावत काफी गुस्सा थे. उन्होंने लगातार अपर मुख्य सचिव लोक निर्माण विभाग के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था. इतना ही नहीं इस मार्ग के न बनने पर उन्होंने मुख्यमंत्री को इस्तीफे की पेशकश तक कर दी थी.

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वन मंत्री हरक की नाराजगी इस कदर थी कि मामला मुख्यमंत्री दरबार तक पहुंच गया था. इसके बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने खुद इस मामले में हरक सिंह रावत से बात की थी. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र से मुलाकात के बाद और आचार संहिता खत्म होते ही वन मंत्री ने अधिकारियों की बैठक बुलाई थी. बैठक में दो दिन के अंदर वन विभाग को जांच पूरी करने के आदेश दिए थे. मंगलवार को मुख्य वन संरक्षक जयराज के निर्देशों के बाद मार्ग के निर्माण में किसी भी रेंज की जरुरत नहीं होने की बात कही. अब मार्ग का निर्माण कार्य विधिवत रूप से शुरू हो पाएगा. लोक निर्माण विभाग इस पर काम शुरू कर सकेगा.

बता दें कि लालढांग-चिल्लरखाल मोटर मार्ग राजनीतिक रूप से भी बेहद महत्व है. हरक सिंह रावत के विधानसभा क्षेत्र का मामला होने के कारण ये मार्ग उनके लिए और भी जरुरी हो गया था. यहीं कारण है कि इस मामले में हरक सिंह रावत के सरकार और अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था.

Intro:लालढांग-चिल्लरखाल मार्ग के निर्माण को लेकर आखिरकार वन मंत्री हरक सिंह रावत की ही जीत हुई... वन विभाग ने आज लोक निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव को पत्र भेजकर इस मार्ग के निर्माण को लेकर किसी भी अनुमति की जरूरत नहीं होने की बात कही है...वन विभाग के इस पत्र के बाद लोक निर्माण विभाग द्वारा मार्ग के निर्माण पर जल्द काम शुरू कर दिया जाएगा।


Body:वन मंत्री हरक सिंह रावत और अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश के बीच तनातनी और बयान बाजी के बाद आखिरकार लालढांग- चिल्लरखाल मार्ग के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। वन बैक मैंने आज पत्र जारी करते हुए अपर मुख्य सचिव लोक निर्माण विभाग ओम प्रकाश को मार्ग पर किसी भी वाइल्डलाइफ क्लीयरेंस की जरूरत नहीं होने की बात कही है।

आपको बता दें कि डीएफओ की रिपोर्ट के आधार पर अपर मुख्य सचिव लोक निर्माण विभाग ओमप्रकाश ने लालढांग चिल्लर खाल मार्ग के निर्माण पर रोक के आदेश कर दिए थे। जिसके बाद से ही वन मंत्री हरक सिंह रावत बेहद ज्यादा खफा थे और लगातार ओमप्रकाश के खिलाफ मोर्चा खोले हुए थे। वन मंत्री हरक सिंह रावत की नाराजगी इस कदर थी कि मामला मुख्यमंत्री दरबार तक भी जा पहुंचा था इसके बाद खुद मुख्यमंत्री ने भी मामले पर हरक सिंह रावत से बात की थी इसके बाद 2 दिन पहले ही हरक सिंह रावत ने आचार संहिता खत्म होते ही सभी अधिकारियों की बैठक बुलाई और 2 दिन के भीतर ही वन महकमे को जांच पूरी कर मामले पर अंतिम निर्णय लेना पड़ा। बहरहाल अब प्रमुख वन संरक्षक जयराज के निर्देशों के बाद मार के निर्माण में किसी भी की रेंज की जरूरत नहीं होने की बात कही गई है जिसके बाद अभी मार्ग विधिवत रूप से शुरू हो पाएगा और लोक निर्माण विभाग इस पर काम शुरू कर सकेगा।



Conclusion:वन मंत्री हरक सिंह रावत के लिए मार्ग का निर्माण इतना जरूरी था कि उन्होंने इस मार्ग के ना बनने पर मुख्यमंत्री को इस्तीफा तक देने की चेतावनी दे दी थी ऐसे में मामले ने तूल पकड़ा और आखिरकार अधिकारियों को हरक सिंह रावत की जीत के सामने झुकना पड़ा दरअसल लालढांग-चिल्लरखाल मार्ग का राजनीतिक रूप से भी बेहद महत्व है और हरक सिंह रावत के विधानसभा क्षेत्र का मामला होने के कारण ये मार्ग उनके लिए और भी जरूरी हो गया था। यह सभी कारण है कि हरक सिंह रावत ने मार्ग के निर्माण को लेकर मुख्यमंत्री तक को चेतावनी देते हुए अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोला था और इसके परिणाम स्वरूप अब हरक सिंह रावत की इस मुहिम के सामने सभी को झुकना पड़ा और मार्ग के निर्माण का रास्ता साफ करना पड़ा।
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