देहरादून: हिंदुओं का सबसे बड़ा महापर्व दीपावली आज धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस दिन मुख्य तौर पर देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है. मान्यता है कि दीपावली यानी कार्तिक मास की अमावस्या पर लक्ष्मी जी की पूजा करने से सुख-समृद्धि आती है. दीपावली की पूजा विशेष मुहूर्त में की जाती है. इन मुहूर्तों को उस समय के काल और लग्न की गणना के अनुसार निकाला जाता है. इस साल कार्तिक अमावस्या 14 नवंबर 2020, शनिवार को दोपहर 2 बजकर 18 मिनट के बाद से लग जाएगी. बह्मपुराण के अनुसार, अर्द्धरात्रि व्यापिनी अर्थात आधी रात तक रहने वाली अमावस्या ही श्रेष्ठ होती है.
लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त
दीपावली के शुभ मुहूर्त की बात करें तो लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त शाम 5 बजकर 30 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 25 मिनट तक का है. प्रदोष काल मुहूर्त शाम 5 बजकर 27 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 6 मिनट तक रहेगा. वृषभ काल मुहूर्त शाम 5 बजकर 30 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 25 मिनट तक है.
पूजन सामग्री
लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा, लक्ष्मी जी को अर्पित किए जाने वाले वस्त्र, लाल कपड़ा, सप्तधान्य, गुलाल, लौंग, अगरबत्ती, हल्दी, अर्घ्य पात्र, फूलों की माला और खुले फूल, सुपारी, सिंदूर, इत्र, इलायची, कपूर, केसर, सीताफल, कमलगट्टे, कुशा, कुंकु, साबुत धनिया (जिसे धनतेरस पर खरीदा हो), खील-बताशे, गंगाजल, देसी घी, चंदन, चांदी का सिक्का, अक्षत, दही, दीपक, दूध, लौंग लगा पान, दूब घास, गेहूं, धूप बत्ती, मिठाई, पंचमेवा, पंच पल्लव (गूलर, गांव, आम, पाकर और बड़ के पत्ते), तेल, मौली, रूई, पांच यज्ञोपवीत (धागा), रोली, लाल कपड़ा, चीनी, शहद, नारियल और हल्दी की गांठ रखें.
लक्ष्मी पूजन की विधि
धनतेरस के दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की नई मूर्ति खरीदकर दीपावली की रात उसका पूजन किया जाता है. सबसे पहले एक चौकरी पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा रखें. अब जलपात्र या लोटे से चौकी के ऊपर पानी छिड़कते हुए मंत्र का उच्चारण करें.
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प्रदोष काल में क्या करें
प्रदोष काल में मंदिर में दीपदान, रंगोली बनाने और पूजा से जुड़ी अन्य तैयारी कर लेनी चाहिए. साथ ही मिठाई वितरण का काम भी कर लेना चाहिए. इन सभी कार्यों को प्रदोष काल में करना शुभ माना जाता है. इसके साथ ही द्वार पर स्वास्तिक और शुभ-लाभ लिखने का कार्य भी इस दौरान किया जा सकता है.
प्रदोष काल मुहूर्त- शाम 05.27 बजे से रात 08.06 बजे तक
निशीथ काल में क्या करें
शनिवार के दिन निशीथ काल रात में लगभग 8 बजे से लेकर 11 बजे तक रहेगा. इस काल में धन की देवी लक्ष्मी का आह्वान एवं पूजन, गल्ले की पूजा तथा हवन आदि कार्य पूरे कर लेने चाहिए. इसके साथ ही महालक्ष्मी पूजन, महाकाली पूजन, लेखनी कुबेर, पूजन एवं अन्य मंत्रों का जप भी कर लेना शुभ रहता है.
निशीथ काल मुहूर्त- रात में 08.08 बजे से 10.51 बजे तक
महानिशीथ काल में क्या करें
महानिशीथ काल में कर्क लग्न भी हो तो शुभ माना जाता है. जो लोग शास्त्रों के अनुसार दीपावाली पूजन करना चाहते हैं, उन्हें इस समयावधि में पूजा कर लेनी चाहिए. इस काल में मुख्यतौर पर तांत्रिक, ज्योतिर्विद, वेद आरंभ, कर्मकांडी, अघोरी, यंत्र-मंत्र-तंत्र के ज्ञाता अलग-अलग शक्तियों का पूजन करते हैं.
दीपावाली पूजन लग्न
वृश्चिक लग्न- सुबह 06.57 बजे से 09.14 बजे तक.
कुंभ लग्न- दोपहर में 01.02 बजे से 02.29 बजे तक
वृष लग्न- शाम को 05.30 बजे से 07.24 बजे तक
सिंह लग्न- रात में 12 बजे से 15 नवंबर की रात 02.17 बजे तक
मान्यता है कि रावण की लंका का दहन कर 14 वर्ष का वनवास काटकर भगवान राम अपने घर लौटे थे. इसी खुशी में पूरी प्रजा ने नगर में अपने राम का स्वागत घी के दीपक जलाकर किया. राम के भक्तों ने पूरी अयोध्या को दीयों की रोशनी से भर दिया था. दीवाली के दिन को मां लक्ष्मी के जन्म दिवस के तौर पर मनाया जाता है.
वहीं, यह भी माना जाता है कि दीवाली की रात को ही मां लक्ष्मी में भगवान विष्णु से शादी की थी. इस दिन श्री गणेश, मां लक्ष्मी और मां सरस्वती की पूजा का विधान है. मान्यता है कि विधि-विधान से पूजा करने पर दरिद्रता दूर होती है और सुख-समृद्धि तथा बुद्धि का आगमन होता है. हिन्दुओं के अलावा सिख, बौद्ध और जैन धर्म के लोग भी दीवाली धूमधाम से मनाते हैं.