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कोरोना: नीतीश के एक फैसले ने रोका कई मजदूरों का रास्ता, पैसे बने रोड़ा - टिकट के पैसे

लॉकडाउन के इस दौर में सभी प्रदेशों की सरकार अपने नागरिकों के लिए संवेदनशील है और सभी राज्यों द्वारा अपने नागरिकों को लाने की होड़ लगी है. ऐसे में बिहार जाने के लिए पहुंचे कई मजदूर इसलिए बिहार नहीं जा पाए क्योंकि उनके पास ट्रेन के टिकट के लिए 630 रुपए नहीं थे.

Dehradun Corona news
बिहार के मजदूरों की मजबूरी
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Published : May 20, 2020, 12:43 PM IST

Updated : May 20, 2020, 1:13 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में लॉकडाउन में बाहरी राज्यों के हजारों मजदूर फंसे हुए हैं. बीते रोज मणिपुर और बिहार के मजदूरों के लिए देहरादून से श्रमिक ट्रेन चलाई गईं. ऐसे में उन मजदूरों के चेहरे पर खुशी देखने को मिली जो घर जा रहे थे. लेकिन जिन मजदूरों से ट्रेन टिकट का पैसा मांगा जाने लगा उनके चेहरे पर मायूसी छा गई.

देहरादून में मौजूद बिहार के कई मजदूरों के चेहरे पर रौनक देखने को मिली जब वह अपने घरों की ओर जाने लगे. लेकिन कई ऐसे मजदूर थे जिनके चेहरे मुरझा गए क्योंकि उनके पास टिकट के लिए 630 रुपए नहीं थे. ऐसे में कई मजदूरों से ईटीवी भारत ने बात की और उन्होंने अपनी इस पीड़ा को ईटीवी भारत के सामने रखा. मजदूरों ने बताया कि उनके पास टिकट के पैसे नहीं है और वो घर जाना चाहते हैं. लॉकडाउन में उनके पास खाने की सबसे बड़ी समस्या है. ऐसे में उनको कुछ समझ नहीं आ रहा है कि क्या करें ?

बिहार के मजदूरों की मजबूरी.

पढ़ें- देहरादून: पार्किंग में खड़ी गाड़ियों में लगी आग, कई वाहन जलकर राख

देहरादून जिलाधिकारी आशीष कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि बिहार सरकार की ओर से उन्हें एक पत्र मिला है. इसमें लिखा है कि मजदूर अपना किराया खुद अदा करेंगे. हालांकि, बाद में बिहार सरकार द्वारा इन्हें रिफंड कर दिया जाएगा.

देहरादून: उत्तराखंड में लॉकडाउन में बाहरी राज्यों के हजारों मजदूर फंसे हुए हैं. बीते रोज मणिपुर और बिहार के मजदूरों के लिए देहरादून से श्रमिक ट्रेन चलाई गईं. ऐसे में उन मजदूरों के चेहरे पर खुशी देखने को मिली जो घर जा रहे थे. लेकिन जिन मजदूरों से ट्रेन टिकट का पैसा मांगा जाने लगा उनके चेहरे पर मायूसी छा गई.

देहरादून में मौजूद बिहार के कई मजदूरों के चेहरे पर रौनक देखने को मिली जब वह अपने घरों की ओर जाने लगे. लेकिन कई ऐसे मजदूर थे जिनके चेहरे मुरझा गए क्योंकि उनके पास टिकट के लिए 630 रुपए नहीं थे. ऐसे में कई मजदूरों से ईटीवी भारत ने बात की और उन्होंने अपनी इस पीड़ा को ईटीवी भारत के सामने रखा. मजदूरों ने बताया कि उनके पास टिकट के पैसे नहीं है और वो घर जाना चाहते हैं. लॉकडाउन में उनके पास खाने की सबसे बड़ी समस्या है. ऐसे में उनको कुछ समझ नहीं आ रहा है कि क्या करें ?

बिहार के मजदूरों की मजबूरी.

पढ़ें- देहरादून: पार्किंग में खड़ी गाड़ियों में लगी आग, कई वाहन जलकर राख

देहरादून जिलाधिकारी आशीष कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि बिहार सरकार की ओर से उन्हें एक पत्र मिला है. इसमें लिखा है कि मजदूर अपना किराया खुद अदा करेंगे. हालांकि, बाद में बिहार सरकार द्वारा इन्हें रिफंड कर दिया जाएगा.

Last Updated : May 20, 2020, 1:13 PM IST
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