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एक अप्रैल को ही क्यों मनाया जाता है अप्रैल फूल डे, जानें इतिहास

आपके जहन में भी यह सवाल जरूर उठता होगा कि आखिर 1 अप्रैल को ही अप्रैल फूल डे मनाने की शुरुआत कब और कैसे हुई? आखिर अप्रैल फूल डे का इतिहास क्या है? ईटीवी भारत की इस रिपोर्ट के जरिए जानिए अप्रैल फूल डे का इतिहास.

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अप्रैल फूल डे का इतिहास
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Published : Apr 1, 2021, 4:00 AM IST

देहरादून: हर दिन का अपना महत्व होता है और लोग उस दिन को सेलिब्रेट भी करते हैं. ऐसे ही एक अप्रैल को हर साल फूल डे के रूप में मनाया जाता है. इस दिन लोग एक-दूसरे के साथ कई तरह के मजाक करते हैं और उन्हें बेवकूफ बनाकर काफी खुश होते हैं. इन मजाकों का लोग बुरा नहीं मानते हैं. बल्कि इसका आनंद उठाते हैं.

अप्रैल फूल डे की शुरुआत कब और कैसे हुई, इसे लेकर कोई स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है. हालांकि विदेशों से शुरू हुई इस परंपरा ने कई अलग-अलग किस्से-कहानियों में अपनी जगह जरूर बनाई है.

अलग-अलग देशों में मनाने के तरीके अलग

भारत सहित अलग-अलग देशों में कई अलग तरीकों से अप्रैल फूल डे मनाया जाता है. जैसे ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, साउथ अफ्रीका और ब्रिटेन में अप्रैल फूल डे सिर्फ दोपहर तक मनाया जाता है. जबकि कुछ देशों- जापान, रूस, आयरलैंड, इटली और ब्राजील में पूरे दिन फूल डे मनाया जाता है.

राजा की सगाई से शुरुआत?

जानकार बताते हैं कि इंग्लैंड के राजा रिचर्ड द्वितीय और बोहेमिया की रानी एनी ने साल 1381 को अचानक अपनी सगाई का ऐलान कर दिया था. लेकिन जब सगाई का न्योता भेजा गया तो उसमें तारीख लिखी गई 32 मार्च 1381. सगाई के ऐलान के बीच जनता राजा की सगाई का जश्न मनाने लगी. लेकिन सगाई के न्योते में 31 मार्च की जगह 32 मार्च लिखा गया था. जब लोगों का ध्यान इस तरफ गया, तब से ही 1 अप्रैल को अप्रैल फूल डे के रूप में मनाने की शुरुआत हुई.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड की दो बड़ी शख्सियतों ने अप्रैल फूल डे को बताया खास, जानिए क्या कहा मूर्खता दिवस पर

संत की दाढ़ी में लगी आग!

दूसरी तरफ अप्रैल फूल डे की शुरुआत चीन की एक कहानी से भी जोड़ का देखा जाता रहा है. कहा जाता है कि चीन में सनंती नामक एक संत रहा करते थे. संत की लंबी दाढ़ी जमीन को छूती थी. एक दिन वो कहीं से गुजर रहे थे कि उनकी दाढ़ी में अचानक आग लग गई. संत सनंती अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे. उन्हें इस तरह से जलती दाढ़ी के साथ उछलते देख बच्चे ताली बजाकर हंसने लगे. संत ने कहा कि मैं तो मर रहा हूं, लेकिन तुम आज के दिन हमेशा किसी न किसी पर यूं ही हंसते रहोगे. ऐसा कहते हुए उनकी मृत्यु हो गयी. संयोगवश वह 1 अप्रैल का ही दिन था. ऐसे में इस तरह अप्रैल फूल डे मनाने की शुरुआत हुई होगी.

गधों के स्नान को लेकर फैली थी अफवाह

अप्रैल फूल डे को लेकर एक इतिहास ब्रिटेन की राजधानी लंदन से भी जुड़ा हुआ है. इतिहास में 1 अप्रैल 1860 का दिन काफी मशहूर है. लंदन में हजारों लोगों के पास डाक कार्ड से पोस्ट कार्ड द्वारा एक सूचना पहुंची कि एक अप्रैल को शाम टॉवर ऑफ लंदन में सफेद गधों के स्नान का कार्यक्रम होगा. इस कार्यक्रम को देखने के लिए आप आमंत्रित हैं. कृपया साथ में कार्ड अवश्य लाएं.

ऐसे में हजारों की संख्या में लोग पोस्ट कार्ड लेकर सफेद गधों के स्नान का इंतजार करते रहे. शाम होते टावर के आसपास हजारों लोगों की भीड़ जमा होने लगी और अंदर प्रवेश के लिए धक्का-मुक्की होने लगा लगी. लोगों को जब पता चला कि उन्हें मूर्ख बनाया गया है तो वो किसी आकर अपने घर लौट गए. ये वो दौर था जब टॉवर ऑफ लंदन में आम जनता का प्रवेश वर्जित था.

बहरहाल अप्रैल फूल डे को लेकर इसी तरह के किस्से-कहानियां प्रचलित हैं. वास्तविक इतिहास चाहे जैसा भी हो. लेकिन लोग हर साल 1 अप्रैल को अप्रैल फूल डे के तौर जरूर मनाते हैं.

देहरादून: हर दिन का अपना महत्व होता है और लोग उस दिन को सेलिब्रेट भी करते हैं. ऐसे ही एक अप्रैल को हर साल फूल डे के रूप में मनाया जाता है. इस दिन लोग एक-दूसरे के साथ कई तरह के मजाक करते हैं और उन्हें बेवकूफ बनाकर काफी खुश होते हैं. इन मजाकों का लोग बुरा नहीं मानते हैं. बल्कि इसका आनंद उठाते हैं.

अप्रैल फूल डे की शुरुआत कब और कैसे हुई, इसे लेकर कोई स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है. हालांकि विदेशों से शुरू हुई इस परंपरा ने कई अलग-अलग किस्से-कहानियों में अपनी जगह जरूर बनाई है.

अलग-अलग देशों में मनाने के तरीके अलग

भारत सहित अलग-अलग देशों में कई अलग तरीकों से अप्रैल फूल डे मनाया जाता है. जैसे ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, साउथ अफ्रीका और ब्रिटेन में अप्रैल फूल डे सिर्फ दोपहर तक मनाया जाता है. जबकि कुछ देशों- जापान, रूस, आयरलैंड, इटली और ब्राजील में पूरे दिन फूल डे मनाया जाता है.

राजा की सगाई से शुरुआत?

जानकार बताते हैं कि इंग्लैंड के राजा रिचर्ड द्वितीय और बोहेमिया की रानी एनी ने साल 1381 को अचानक अपनी सगाई का ऐलान कर दिया था. लेकिन जब सगाई का न्योता भेजा गया तो उसमें तारीख लिखी गई 32 मार्च 1381. सगाई के ऐलान के बीच जनता राजा की सगाई का जश्न मनाने लगी. लेकिन सगाई के न्योते में 31 मार्च की जगह 32 मार्च लिखा गया था. जब लोगों का ध्यान इस तरफ गया, तब से ही 1 अप्रैल को अप्रैल फूल डे के रूप में मनाने की शुरुआत हुई.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड की दो बड़ी शख्सियतों ने अप्रैल फूल डे को बताया खास, जानिए क्या कहा मूर्खता दिवस पर

संत की दाढ़ी में लगी आग!

दूसरी तरफ अप्रैल फूल डे की शुरुआत चीन की एक कहानी से भी जोड़ का देखा जाता रहा है. कहा जाता है कि चीन में सनंती नामक एक संत रहा करते थे. संत की लंबी दाढ़ी जमीन को छूती थी. एक दिन वो कहीं से गुजर रहे थे कि उनकी दाढ़ी में अचानक आग लग गई. संत सनंती अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे. उन्हें इस तरह से जलती दाढ़ी के साथ उछलते देख बच्चे ताली बजाकर हंसने लगे. संत ने कहा कि मैं तो मर रहा हूं, लेकिन तुम आज के दिन हमेशा किसी न किसी पर यूं ही हंसते रहोगे. ऐसा कहते हुए उनकी मृत्यु हो गयी. संयोगवश वह 1 अप्रैल का ही दिन था. ऐसे में इस तरह अप्रैल फूल डे मनाने की शुरुआत हुई होगी.

गधों के स्नान को लेकर फैली थी अफवाह

अप्रैल फूल डे को लेकर एक इतिहास ब्रिटेन की राजधानी लंदन से भी जुड़ा हुआ है. इतिहास में 1 अप्रैल 1860 का दिन काफी मशहूर है. लंदन में हजारों लोगों के पास डाक कार्ड से पोस्ट कार्ड द्वारा एक सूचना पहुंची कि एक अप्रैल को शाम टॉवर ऑफ लंदन में सफेद गधों के स्नान का कार्यक्रम होगा. इस कार्यक्रम को देखने के लिए आप आमंत्रित हैं. कृपया साथ में कार्ड अवश्य लाएं.

ऐसे में हजारों की संख्या में लोग पोस्ट कार्ड लेकर सफेद गधों के स्नान का इंतजार करते रहे. शाम होते टावर के आसपास हजारों लोगों की भीड़ जमा होने लगी और अंदर प्रवेश के लिए धक्का-मुक्की होने लगा लगी. लोगों को जब पता चला कि उन्हें मूर्ख बनाया गया है तो वो किसी आकर अपने घर लौट गए. ये वो दौर था जब टॉवर ऑफ लंदन में आम जनता का प्रवेश वर्जित था.

बहरहाल अप्रैल फूल डे को लेकर इसी तरह के किस्से-कहानियां प्रचलित हैं. वास्तविक इतिहास चाहे जैसा भी हो. लेकिन लोग हर साल 1 अप्रैल को अप्रैल फूल डे के तौर जरूर मनाते हैं.

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