देहरादून: राज्य की 70 प्रतिशत से अधिक की आबादी कृषि एवं पशुपालन व्यवसाय से जुड़ी हुई है. राज्य में संतुलित पशु आहार के साथ-साथ पर्वतीय क्षेत्र में हरे चारे की अत्यधिक कमी को देखते हुए मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना की शुरुआत की गई है. इस योजना के तहत सस्ते गल्ले की तरह प्रदेश में 7,771 केंद्रों के माध्यम से गांवों तक पशुओं के लिए सस्ता चारा उपलब्ध कराया जाएगा.
पढ़ें- महाकुंभ में कोने-कोने से पहुंचेंगे संत, भव्य स्वागत की तैयारी
सीएम घस्यारी कल्याण योजना का मकसद
- चारा काटने के लिए जंगल में जाने से महिलाओं को होने वाली कठिन परिस्थितियां का निवारण करना.
- चारा काटने में लगी हुई ग्रामीण पर्वतीय महिलाओं के कार्यबोझ, दुर्घटनाओं को कम करना.
- परेशानियों एवं अनुत्पादक चीजों से बचाव.
- फसल के अवशेषों और फॉरेंज (Forage) को वैज्ञानिक संरक्षण द्वारा राज्य में चारे की कमी को दूर करना.
- फसल के अवशेषों को जलाने के कारण होने वाले पर्यावरणीय दुष्परिणामों को कम करना.
- पशुओं के स्वास्थ्य में सुधार और दूध की पैदावार में वृद्धि करके कृषकों की आय में बढोत्तरी करना.
- प्रस्तावित योजना में राज्य के कृषक लाभार्थियों/पधुपालकों को सायलेज/टीएमआर/चारा ब्लॉक रियायती दर पर उपलब्ध कराना.
- इस योजना के तहत लगभग 2,000 से अधिक कृषक परिवारों को उनकी 2,000 एकड़ से अधिक भूमि पर मक्का की सामूहिक सहकारी खेती से जोड़ा जायेगा.
इस योजना के तहत एक ओर जहां मक्का उत्पादक किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाये जाने की व्यवस्था की गई है, उसके साथ ही राज्यान्तर्गत ही सम्पूर्ण मूल्य श्रृंखला (Complete Value Chain ) स्थापित कर पशुपालकों को गुणवत्तायुक्त सायलेज/टीएमआर उपलब्ध होगा. पर्वतीय महिलाओं के कन्धों से घास के गट्ठर का बोझ भी उतारा जा सकेगा.
पढ़ें- पेट्रोल-डीजल के आसमान छूते दामों के बीच CNG की तरफ बढ़ते कदम, पढ़िए फायदे की खबर
बजट और अनुदान
प्रस्तावित योजना राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना NCDC द्वारा सहायतित के माध्यम से संचालित की जानी है. जिसके उत्पादन इकाई की कुल परियोजना लागत पर होने वाला पूंजीगत व्यय 19 करोड़ 6 लाख 50 हजार मात्र है. जिसमें से सिविल इन्फ्रास्ट्रक्चर और प्लांट एण्ड मशीनरी और अन्य व्यय कार्यशील पूंजी को छोड़कर 1306.50 लाख आकलित की गई है. राज्य सरकार द्वारा इसके 50 प्रतिशत का मात्र एक बार पूंजीगत अनुदान उपलब्ध कराये जाने पर सायलेज उत्पादन एवं विपणन सहकारी संघ लि. को योजना को स्वाश्रयी बनाने में सुगमता होगी. शेष धनराशि की व्यवस्था राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना के प्रावधानों के अन्तर्गत वित्तीय सहायता के रूप में प्राप्त की जायेगी.