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जरा संभलकर! जानलेवा हैं उत्तराखंड के ये 74 डेंजर जोन

उत्तराखंड में 74 डेंजर जोन हैं जहां भूस्खलन और हादसों का खतरा निरंतर बना रहता है. ऐसे में अगर आप भी उत्तराखंड का रुख कर रहे हैं तो जान लीजिए ये खतरनाक जोन जहां जाने के लिए सावधानी बेहद ही जरूरी है.

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74 डेंजर जोन
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Published : Jul 10, 2020, 1:34 PM IST

Updated : Jul 10, 2020, 5:37 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड को प्रकृति ने भरपूर तोहफा दिया है. चारधाम, नदी, झरने, पहाड़, जंगल और अनेकों तरह के वन्य जीव से देवभूमि की धरती सजी हुई है. ऐसे में उत्तराखंड के खूबसूरत नजारों का दीदार करने पर्यटक, यात्री और श्रद्धालु देश-विदेश से खिंचे चले आते हैं. अगर आप भी उत्तराखंड आने की सोच रहे हैं तो जरा संभल जाइए. क्योंकि हम आपको बताने जा रहे हैं उत्तराखंड के 74 डेंजर प्वाइंट के बारे में जिनकी जानकारी आपको होना जरूरी है. क्योंकि आप जब देवभूमि की सैर पर आएं तो अपने साथ अच्छी यादें संजोकर ले जाएं न कि किसी हादसे का शिकार हो जाएं.

सफर से पहले सावधानी जरूरी

उत्तराखंड में मॉनसून हो या यात्रा सीजन चाहे कोई भी मौसम हो यहां सड़क हादसों का सिलसिला चलता रहता है. पहाड़ी इलाकों में होने वाले इन हादसों को रोका नहीं जा सका है. अगर आप उत्तराखंड आने का प्लान कर रहे हैं या फिर पहाड़ों में आप ड्राइव करने की इच्छा रखते हैं, तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि देवभूमि में कौन-कौन से वो डेंजर जोन हैं, जहां पर आपको सावधानी के साथ गाड़ी चलानी पड़ेगी. आपकी जरा सी लापरवाही आपको और आपके साथ सफर कर रहे लोगों को खतरे में डाल सकती है.

उत्तराखंड के ये हैं 74 डेंजर जोन.

उत्तराखंड में विषम भौगोलिक परिस्थिति

विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते राज्य में आपदा जैसे हालात बनना आम बात है. यही वजह है कि राज्य सरकार लगातार प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए व्यवस्थाओं को मुकम्मल करती रहती है. यही नहीं आपदा प्रबंधन विभाग और लोक निर्माण विभाग प्रदेश के उन मार्गों को हमेशा चिन्हित करते रहते हैं जिन मार्गों पर भूस्खलन या ज्यादा दुर्घटनाएं होती रहती हैं. ऐसे में उन तमाम मार्गों पर सावधानियां बरतने की जरूरत है. खासकर प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में जहां भूस्खलन का खतरा बना रहता है.

पढ़ें- खून से लाल हो रही इस जिले की सड़कें, हादसों में प्रदेश में पहले पायदान पर

भूस्खलन क्षेत्र की जानकारी

आपदा प्रबंधन निदेशक पीयूष रौतेला ने बताया कि मॉनसून सीजन के दौरान पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन होना आम बात है. अगर कहीं एक जगह भूस्खलन होता है और वहां स्टेबल हो जाता है तो उस जगह पर हर बार भूस्खलन होता रहता है. इसकी जानकारी आमतौर पर स्थानीय लोगों को रहती है, लेकिन जहां अचानक भूस्खलन होता है या फिर किसी जगह पर पहली बार भूस्खलन होता है तो वहां ज्यादा नुकसान का खतरा रहता है. हालांकि, जब पहाड़ी क्षेत्रों में सड़क बनाई जाती हैं तो उन्हें इस तरीके से बनाया जाता है कि जिससे भूस्खलन को रोका जा सके.

ये भी पढ़ें: श्रीनगर: ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे पर भूस्खलन की चपेट में आई कार, क्षतिग्रस्त

सैलानियों को सावधानी बरतने की है जरूरत

उत्तराखंड पर्यटन प्रदेश होने के चलते यहां हर साल करोड़ों की संख्या में सैलानी आते हैं. ऐसे में आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए खासकर मॉनसून सीजन में होने वाले भूस्खलन को देखते हुए सावधानीपूर्वक चलने के लिए साइन बोर्ड लगाए गए हैं. यही नहीं अगर कहीं भूस्खलन के चलते सड़क बाधित होती है तो उस दौरान यात्रियों को किसी ऐसे स्थान पर रोका जाता है, जहां खाने-पीने की व्यवस्था हो. इसके लिए जिला प्रशासन को पहले ही निर्देश दिए जा चुके हैं. ताकि यात्रियों को कोई परेशानी ना हो.

कंट्रोल रूम से ले सकते हैं मदद

आपदा प्रबंधन निदेशक पीयूष रौतेला ने बताया कि हर जगह पर कर्मचारी खड़ा करना संभव नहीं है. लेकिन जब कहीं से भूस्खलन की सूचनाएं मिलती हैं तो तत्काल प्रभाव से वहां की सड़कों को जेसीबी के माध्यम से साफ कराया जाता है. हालांकि, तत्काल सूचनाओं के लिए जिन क्षेत्रों में अमूमन भूस्खलन होते हैं वहां साइन बोर्ड के साथ ही कंट्रोल रूम के नंबर भी लिखे गए हैं. ताकि अगर भूस्खलन होता है तो वहां फंसे यात्री या फिर स्थानीय लोग कंट्रोल रूम नंबर पर कॉल कर सूचना दे सकते हैं.

पढ़ें- उत्तराखंड के ये 5 बड़े सड़क हादसे, सैकड़ों लोगों ने गंवा दी अपनी जान

चारधाम रूट पर हैं 8 भूस्खलन जोन

वहीं, राष्ट्रीय राजमार्ग के अधीक्षण अभियंता ओम प्रकाश ने बताया कि चारधाम यात्रा रूट पर एनएच 58, एनएच 119 और एनएच 94 पर 8 जगहों पर चिन्हित लैंडस्लाइडिंग जोन हैं. इनमें मूल्यागांव, सिरोबगड़, लामबगड़, बांसबाड़ा, खाट, ओजरी, पीपलपानी और नंदगांव शामिल हैं. यहां पर पीडब्ल्यूडी के अधिकारी निरंतर इसकी मॉनिटरिंग करते रहते हैं. इसके साथ ही जिन जगहों पर हमेशा भूस्खलन होता रहा है, उन जगहों पर व्यवस्थाओं के अनुरूप, पहले ही जेसीबी खड़ी कर दी जाती है ताकि आने जाने वाले यात्रियों को कम परेशानियों का सामना करना पड़े.

प्रदेश भर में 74 भूस्खलन जोन किए गए हैं चिन्हित

  • उत्तरकाशी जिले में 11 लैंडस्लाइड जोन चिन्हित किये गए हैं जहां 5 जेसीबी मशीनें तैनात हैं.
  • टिहरी जिले में 10 लैंडस्लाइड जोन चिन्हित किए गए हैं जहां 10 जेसीबी मशीनें तैनात हैं.
  • चमोली जिले में 6 लैंडस्लाइड जोन चिन्हित किए गए हैं जहां 6 जेसीबी मशीनें तैनात हैं.
  • रुद्रप्रयाग जिले में 12 लैंडस्लाइड जोन चिन्हित किए गए हैं जहां 4 जेसीबी मशीनें तैनात हैं.
  • पौड़ी जिले में 1 लैंडस्लाइड जोन चिन्हित है जहां एक भी जेसीबी मशीन तैनात नहीं है.
  • देहरादून जिले में 6 लैंडस्लाइड जोन चिन्हित किए गए हैं जहां 1 जेसीबी और एक डोजर मशीन तैनात की गई है.
  • पिथौरागढ़ जिले में 4 लैंडस्लाइड जोन चिन्हित किए गए हैं जहां 4 जेसीबी और 2 डोजर मशीनें तैनात की गई हैं.
  • चंपावत जिले में 6 लैंडस्लाइड जोन चिन्हित किए गए हैं जहां 6 जेसीबी मशीनें तैनात की गई हैं.
  • बागेश्वर जिले में 2 लैंडस्लाइड जोन चिन्हित किए गए हैं जहां 2 जेसीबी मशीनें तैनात की गई हैं.
  • नैनीताल जिले में 5 लैंडस्लाइड जोन चिन्हित किए गए हैं जहां 5 जेसीबी मशीनें तैनात की गई हैं.
  • इसके साथ ही एडीबी में 1 लैंडस्लाइड जोन चिन्हित है जहां 1 जेसीबी मशीन तैनात की गई है.
  • प्रदेश के अन्य एनएच पर 10 लैंडस्लाइड जोन चिन्हित किए गए हैं जहां 18 जेसीबी और 4 डोजर मशीनें तैनात की गई हैं.

देहरादून: उत्तराखंड को प्रकृति ने भरपूर तोहफा दिया है. चारधाम, नदी, झरने, पहाड़, जंगल और अनेकों तरह के वन्य जीव से देवभूमि की धरती सजी हुई है. ऐसे में उत्तराखंड के खूबसूरत नजारों का दीदार करने पर्यटक, यात्री और श्रद्धालु देश-विदेश से खिंचे चले आते हैं. अगर आप भी उत्तराखंड आने की सोच रहे हैं तो जरा संभल जाइए. क्योंकि हम आपको बताने जा रहे हैं उत्तराखंड के 74 डेंजर प्वाइंट के बारे में जिनकी जानकारी आपको होना जरूरी है. क्योंकि आप जब देवभूमि की सैर पर आएं तो अपने साथ अच्छी यादें संजोकर ले जाएं न कि किसी हादसे का शिकार हो जाएं.

सफर से पहले सावधानी जरूरी

उत्तराखंड में मॉनसून हो या यात्रा सीजन चाहे कोई भी मौसम हो यहां सड़क हादसों का सिलसिला चलता रहता है. पहाड़ी इलाकों में होने वाले इन हादसों को रोका नहीं जा सका है. अगर आप उत्तराखंड आने का प्लान कर रहे हैं या फिर पहाड़ों में आप ड्राइव करने की इच्छा रखते हैं, तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि देवभूमि में कौन-कौन से वो डेंजर जोन हैं, जहां पर आपको सावधानी के साथ गाड़ी चलानी पड़ेगी. आपकी जरा सी लापरवाही आपको और आपके साथ सफर कर रहे लोगों को खतरे में डाल सकती है.

उत्तराखंड के ये हैं 74 डेंजर जोन.

उत्तराखंड में विषम भौगोलिक परिस्थिति

विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते राज्य में आपदा जैसे हालात बनना आम बात है. यही वजह है कि राज्य सरकार लगातार प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए व्यवस्थाओं को मुकम्मल करती रहती है. यही नहीं आपदा प्रबंधन विभाग और लोक निर्माण विभाग प्रदेश के उन मार्गों को हमेशा चिन्हित करते रहते हैं जिन मार्गों पर भूस्खलन या ज्यादा दुर्घटनाएं होती रहती हैं. ऐसे में उन तमाम मार्गों पर सावधानियां बरतने की जरूरत है. खासकर प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में जहां भूस्खलन का खतरा बना रहता है.

पढ़ें- खून से लाल हो रही इस जिले की सड़कें, हादसों में प्रदेश में पहले पायदान पर

भूस्खलन क्षेत्र की जानकारी

आपदा प्रबंधन निदेशक पीयूष रौतेला ने बताया कि मॉनसून सीजन के दौरान पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन होना आम बात है. अगर कहीं एक जगह भूस्खलन होता है और वहां स्टेबल हो जाता है तो उस जगह पर हर बार भूस्खलन होता रहता है. इसकी जानकारी आमतौर पर स्थानीय लोगों को रहती है, लेकिन जहां अचानक भूस्खलन होता है या फिर किसी जगह पर पहली बार भूस्खलन होता है तो वहां ज्यादा नुकसान का खतरा रहता है. हालांकि, जब पहाड़ी क्षेत्रों में सड़क बनाई जाती हैं तो उन्हें इस तरीके से बनाया जाता है कि जिससे भूस्खलन को रोका जा सके.

ये भी पढ़ें: श्रीनगर: ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे पर भूस्खलन की चपेट में आई कार, क्षतिग्रस्त

सैलानियों को सावधानी बरतने की है जरूरत

उत्तराखंड पर्यटन प्रदेश होने के चलते यहां हर साल करोड़ों की संख्या में सैलानी आते हैं. ऐसे में आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए खासकर मॉनसून सीजन में होने वाले भूस्खलन को देखते हुए सावधानीपूर्वक चलने के लिए साइन बोर्ड लगाए गए हैं. यही नहीं अगर कहीं भूस्खलन के चलते सड़क बाधित होती है तो उस दौरान यात्रियों को किसी ऐसे स्थान पर रोका जाता है, जहां खाने-पीने की व्यवस्था हो. इसके लिए जिला प्रशासन को पहले ही निर्देश दिए जा चुके हैं. ताकि यात्रियों को कोई परेशानी ना हो.

कंट्रोल रूम से ले सकते हैं मदद

आपदा प्रबंधन निदेशक पीयूष रौतेला ने बताया कि हर जगह पर कर्मचारी खड़ा करना संभव नहीं है. लेकिन जब कहीं से भूस्खलन की सूचनाएं मिलती हैं तो तत्काल प्रभाव से वहां की सड़कों को जेसीबी के माध्यम से साफ कराया जाता है. हालांकि, तत्काल सूचनाओं के लिए जिन क्षेत्रों में अमूमन भूस्खलन होते हैं वहां साइन बोर्ड के साथ ही कंट्रोल रूम के नंबर भी लिखे गए हैं. ताकि अगर भूस्खलन होता है तो वहां फंसे यात्री या फिर स्थानीय लोग कंट्रोल रूम नंबर पर कॉल कर सूचना दे सकते हैं.

पढ़ें- उत्तराखंड के ये 5 बड़े सड़क हादसे, सैकड़ों लोगों ने गंवा दी अपनी जान

चारधाम रूट पर हैं 8 भूस्खलन जोन

वहीं, राष्ट्रीय राजमार्ग के अधीक्षण अभियंता ओम प्रकाश ने बताया कि चारधाम यात्रा रूट पर एनएच 58, एनएच 119 और एनएच 94 पर 8 जगहों पर चिन्हित लैंडस्लाइडिंग जोन हैं. इनमें मूल्यागांव, सिरोबगड़, लामबगड़, बांसबाड़ा, खाट, ओजरी, पीपलपानी और नंदगांव शामिल हैं. यहां पर पीडब्ल्यूडी के अधिकारी निरंतर इसकी मॉनिटरिंग करते रहते हैं. इसके साथ ही जिन जगहों पर हमेशा भूस्खलन होता रहा है, उन जगहों पर व्यवस्थाओं के अनुरूप, पहले ही जेसीबी खड़ी कर दी जाती है ताकि आने जाने वाले यात्रियों को कम परेशानियों का सामना करना पड़े.

प्रदेश भर में 74 भूस्खलन जोन किए गए हैं चिन्हित

  • उत्तरकाशी जिले में 11 लैंडस्लाइड जोन चिन्हित किये गए हैं जहां 5 जेसीबी मशीनें तैनात हैं.
  • टिहरी जिले में 10 लैंडस्लाइड जोन चिन्हित किए गए हैं जहां 10 जेसीबी मशीनें तैनात हैं.
  • चमोली जिले में 6 लैंडस्लाइड जोन चिन्हित किए गए हैं जहां 6 जेसीबी मशीनें तैनात हैं.
  • रुद्रप्रयाग जिले में 12 लैंडस्लाइड जोन चिन्हित किए गए हैं जहां 4 जेसीबी मशीनें तैनात हैं.
  • पौड़ी जिले में 1 लैंडस्लाइड जोन चिन्हित है जहां एक भी जेसीबी मशीन तैनात नहीं है.
  • देहरादून जिले में 6 लैंडस्लाइड जोन चिन्हित किए गए हैं जहां 1 जेसीबी और एक डोजर मशीन तैनात की गई है.
  • पिथौरागढ़ जिले में 4 लैंडस्लाइड जोन चिन्हित किए गए हैं जहां 4 जेसीबी और 2 डोजर मशीनें तैनात की गई हैं.
  • चंपावत जिले में 6 लैंडस्लाइड जोन चिन्हित किए गए हैं जहां 6 जेसीबी मशीनें तैनात की गई हैं.
  • बागेश्वर जिले में 2 लैंडस्लाइड जोन चिन्हित किए गए हैं जहां 2 जेसीबी मशीनें तैनात की गई हैं.
  • नैनीताल जिले में 5 लैंडस्लाइड जोन चिन्हित किए गए हैं जहां 5 जेसीबी मशीनें तैनात की गई हैं.
  • इसके साथ ही एडीबी में 1 लैंडस्लाइड जोन चिन्हित है जहां 1 जेसीबी मशीन तैनात की गई है.
  • प्रदेश के अन्य एनएच पर 10 लैंडस्लाइड जोन चिन्हित किए गए हैं जहां 18 जेसीबी और 4 डोजर मशीनें तैनात की गई हैं.
Last Updated : Jul 10, 2020, 5:37 PM IST
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