देहरादून: 2022 विधानसभा चुनाव से पहले त्रिवेंद्र सरकार ने अपना पांचवां बजट गैरसैंण विधानसभा में पेश किया गया. इस बजट से सभी वर्गों ने खासी उम्मीदें थी. सभी को चुनावी साल में लोकलुभावन बजट की उम्मीदें थी. ऐसे में यह बजट आम लोगों से लेकर खास तक की उम्मीदों पर कितनी खरी उतरी, इसको लेकर ईटीवी भारत ने आर्थिक जानकारों और व्यापारी वर्ग से उनकी राय जानी. क्या कुछ कहा उन्होंने इस बजट को लेकर. पढ़िए रिपोर्ट.
आर्थिक एक्सपर्ट और व्यापारियों का नहीं भाया बजट
सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आज अपने कार्यकाल का आखिरी बजट गैरसैंण में पेश किया, लेकिन इस बजट को लेकर आर्थिक जानकारों से लेकर व्यापारी तक नाखुश दिख रहे हैं. बैंकिंग सेक्टर से जुड़े आर्थिक जानकारों की माने तो भले ही खेल, शिक्षा, युवा कल्याण, चिकित्सा, ग्रामीण विकास और कृषि अनुसंधान जैसे मदों में सरकार ने अच्छा बजट पेश किया है, लेकिन कोरोना काल में उद्योग, पर्यटन और श्रम रोजगार की हालत बेहद दयनीय होने के बावजूद इन सेक्टर पर कोई राहत देने का काम नहीं किया गया है. जबकि, उत्तराखंड के लोग मुख्य तौर पर पर्यटन और छोटे श्रम रोजगार से अपनी आजीविका चलाते हैं. ऐसे में पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए 235 करोड़ का बजट सरकार ने दिया है, जो नाकाफी है. वहीं, श्रम रोजगार को बढ़ावा देने के लिए 486 करोड़ का बजट मंदी के दौर में ऊंट के मुंह में जीरा जैसा है.
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बजट में पर्यटन और उद्योग को बढ़ावा नहीं: आर्थिक जानकार
वहीं, बैंकिंग सेक्टर से जुड़े जितेंद्र डीडोन ने कहा कि सरकार द्वारा पेश किया गया बजट काफी सराहनीय योग्य है, लेकिन उसके बावजूद अगर राज्य में रोजगार के तमाम साधनों को पटरी पर लाने के लिए विशेष तौर का पैकेज दिया जाता तो राज्यवासियों के लिए राहत की बात होती. जितेंद्र डिडोन के कहा कि उम्मीद के बावजूद इससे पहले केंद्रीय बजट में भी उत्तराखंड राज्य को पर्यटन और उद्योग को कोई राहत पैकेज नहीं दिया गया और अब राज्य सरकार का भी इस ओर ध्यान ना देना निराशाजनक लगता है.
रोजगार-कारोबार की नजर से निराशाजनक बजट: व्यापारी
बजट को लेकर देहरादून के व्यापारियों का भी यही मानना है कि भले ही सरकार ने चिकित्सा, शिक्षा, खेल, ग्रामीण विकास जैसे विषयों को प्राथमिकता देते हुए अच्छा खासा पैकेज दिया है, लेकिन कोरोना काल में टूट चुके व्यापारी कारोबार और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार का ध्यान ना जाना दुर्भाग्यपूर्ण है. वहीं, व्यापारियों का यह भी कहना है कि राज्य पुलिस को आधुनिक और मॉडर्न करने के लिए बजट में 2304 करोड़ रुपए पुलिस और जेल विभाग के उत्थान के लिए दिए हैं, लेकिन अगर इस बजट को कुछ कम कर पर्यटन और श्रम रोजगार क्षेत्र में बढ़ोतरी हो जाती तो कुछ राहत होती.
पब्लिशिंग कारोबार से जुड़े विनय कुमार का मानना है कि देश के अन्य राज्यों की तुलना उत्तराखंड पुलिस अपराध और कानून व्यवस्था बनाने में बहुत अच्छा काम कर रही है. ऐसे में अगर पुलिस के बजट के बराबर भी अगर रोजगार क्षेत्र में पैकेज दिया जाता तो राज्य के छोटे व मझोले व्यापारियों और स्वरोजगार वालों के लिए राहत की बात होती.