देहरादूनः पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने भराड़ीसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाए जाने की घोषणा को राज्य आंदोलनकारियों की भावना पर कुठाराघात बताया है. उपाध्याय ने कहा कि सीएम त्रिवेंद्र ने बजट से ध्यान हटाने के लिए ग्रीष्मकालीन राजधानी का शिगूफा छोड़ा है. उत्तराखंड एक छोटा राज्य है. ऐसे में दो राजधानियों का भार वहन नहीं कर सकता है. ऐसे में हुक्मरान गैरसैंण में मौसम का आनंद लेने के लिए पहुंचेंगे.
वनाधिकार आंदोलन के प्रणेता और पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा कि अभी भी हम अंग्रेजों की गुलामी से नहीं उभर पाए हैं. हुक्मरानों को गर्मी लगे तो वे पहाड़ पर ठंड का आनंद लें और ठंड लगे तो गर्मी का आनंद लेने के लिए मैदान में उतर आएं. इसलिए दो राजधानी घोषित की है. वहीं, उपाध्याय ने त्रिवेंद्र रावत के द्वारा विधान सभा में पेश बजट की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि बजट में वित्तीय प्रबंधन दूर-दूर तक नहीं दिखाई दे रहा है. नॉन प्लान पर पेश बजट का अधिकतर हिस्सा जा रहा है.
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उन्होंने कहा कि घाटे के बजट को आंकड़ों की बाजीगिरी से सर प्लस दिखाया जा रहा है. बजट में पर्वतीय क्षेत्रों के लिए कुछ है नहीं और मैदानी व तराई के इलाकों की प्राथमिकताओं का ध्यान नहीं रखा गया है. शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र की कमर तोड़ दी है. किसानों, महिलाओं व युवाओं की घोर उपेक्षा की गई है. साथ ही कहा कि यह बजट महंगाई और बेरोजगारी बढ़ाएगा. समाज के अंतिम छोर पर बैठे उत्तराखंडी को इस बजट से सबसे ज्यादा निराशा हुई है.
उपाध्याय ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि उत्तराखंडियों के वनों पर पुश्तैनी अधिकारों की क्षतिपूर्ति जैसे रसोई गैस, बिजली-पानी, भवन निर्माण सामग्री आदि के बारे में मुख्यमंत्री राहत देंगे, लेकिन उन्होंने उत्तराखंड के अरण्य और गिरिजनों को निराश किया है. जो राज्य ऋण का ब्याज देने के लिए भी कर्ज पर निर्भर हो, वहां बजट और विकास की बात 'गूलर के फूल' लाने वाली जैसी है.