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कांग्रेस ने 2017 से भी नहीं लिया सबक, प्रदेश अध्यक्ष के चुनावी दौरे से अनजान किशोर - कांग्रेस में फिर दिखी गुटबाजी

कांग्रेस में आज की स्थिति देखकर तो ऐसा ही लगता है कि उन्होंने 2017 के विधानसभा चुनाव से सबक नहीं लिया है. तब भी गुटबाजी के कारण कांग्रेस मात्र 11 सीटों पर सिमट कर रह गई थी. आज भी पार्टी के वरिष्ठ नेता अकेले ही 2022 का किला पतह करने की जुगत में लगे हुए हैं.

उत्तराखंड कांग्रेस
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Published : Nov 17, 2020, 3:34 PM IST

Updated : Nov 17, 2020, 3:46 PM IST

देहरादून: कांग्रेस 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी में लगी हुई है, लेकिन इस बार भी 2017 के विधानसभा चुनाव की तरह पार्टी में गुटबाजी और फुट साफतौर पर नजर आ रही है. इसका ताजा उदाहरण एक बार फिर तब सामने आया जब महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दे को लेकर कांग्रेस प्रदेश प्रीतम सिंह चार दिन के गढ़वाल दौरे पर हैं, लेकिन हैरानी की बात है कि इस दौरे की जानकारी पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय जैसे बड़े नेताओं को नहीं है.

कांग्रेस ने 2017 से भी नहीं लिया सबक.

ऐसे में साफ तौर पर इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि आगामी 2022 के चुनाव को लेकर इस बार भी कांग्रेस अलग-अलग खेमेबाजी में बटकर अपनी अपनी डफली और राग अलापने में जुटी हुई है. हालांकि, उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव गुटबाजी की बात को सिरे नाकार रहे हैं. उनके अनुसार पार्टी के सभी नेता और कार्यकर्ता एक साथ मिलकर आगामी चुनाव की तैयारी में लगे हुए हैं.

पढ़ें- बदरीनाथ में यूपी गेस्ट हाउस का शिलान्यास, योगी और त्रिवेंद्र ने किया भूमि पूजन

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी कार्यक्रमों से बनाई दूरी

पार्टी में गुटबाजी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जहां एक तरफ पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत कोरोना का हवाला देते हुए चुनावी कार्यक्रमों से दूरी बनाए हुए हैं तो वहीं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भी अपने निजी कार्यक्रमों में व्यस्त हैं.

2017 के विधानसभा चुनाव से नहीं सबक

कांग्रेस में आज की स्थिति देखकर तो ऐसा ही लगता है कि उन्होंने 2017 के विधानसभा चुनाव से सबक नहीं लिया है. तब भी गुटबाजी के कारण कांग्रेस मात्र 11 सीटों पर सिमटकर रह गई थी. आज भी पार्टी के वरिष्ठ नेता अकेले ही 2022 का किला फतह करने की जुगत में लगे हुए हैं.

हालांकि ,इस बारे में जब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उनको अध्यक्ष के कार्यक्रमों की बारे में कोई जानकारी नहीं है. जरूरी नहीं की सभी नेताओं को अध्यक्ष के कार्यक्रमों की जानकारी हो. वैसे प्रदेश अध्यक्ष का क्षेत्र में जाना जरूरी है. पार्टी के सभी नेता और कार्यकर्ता प्रदेश अध्यक्ष के साथ हैं. जरूरी नहीं की हर चुनावी कार्यक्रम में सब नेता साथ नजर आये.

देहरादून: कांग्रेस 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी में लगी हुई है, लेकिन इस बार भी 2017 के विधानसभा चुनाव की तरह पार्टी में गुटबाजी और फुट साफतौर पर नजर आ रही है. इसका ताजा उदाहरण एक बार फिर तब सामने आया जब महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दे को लेकर कांग्रेस प्रदेश प्रीतम सिंह चार दिन के गढ़वाल दौरे पर हैं, लेकिन हैरानी की बात है कि इस दौरे की जानकारी पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय जैसे बड़े नेताओं को नहीं है.

कांग्रेस ने 2017 से भी नहीं लिया सबक.

ऐसे में साफ तौर पर इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि आगामी 2022 के चुनाव को लेकर इस बार भी कांग्रेस अलग-अलग खेमेबाजी में बटकर अपनी अपनी डफली और राग अलापने में जुटी हुई है. हालांकि, उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव गुटबाजी की बात को सिरे नाकार रहे हैं. उनके अनुसार पार्टी के सभी नेता और कार्यकर्ता एक साथ मिलकर आगामी चुनाव की तैयारी में लगे हुए हैं.

पढ़ें- बदरीनाथ में यूपी गेस्ट हाउस का शिलान्यास, योगी और त्रिवेंद्र ने किया भूमि पूजन

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी कार्यक्रमों से बनाई दूरी

पार्टी में गुटबाजी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जहां एक तरफ पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत कोरोना का हवाला देते हुए चुनावी कार्यक्रमों से दूरी बनाए हुए हैं तो वहीं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भी अपने निजी कार्यक्रमों में व्यस्त हैं.

2017 के विधानसभा चुनाव से नहीं सबक

कांग्रेस में आज की स्थिति देखकर तो ऐसा ही लगता है कि उन्होंने 2017 के विधानसभा चुनाव से सबक नहीं लिया है. तब भी गुटबाजी के कारण कांग्रेस मात्र 11 सीटों पर सिमटकर रह गई थी. आज भी पार्टी के वरिष्ठ नेता अकेले ही 2022 का किला फतह करने की जुगत में लगे हुए हैं.

हालांकि ,इस बारे में जब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उनको अध्यक्ष के कार्यक्रमों की बारे में कोई जानकारी नहीं है. जरूरी नहीं की सभी नेताओं को अध्यक्ष के कार्यक्रमों की जानकारी हो. वैसे प्रदेश अध्यक्ष का क्षेत्र में जाना जरूरी है. पार्टी के सभी नेता और कार्यकर्ता प्रदेश अध्यक्ष के साथ हैं. जरूरी नहीं की हर चुनावी कार्यक्रम में सब नेता साथ नजर आये.

Last Updated : Nov 17, 2020, 3:46 PM IST
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