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उत्तराखंड वासियों को वनवासी घोषित करने की मांग तेज, वनाधिकार कानून पर दिया बल - किशोर उपाध्याय

उत्तराखंड वासियों को वनवासी घोषित करने की मांग तेज, वनाधिकार कानून पर दिया बल, उत्तराखंड के वन और प्राकृतिक संसाधनों पर राज्यवासियों को हक मिलना चाहिए.

किशोर उपाध्याय
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Published : Feb 12, 2019, 1:14 PM IST

देहरादूनः प्रदेशवासियों को वनवासी घोषित करने की मांग तेज हो गई है. इसी के तहत कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने वनाधिकार कानून बनाने की मांग को लेकर एक बार फिर सामने आये हैं. उन्होंने वन अधिकार को सशक्त करने की मांग दोहराई है. साथ ही उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के वन और प्राकृतिक संसाधनों पर राज्यवासियों को हक मिलना चाहिए.


कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए बताया कि राज्यवासियों को यहां के जंगलों और प्राकृतिक संसाधनों पर हक मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि संसद और विधानसभा में कई बिल पास किये जाते हैं, उसी तरह से वन अधिकार को लेकर भी सरकारों के द्वारा ठोस पहल होनी चाहिए. इस दौरान उन्होंने सरकार से कई मांगें भी रखी.

ये रखी मांगेंः

  • वन अधिकार अधिनियम 2006 को लागू करते हुए राज्य को वन प्रदेश घोषित करने के साथ यहां के स्थानीय निवासियों को वनवासी का दर्जा दिया जाए.
  • सभी वनवासियों को सरकारी नौकरियों में भी आरक्षण दिया जाना चाहिए.
  • जंगलों पर सरकार का अधिकार होने से उत्तराखंड वनवासियों को हर महीने एक गैस सिलेंडर निशुल्क दिया जाए.
  • नदी, जंगल और खनिज संपदा पर सरकार के अधीन होने के कारण सभी उत्तराखंड वनवासियों का पानी का बिल माफ किया जाए.
  • हर साल 30 मई को वन अधिकार दिवस घोषित किया जाए.
    जानकारी देते कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय.
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वहीं, उपाध्याय ने कहा कि उन्होंने दिल्ली जाकर संसद में चुने हुए राजनीतिक दलों को 6 सूत्रीय मांग पत्र सौंपा है. जिसमें गिरिजन दलित जन, अरण्य जन शामिल हैं. ये सभी एक समान रूप से कमजोर वर्गों में शामिल हैं. उन्होंने कहा कि राज्य का गठन बाद बीते 2006 में फॉरेस्ट राइट एक्ट बनाया गया. उस दौरान इन मुद्दों को नहीं रख पाये थे. साथ ही उन्होंने अरण्यजन घोषित करने की मांग भी की.

देहरादूनः प्रदेशवासियों को वनवासी घोषित करने की मांग तेज हो गई है. इसी के तहत कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने वनाधिकार कानून बनाने की मांग को लेकर एक बार फिर सामने आये हैं. उन्होंने वन अधिकार को सशक्त करने की मांग दोहराई है. साथ ही उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के वन और प्राकृतिक संसाधनों पर राज्यवासियों को हक मिलना चाहिए.


कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए बताया कि राज्यवासियों को यहां के जंगलों और प्राकृतिक संसाधनों पर हक मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि संसद और विधानसभा में कई बिल पास किये जाते हैं, उसी तरह से वन अधिकार को लेकर भी सरकारों के द्वारा ठोस पहल होनी चाहिए. इस दौरान उन्होंने सरकार से कई मांगें भी रखी.

ये रखी मांगेंः

  • वन अधिकार अधिनियम 2006 को लागू करते हुए राज्य को वन प्रदेश घोषित करने के साथ यहां के स्थानीय निवासियों को वनवासी का दर्जा दिया जाए.
  • सभी वनवासियों को सरकारी नौकरियों में भी आरक्षण दिया जाना चाहिए.
  • जंगलों पर सरकार का अधिकार होने से उत्तराखंड वनवासियों को हर महीने एक गैस सिलेंडर निशुल्क दिया जाए.
  • नदी, जंगल और खनिज संपदा पर सरकार के अधीन होने के कारण सभी उत्तराखंड वनवासियों का पानी का बिल माफ किया जाए.
  • हर साल 30 मई को वन अधिकार दिवस घोषित किया जाए.
    जानकारी देते कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय.
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वहीं, उपाध्याय ने कहा कि उन्होंने दिल्ली जाकर संसद में चुने हुए राजनीतिक दलों को 6 सूत्रीय मांग पत्र सौंपा है. जिसमें गिरिजन दलित जन, अरण्य जन शामिल हैं. ये सभी एक समान रूप से कमजोर वर्गों में शामिल हैं. उन्होंने कहा कि राज्य का गठन बाद बीते 2006 में फॉरेस्ट राइट एक्ट बनाया गया. उस दौरान इन मुद्दों को नहीं रख पाये थे. साथ ही उन्होंने अरण्यजन घोषित करने की मांग भी की.

विसुअल्स ओर बाईट-किशोर उपाध्याय।
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