देहरादून: उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में सभी राजनीतिक दल सत्ता पर काबिज होने के लिए पुरजोर कोशिश में लगे हुए हैं. हाल ही में कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi) ने उत्तर प्रदेश के चुनाव में 40 फीसदी सीटें महिलाओं को दिए जाने की बात कही है. अब उत्तराखंड के सियासत में भी महिलाओं को वरीयता देने की बात कही जाने लगी है. कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने भी महिलाओं को 40% टिकट और फ्री में एक गैस सिलेंडर देने की मांग की है.
दरअसल, कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने महिलाओं को सशक्त करने के लिए विधानसभा चुनाव में 40 फीसदी टिकट महिलाओं को देने का ऐलान कर चुकी है. राजनीतिक गलियारों में इसकी खूब चर्चा हुई और महिलाओं ने खुशी जाहिर की. आखिर महिलाओं में खुशी हो भी क्यों न, महिलाओं को 33% आरक्षण देने की बात देश की संसद में दो दशक से चल रही है, लेकिन महिला आरक्षण बिल संसद में आज तक कानून की शक्ल नहीं ले पाया.
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अब प्रियंका गांधी के उत्तर प्रदेश में साल 2022 विधानसभा चुनाव से पहले महिलाओं को 40% टिकट देने के ऐलान से इस चर्चा को बल मिला है. उनके बयान के बाद उत्तराखंड की राजनीति पर असर पड़ता नजर आ रहा है. इसी कड़ी में कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने एक वीडियो जारी कर महिलाओं को 40% टिकट देने का आग्रह किया है. जिसके बाद सियासी हलचल तेज हो गई.
उत्तराखंड में भी महिलाओं को मिले 40% टिकटः किशोर उपाध्याय का कहना है कि उन्होंने प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव, पूर्व सीएम हरीश रावत, गणेश गोदियाल, नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह और सीएम पुष्कर सिंह धामी समेत कई नेताओं से आग्रह किया है. जिसका वो पूरा समर्थन करते हैं.
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एक गैस सिलेंडर मिले फ्रीः किशोर उपाध्याय का कहना है कि उत्तराखंड में क्षतिपूर्ति के रूप में महीने में एक गैस सिलेंडर निःशुल्क दिया जाना चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने रसोई गैस की लकड़ी छीन ली है. साथ ही कहा कि सरकार द्वारा वनों पर अपने पुस्तैनी हक-हकूकों और वनाधिकार 2006 को भी लागू करने की बात की जा रही है. वन क्षेत्र वासियों को उनके हक-हकूक से वंचित करना, उनके साथ अन्याय है. लिहाजा, उनके हितों को ध्यान में रखते हुए सरकारों को जंगलों के कानूनों में उनके लिए संशोधन करना आवश्यक है. ताकि वो भी अपना जीवन सरलता और सहजता से जी सके.
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