ETV Bharat / state

लोगों को खुशियों की दुआएं देने वाले आज खुद पा रहे हैं सैकड़ों की दुआएं

author img

By

Published : May 25, 2021, 4:09 PM IST

Updated : May 25, 2021, 7:27 PM IST

किन्नर समुदाय को हमेशा से ही हमारे समाज में दबे-कुचले और एक अलग ही नजरिए से देखा जाता रहा है. कोविड काल में यही किन्नर समाज देहरादून में मलिन बस्तियों में रहने वाले गरीबों की मदद कर रहा है.

गरीबों की मदद को आगे आया किन्नर समाज
गरीबों की मदद को आगे आया किन्नर समाज

देहरादून: इस कोरोना काल में जहां बढ़ते संक्रमण और मौतों के आंकड़े मन को विचलित करते हैं. वहीं, इस महामारी में कई तस्वीरें ऐसी भी आ रही हैं, जो लोगों का हौसला बढ़ाने के साथ ही मन को सूकून देती है. शासन, प्रशासन और सामाजिक संस्था और समाजसेवियों को आपने हर मौके पर लोगों की मदद करते देखा होगा, आज हम आपको समाज के एक ऐसे तबके के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कोरोना काल से पहले समाज के भरोसे अपना जीवन यापन करते थे, लेकिन जब समाज पर विपदा आई तो यही तबका दोनों हाथों से गरीब, असहाय और मजबूरों की मदद के लिए आगे आया है.

किन्नरों को मिल रही हैं दुआएं.

मदद को आगे आया किन्नर समाज

हम बात कर रहे हैं, किन्नर समुदाय की. इस समुदाय को लेकर समाज की धारणा है कि इन लोगों का काम केवल लोगों की खुशियों में नाच गाकर दुआएं देना है और बदले में लोगों से उपहार एवं रूपए लेना है. वहीं, किन्नर समुदाय को समाज में अभी तक पूरी तरह से नहीं अपनाया गया है. इन सबके बावजूद देहरादून का किन्नर समाज इस महामारी ने मानवता की मिसाल पेश करते हुए असहाय और गरीबों की दिल खोलकर मदद कर रहा है.

रजनी रावत ने बढ़ाए मदद के हाथ

ये है किन्नर समाज की जानी मानी नेता रजनी रावत, जो कोरोना काल में मजलूमों के लिए किसी मसीहा से कम नहीं. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि कोरोना कर्फ्यू के दौरान एक बार फिर से दाने दाने के मोहताज हो चुके गरीब, असहाय और मजदूरों का रजनी रावत दिल खोलकर मदद कर रही हैं. हर रोज रजनी रावत के नेतृत्व में किन्नर समाज के लोग सैकड़ों लोगों को राशन मुहैया करा रहे हैं.

लोगों की मदद के लिए घर को बनाया गोदाम

ये है रजनी रावत का घर, जो इस कोरोना काल में किसी गोदाम में तब्दील हो चुका है. आप देख सकते हैं कि यहां अनाज की बोरियां, सब्जियों की थैलियां और जरूरी राशन सामान का भंडार है, जो कोरोना महामारी और कर्फ्यू में गरीबों और असहाय लोगों को बांटने के लिए लाया गया है. यहां किन्नर समाज के लोग इन खाद्य सामग्रियों का किट बनाकर हर दिन सैकड़ों लोगों को बांट रहे हैं. वहीं, लोगों को खुशियों की दुआएं देने वाले इन किन्नरों को आज मदद पाने वाले लोग दुआएं दे रहे हैं.

कोरोना महामारी से दुखी किन्नर समाज

रजनी रावत का कहना है कि इस वक्त किन्नर समाज भी इस बीमारी से बेहद आहत है. वह समाज की इस हालत को देखकर बहुत दुखी हैं. वह रात दिन ईश्वर से दुआ कर रही हैं कि यह महामारी जल्द से जल्द खत्म हो. उन्होंने बताया कि घर पर रोज सैकड़ों किलो आटा, चावल, दाल, सब्जी और तमाम जरूरत के सामान की अलग-अलग किट बनाई जाती है. इसे देहरादून की अलग-अलग मलिन बस्तियों में वितरित किया जाता है. अबतक देहरादून की डोईवाला विधानसभा के खैरा गांव और आसपास के इलाकों में बेहद गरीब परिवारों की मदद की जा रही है.

ये भी पढ़ें: सभी जिलों में होगी स्टाफ नर्सों की भर्ती परीक्षा, 2621 पदों के लिए मिले 10 हजार आवेदन

किन्नरों के सामने आर्थिक संकट

वहीं, मैडम रजनी रावत की सहयोगी रुबी हांडा ने बताया कि कोविड के कारण उनका दुआओं का पुश्तैनी काम बिल्कुल बंद हो चुका है. इसके बावजूद भी अगर कोई किसी जजमान के यहां से बुलावा आता है तो उनके यहां जाने में कोविड नियमों का पालन किया जाता है. सामान्य दिनों की तरह नाच गान का आयोजन नहीं होता है. दुआ के बदले जितना भी जजमान उन्हे उपहार स्वरूप जो भी देते हैं, उतना रख लिया जाता है. कोई डिमांड नहीं की जाती है.

ग्रंथों में भी किन्नरों का जिक्र

हिन्दू सभ्यता के अनुसार माना जाता है कि किन्नर की दुआ बहुत ज्यादा असर करती है. एक किन्नर जब खुश होकर दुआ देता है तो उस घर में सुख समृद्धि आती है. हिन्दू ग्रंथ शिव महापुराण में ब्रह्मा की छाया से किन्नर समुदाय की तुलना की गई है. महाभारत में शिखंडी किन्नर का जिक्र है. वहीं, रामायण में श्रीराम के वनवास के समय भी मंगलामुखी किन्नर समुदाय का जिक्र आता है. किन्नर हमेशा से हमारे समाज का एक अटूट हिस्सा रहे हैं और मौजूदा दौर में किन्नर समुदाय मानव समाज के खुशी में ज्यादा हिस्सेदार रहा है.

सीएम राहत कोष में दिए 21 लाख रुपए

आपको बता दें कि रजनी रावत सिर्फ लोगों का राशन ही नहीं बांटी रही है, बल्कि सीएम आपदा राहत कोष में 21 लाख रूपए भी दान दे चुकी हैं. इस विकट वक्त में जब अपने भी मदद करने से हाथ खींच लेते हैं. ऐसे में रजनी रावत और किन्नर समाज की यह पहल मानवता की मिसाल कायम कर रही है.

मैडम रजनी रावत ने बताया कि किन्नर समाज में यह मान्यता है कि जो भी दान या दुआ के बदले हम समाज से लेते हैं, उसमें से हमे कुछ गरीबों को दान करना होता है. वो दुआ करती हैं कि किन्नर जैसा दुखदाई जीवन किसी और को न मिले.

देहरादून: इस कोरोना काल में जहां बढ़ते संक्रमण और मौतों के आंकड़े मन को विचलित करते हैं. वहीं, इस महामारी में कई तस्वीरें ऐसी भी आ रही हैं, जो लोगों का हौसला बढ़ाने के साथ ही मन को सूकून देती है. शासन, प्रशासन और सामाजिक संस्था और समाजसेवियों को आपने हर मौके पर लोगों की मदद करते देखा होगा, आज हम आपको समाज के एक ऐसे तबके के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कोरोना काल से पहले समाज के भरोसे अपना जीवन यापन करते थे, लेकिन जब समाज पर विपदा आई तो यही तबका दोनों हाथों से गरीब, असहाय और मजबूरों की मदद के लिए आगे आया है.

किन्नरों को मिल रही हैं दुआएं.

मदद को आगे आया किन्नर समाज

हम बात कर रहे हैं, किन्नर समुदाय की. इस समुदाय को लेकर समाज की धारणा है कि इन लोगों का काम केवल लोगों की खुशियों में नाच गाकर दुआएं देना है और बदले में लोगों से उपहार एवं रूपए लेना है. वहीं, किन्नर समुदाय को समाज में अभी तक पूरी तरह से नहीं अपनाया गया है. इन सबके बावजूद देहरादून का किन्नर समाज इस महामारी ने मानवता की मिसाल पेश करते हुए असहाय और गरीबों की दिल खोलकर मदद कर रहा है.

रजनी रावत ने बढ़ाए मदद के हाथ

ये है किन्नर समाज की जानी मानी नेता रजनी रावत, जो कोरोना काल में मजलूमों के लिए किसी मसीहा से कम नहीं. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि कोरोना कर्फ्यू के दौरान एक बार फिर से दाने दाने के मोहताज हो चुके गरीब, असहाय और मजदूरों का रजनी रावत दिल खोलकर मदद कर रही हैं. हर रोज रजनी रावत के नेतृत्व में किन्नर समाज के लोग सैकड़ों लोगों को राशन मुहैया करा रहे हैं.

लोगों की मदद के लिए घर को बनाया गोदाम

ये है रजनी रावत का घर, जो इस कोरोना काल में किसी गोदाम में तब्दील हो चुका है. आप देख सकते हैं कि यहां अनाज की बोरियां, सब्जियों की थैलियां और जरूरी राशन सामान का भंडार है, जो कोरोना महामारी और कर्फ्यू में गरीबों और असहाय लोगों को बांटने के लिए लाया गया है. यहां किन्नर समाज के लोग इन खाद्य सामग्रियों का किट बनाकर हर दिन सैकड़ों लोगों को बांट रहे हैं. वहीं, लोगों को खुशियों की दुआएं देने वाले इन किन्नरों को आज मदद पाने वाले लोग दुआएं दे रहे हैं.

कोरोना महामारी से दुखी किन्नर समाज

रजनी रावत का कहना है कि इस वक्त किन्नर समाज भी इस बीमारी से बेहद आहत है. वह समाज की इस हालत को देखकर बहुत दुखी हैं. वह रात दिन ईश्वर से दुआ कर रही हैं कि यह महामारी जल्द से जल्द खत्म हो. उन्होंने बताया कि घर पर रोज सैकड़ों किलो आटा, चावल, दाल, सब्जी और तमाम जरूरत के सामान की अलग-अलग किट बनाई जाती है. इसे देहरादून की अलग-अलग मलिन बस्तियों में वितरित किया जाता है. अबतक देहरादून की डोईवाला विधानसभा के खैरा गांव और आसपास के इलाकों में बेहद गरीब परिवारों की मदद की जा रही है.

ये भी पढ़ें: सभी जिलों में होगी स्टाफ नर्सों की भर्ती परीक्षा, 2621 पदों के लिए मिले 10 हजार आवेदन

किन्नरों के सामने आर्थिक संकट

वहीं, मैडम रजनी रावत की सहयोगी रुबी हांडा ने बताया कि कोविड के कारण उनका दुआओं का पुश्तैनी काम बिल्कुल बंद हो चुका है. इसके बावजूद भी अगर कोई किसी जजमान के यहां से बुलावा आता है तो उनके यहां जाने में कोविड नियमों का पालन किया जाता है. सामान्य दिनों की तरह नाच गान का आयोजन नहीं होता है. दुआ के बदले जितना भी जजमान उन्हे उपहार स्वरूप जो भी देते हैं, उतना रख लिया जाता है. कोई डिमांड नहीं की जाती है.

ग्रंथों में भी किन्नरों का जिक्र

हिन्दू सभ्यता के अनुसार माना जाता है कि किन्नर की दुआ बहुत ज्यादा असर करती है. एक किन्नर जब खुश होकर दुआ देता है तो उस घर में सुख समृद्धि आती है. हिन्दू ग्रंथ शिव महापुराण में ब्रह्मा की छाया से किन्नर समुदाय की तुलना की गई है. महाभारत में शिखंडी किन्नर का जिक्र है. वहीं, रामायण में श्रीराम के वनवास के समय भी मंगलामुखी किन्नर समुदाय का जिक्र आता है. किन्नर हमेशा से हमारे समाज का एक अटूट हिस्सा रहे हैं और मौजूदा दौर में किन्नर समुदाय मानव समाज के खुशी में ज्यादा हिस्सेदार रहा है.

सीएम राहत कोष में दिए 21 लाख रुपए

आपको बता दें कि रजनी रावत सिर्फ लोगों का राशन ही नहीं बांटी रही है, बल्कि सीएम आपदा राहत कोष में 21 लाख रूपए भी दान दे चुकी हैं. इस विकट वक्त में जब अपने भी मदद करने से हाथ खींच लेते हैं. ऐसे में रजनी रावत और किन्नर समाज की यह पहल मानवता की मिसाल कायम कर रही है.

मैडम रजनी रावत ने बताया कि किन्नर समाज में यह मान्यता है कि जो भी दान या दुआ के बदले हम समाज से लेते हैं, उसमें से हमे कुछ गरीबों को दान करना होता है. वो दुआ करती हैं कि किन्नर जैसा दुखदाई जीवन किसी और को न मिले.

Last Updated : May 25, 2021, 7:27 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.