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जौलीग्रांट हवाई अड्डे के विस्तारीकरण पर बिफरे करन माहरा, कहा- विस्थापन को लेकर आशंकित हैं लोग

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा (Congress state president Karan Mahara) ने देहरादून के जौलीग्रांट हवाई अड्डे (Dehradun Airport) के विस्तारीकरण को लेकर सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि टिहरी बांध विस्थापित अठुरवाला और जौलीग्रांट के सैकड़ों परिवार व दुकानदारों के अलावा होटल और ढाबे चलाने वाले लोग आशंकित होकर आंदोलन कर रहे हैं.

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Published : Dec 6, 2022, 7:19 AM IST

देहरादून: कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा (Congress state president Karan Mahara) ने देहरादून के जौलीग्रांट हवाई अड्डे (Dehradun Airport) के विस्तारीकरण को लेकर सरकार के रवैये की कड़े शब्दों में आलोचना की. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की डबल इंजन सरकार द्वारा देहरादून हवाई अड्डे के विस्तारीकरण के लिए जमीन की नाप जोख की जा रही है, जिसके कारण टिहरी बांध विस्थापित अठुरवाला और जौलीग्रांट के सैकड़ों परिवार व दुकानदारों के अलावा होटल और ढाबे चलाने वाले लोग आशंकित होकर आंदोलन कर रहे हैं.

करन माहरा ने कहा कि बार-बार उजड़ने का दंश इन गांवों के लोग दो बार झेल चुके हैं. लोगों के पास रोजगार का कोई दूसरा साधन नहीं है. लोग अपनी खेती की जमीन बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि बीते दिनों क्षेत्रवासियों ने अपना विरोध जताने के लिए महापंचायत का भी आयोजन किया, जिसमें उन्होंने हवाई अड्डे के विस्तारीकरण (Jollygrant Airport Expansion) या एरो सिटी के निर्माण के लिए जमीन ना देने का संकल्प दोहराया है. करन माहरा का कहना है कि टिहरी बांध के निर्माण (tehri dam construction) के लिए लोगों ने अपने पुरखों की बेशकीमती जमीन त्याग दी थी. 1980 में उनके मूल गांवों से विस्थापित कर उन्हें यहां बसाया गया था.

जौलीग्रांट हवाई अड्डे के विस्तारीकरण पर बिफरे करन माहरा
पढ़ें-संगठन की मजबूती के लिए करन माहरा का गढ़वाल दौरा, नैनबाग-नौगांव और पुरोला का करेंगे भ्रमण

इसके बाद साल 2003-04 में हवाई अड्डे के विस्तारीकरण के लिए उन्हें एक बार फिर हटाया गया. अब साल 2022 में फिर से क्षेत्र के लोग उजड़ने के डर से आशंकित हैं. उन्होंने सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि सरकार के पास काफी अपनी भूमि में जंगल मौजूद है. ऐसे में पूर्व में उसका भी सर्वे किया जा चुका है. यदि हवाई अड्डे का विस्तारीकरण जंगल की ओर किया जाता है तो सरकार को इसके लिए किसी को विस्थापित नहीं करना पड़ेगा. उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि टिहरी बांध विस्थापितों और जौलीग्रांट क्षेत्र के लोगों की जमीन की बजाए, विस्तारीकरण के लिए जंगल वाला विकल्प अपनाया जाए. जिससे लोगों को उजड़ने का दंश ना झेलना पड़े.

देहरादून: कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा (Congress state president Karan Mahara) ने देहरादून के जौलीग्रांट हवाई अड्डे (Dehradun Airport) के विस्तारीकरण को लेकर सरकार के रवैये की कड़े शब्दों में आलोचना की. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की डबल इंजन सरकार द्वारा देहरादून हवाई अड्डे के विस्तारीकरण के लिए जमीन की नाप जोख की जा रही है, जिसके कारण टिहरी बांध विस्थापित अठुरवाला और जौलीग्रांट के सैकड़ों परिवार व दुकानदारों के अलावा होटल और ढाबे चलाने वाले लोग आशंकित होकर आंदोलन कर रहे हैं.

करन माहरा ने कहा कि बार-बार उजड़ने का दंश इन गांवों के लोग दो बार झेल चुके हैं. लोगों के पास रोजगार का कोई दूसरा साधन नहीं है. लोग अपनी खेती की जमीन बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि बीते दिनों क्षेत्रवासियों ने अपना विरोध जताने के लिए महापंचायत का भी आयोजन किया, जिसमें उन्होंने हवाई अड्डे के विस्तारीकरण (Jollygrant Airport Expansion) या एरो सिटी के निर्माण के लिए जमीन ना देने का संकल्प दोहराया है. करन माहरा का कहना है कि टिहरी बांध के निर्माण (tehri dam construction) के लिए लोगों ने अपने पुरखों की बेशकीमती जमीन त्याग दी थी. 1980 में उनके मूल गांवों से विस्थापित कर उन्हें यहां बसाया गया था.

जौलीग्रांट हवाई अड्डे के विस्तारीकरण पर बिफरे करन माहरा
पढ़ें-संगठन की मजबूती के लिए करन माहरा का गढ़वाल दौरा, नैनबाग-नौगांव और पुरोला का करेंगे भ्रमण

इसके बाद साल 2003-04 में हवाई अड्डे के विस्तारीकरण के लिए उन्हें एक बार फिर हटाया गया. अब साल 2022 में फिर से क्षेत्र के लोग उजड़ने के डर से आशंकित हैं. उन्होंने सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि सरकार के पास काफी अपनी भूमि में जंगल मौजूद है. ऐसे में पूर्व में उसका भी सर्वे किया जा चुका है. यदि हवाई अड्डे का विस्तारीकरण जंगल की ओर किया जाता है तो सरकार को इसके लिए किसी को विस्थापित नहीं करना पड़ेगा. उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि टिहरी बांध विस्थापितों और जौलीग्रांट क्षेत्र के लोगों की जमीन की बजाए, विस्तारीकरण के लिए जंगल वाला विकल्प अपनाया जाए. जिससे लोगों को उजड़ने का दंश ना झेलना पड़े.

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