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Joshimath Bachao Sangharsh Samiti दल पहुंचा देहरादून, सरकार पर लगाया अनेदखी का आरोप

जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति का 10 सदस्यीय दल पैदल मार्च करते हुए आज देहरादून पहुंचा. इस दौरान इन युवाओं ने सरकार पर जोशीमठ की अनदेखी का आरोप लगाया. साथ ही जोशीमठ प्रभावितों के विस्थापन और पुनर्वास की मांग की.

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Published : Mar 14, 2023, 5:34 PM IST

Updated : Mar 14, 2023, 6:00 PM IST

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जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति का दल पहुंचा देहरादून
जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति का दल पहुंचा देहरादून

देहरादून: हिमालय और जोशीमठ बचाने का संदेश लेकर जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के 10 युवाओं का दल जोशीमठ से पैदल चलकर आज देहरादून स्थित शहीद स्मारक पहुंचा. इस दौरान युवाओं के दल का जगह-जगह स्वागत किया गया. युवाओं ने कहा इस पदयात्रा का मकसद जोशीमठ आपदा को लेकर सरकार और जनता का ध्यान आकर्षित करना है.

दल में शामिल अमन भोटियाल ने कहा जोशीमठ आपदा की तरफ सरकार ध्यान नहीं दे रही है. उन्होंने जोशीमठ आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित किए जाने की मांग की. उन्होंने कहा एनटीपीसी को पूर्व में किए गए समझौते के पालन के लिए सरकार निर्देशित करें, जिसके तहत जोशीमठ के सभी घर मकानों का बीमा किया जाना था. उन्होंने कहा एनटीपीसी की सुरंग को इस भूस्खलन के एक कारक के तौर पर जिम्मेदार मानते हुए जोशीमठ के लोगों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए निर्देशित किया जाए.

अमन भोटियाल ने कहा राज्य सरकार लगातार पर्यावरण की अनदेखी करते हुए पहाड़ों में जगह-जगह परियोजनाओं का निर्माण कार्य करवा दी है, जिसका खामियाजा स्थानीय लोगों को उठाना पड़ रहा है. सरकार को जोशीमठ को बचाने के लिए स्थायीकरण, विस्थापन और पुनर्वास के लिए एक उच्च स्तरीय उच्चाधिकार प्राप्त कमेटी बनानी चाहिए. जिसकी निगरानी में जोशीमठ के स्थायीकरण और पुनर्वास के कार्य समय के साथ सही तरीके से पूरे किए जा सकें.
ये भी पढ़ें: Gairsain Budget Session: विधानसभा में हंगामा कर रहे कांग्रेस के सभी विधायक निलंबित

वहीं, जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति यात्रा के संयोजक अतुल सती ने कहा वह बीते ढाई महीनों से स्थानीय निवासी धरनारत हैं, लेकिन सरकार उनकी मांगों को अनसुना कर रही है. इस यात्रा का उद्देश्य जोशीमठ आपदा के प्रभावितों की समस्याएं जन-जन तक पहुंचे. पर्यावरण की अनदेखी करते हुए हिमालयी क्षेत्र में विनाशकारी परियोजनाओं का ढांचा तैयार किया जा रहा है. इससे समूचा हिमालय कराहने लगा है.

उन्होंने कहा सड़कों के चौड़ीकरण, जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण, रेलवे की परियोजनाओं के कारण वहां के लोग परेशान हैं. तमाम परियोजनाओं के नाम पर अंधाधुंध निर्माण किए जा रहे हैं, जिसका संघर्ष समिति पुरजोर तरीके से विरोध करती है.

इसके अलावा जोशीमठ संघर्ष समिति ने अन्य मांगों में उठाई. जिसमें भूस्खलन के कारण बेघर लोगों के शीघ्र विस्थापन और पुनर्वास की व्यवस्था. इसके साथ ही उत्तराखंड में जहां-जहां भूस्खलन और भू-धंसाव से लोग पीड़ित हैं, सब के साथ न्याय करते हुए व्यवस्था करने की मांग भी की है. समिति ने उत्तराखंड सरकार से वर्तमान विस्थापन और पुनर्वास नीति में संशोधन किए जाने का भी आग्रह किया है.

जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति का दल पहुंचा देहरादून

देहरादून: हिमालय और जोशीमठ बचाने का संदेश लेकर जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के 10 युवाओं का दल जोशीमठ से पैदल चलकर आज देहरादून स्थित शहीद स्मारक पहुंचा. इस दौरान युवाओं के दल का जगह-जगह स्वागत किया गया. युवाओं ने कहा इस पदयात्रा का मकसद जोशीमठ आपदा को लेकर सरकार और जनता का ध्यान आकर्षित करना है.

दल में शामिल अमन भोटियाल ने कहा जोशीमठ आपदा की तरफ सरकार ध्यान नहीं दे रही है. उन्होंने जोशीमठ आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित किए जाने की मांग की. उन्होंने कहा एनटीपीसी को पूर्व में किए गए समझौते के पालन के लिए सरकार निर्देशित करें, जिसके तहत जोशीमठ के सभी घर मकानों का बीमा किया जाना था. उन्होंने कहा एनटीपीसी की सुरंग को इस भूस्खलन के एक कारक के तौर पर जिम्मेदार मानते हुए जोशीमठ के लोगों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए निर्देशित किया जाए.

अमन भोटियाल ने कहा राज्य सरकार लगातार पर्यावरण की अनदेखी करते हुए पहाड़ों में जगह-जगह परियोजनाओं का निर्माण कार्य करवा दी है, जिसका खामियाजा स्थानीय लोगों को उठाना पड़ रहा है. सरकार को जोशीमठ को बचाने के लिए स्थायीकरण, विस्थापन और पुनर्वास के लिए एक उच्च स्तरीय उच्चाधिकार प्राप्त कमेटी बनानी चाहिए. जिसकी निगरानी में जोशीमठ के स्थायीकरण और पुनर्वास के कार्य समय के साथ सही तरीके से पूरे किए जा सकें.
ये भी पढ़ें: Gairsain Budget Session: विधानसभा में हंगामा कर रहे कांग्रेस के सभी विधायक निलंबित

वहीं, जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति यात्रा के संयोजक अतुल सती ने कहा वह बीते ढाई महीनों से स्थानीय निवासी धरनारत हैं, लेकिन सरकार उनकी मांगों को अनसुना कर रही है. इस यात्रा का उद्देश्य जोशीमठ आपदा के प्रभावितों की समस्याएं जन-जन तक पहुंचे. पर्यावरण की अनदेखी करते हुए हिमालयी क्षेत्र में विनाशकारी परियोजनाओं का ढांचा तैयार किया जा रहा है. इससे समूचा हिमालय कराहने लगा है.

उन्होंने कहा सड़कों के चौड़ीकरण, जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण, रेलवे की परियोजनाओं के कारण वहां के लोग परेशान हैं. तमाम परियोजनाओं के नाम पर अंधाधुंध निर्माण किए जा रहे हैं, जिसका संघर्ष समिति पुरजोर तरीके से विरोध करती है.

इसके अलावा जोशीमठ संघर्ष समिति ने अन्य मांगों में उठाई. जिसमें भूस्खलन के कारण बेघर लोगों के शीघ्र विस्थापन और पुनर्वास की व्यवस्था. इसके साथ ही उत्तराखंड में जहां-जहां भूस्खलन और भू-धंसाव से लोग पीड़ित हैं, सब के साथ न्याय करते हुए व्यवस्था करने की मांग भी की है. समिति ने उत्तराखंड सरकार से वर्तमान विस्थापन और पुनर्वास नीति में संशोधन किए जाने का भी आग्रह किया है.

Last Updated : Mar 14, 2023, 6:00 PM IST
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