देहरादून: लखीमपुर खीरी में किसानों के हत्यारों को सजा दिलाने, तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने और सार्वजनिक संस्थानों के निजीकरण पर रोक लगाने समेत विभिन्न मांगों को लेकर संयुक्त ट्रेड यूनियन ने गांधी पार्क के बाहर धरना प्रदर्शन किया. इस दौरान यूनियन के प्रतिनिधियों से सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
इस प्रदर्शन में सीटू, इंटक, एटक, एक्टू से संबद्ध यूनियनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. सभी ने एक स्वर में लखीमपुर कांड की तीखी भर्त्सना की. इस मौके पर उत्तराखंड संयुक्त ट्रेड यूनियन संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री के साथ ही केंद्र सरकार को भी एक ज्ञापन प्रेषित किया. प्रदर्शन में शामिल भाकपा के राज्य सचिव समर भंडारी ने लखीमपुर कांड को शर्मसार करने वाली घटना करार दिया. उन्होंने कहा इसमें केंद्रीय राज्य मंत्री के बेटे का नाम आ रहा है, लेकिन अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है.
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उन्होंने कहा कि किसान बीते 10 माह से तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत हैं. कृषि कानून कॉर्पोरेटों हितों के लिए बनाए गए हैं, जो किसानों को तबाही की ओर धकेलेगा. इसके अलावा श्रमिकों के अधिकारों के लिए 40 श्रम कानूनों को भी समाप्त करके सरकार निजीकरण कर रही है. यह सार्वजनिक क्षेत्र की जनता के पैसों से बने हैं, लेकिन केंद्र सरकार इनको कॉर्पोरेट के हाथों बेच रही है. इन सभी से क्षुब्ध होकर पूरे देश में केंद्रीय श्रम संगठन अपना विरोध दर्ज करा रहा है.
उत्तराखंड संयुक्त ट्रेड यूनियन संघर्ष समिति ने कृषि कानूनों को वापस लेने, एमएसपी पर कानून बनाने, इलेक्ट्रिसिटी बिल 2020 वापस लेने, श्रम कानूनों में किए गए बदलाव को वापस लेने की मांग की है. साथ ही उन्होंने कहा कि श्रम कानूनों का सभी सरकारी और गैर सरकारी प्रतिष्ठानों में कड़ाई से पालन किया जाए. लखीमपुर खीरी में किसानों को कुचलने के मामले में केंद्रीय गृह मंत्री अजय मिश्रा और उसके पुत्र सतीश मिश्रा को गिरफ्तार किया जाए. उन्हें मंत्री पद से बर्खास्त किया जाए.