विकासनगर: उत्तराखंड में सशक्त भू-कानून और मूल निवास 1950 के साथ ही अब प्रदेश को केंद्र शासित राज्य का दर्जा देने की मांग भी उठने लगी है. जन संघर्ष मोर्चा ने उत्तराखंड प्रदेश को केंद्र शासित राज्य बनाने की मांग रखी है. अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि उत्तराखंड को माफिया और भ्रष्टाचारों से बचाने के लिए प्रदेश को केंद्र शासित राज्य बनाना जरूरी है. उत्तराखंड जैसे शांत प्रदेश में गैंगवार और दिनदहाड़े डकैती अच्छा संकेत नहीं है.
जन संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि उत्तराखंड का जनमानस अब जाग चुका है. जनता द्वारा मूल निवास और भू-कानून आदि मुद्दों पर संघर्ष किया जा रहा है और यह बहुत ही सराहनीय है. नेगी का कहना है कि इन तमाम मुद्दों से पहले प्रदेश को कम से कम 10 साल के लिए केंद्र शासित प्रदेश के रूप में स्थापित करने की लड़ाई लड़नी चाहिए. कुछ अदूरदर्शिता के कारण आज प्रदेश का जनमानस अपने आप को ठगा महसूस कर रहा है. केंद्र शासित प्रदेश होते ही प्रदेश में नेता बन बैठे दलाल, माफिया और ब्लैकमेलर पर लगाम लगेगी. आज स्थिति यह है कि ना नौकरी बची है और ना ही जमीन. सब भ्रष्टाचार और दलालों के माध्यम से हड़प लिए गए हैं.
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अध्यक्ष रघुनाथ नेगी ने कहा कि भू माफियाओं के कारण आज प्रदेश की जमीनें आसमान छू रही है. विभाजित उत्तर प्रदेश के समय जो काम 100 या 200 रुपए में आसानी से हो जाया करता था वही काम अब लाखों में भी नहीं हो रहा है. इस शांत प्रदेश को भ्रष्ट माफिया और दलालों के चुंगल से बचाने के लिए केंद्र शासित प्रदेश का होना बहुत जरूरी है. इससे जिन मुद्दों पर राज्य के मूल निवासी लड़ाई लड़ रहे हैं, वह समस्या स्वत: ही हल हो जाएगी.