ऋषिकेश: उत्तराखंड में संस्कृत भाषा के संरक्षण के लिए ऋषिकेश का जयराम आश्रम आगे आया है. किस प्रकार संस्कृत भाषा को संरक्षित किया जाए, इसके लिए आश्रम में एक दिवसीय संस्कृत संगोष्ठी का आयोजन किया गया.
जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में जयराम आश्रम के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने उत्तराखंड सरकार में संस्कृत शिक्षा विभाग के अपर सचिव रमेश कुमार, विशिष्ट अतिथि संयुक्त सचिव विरेंद्र पालम, निदेशक शिव प्रसाद खाली और श्रीमुनेश्वर वेदांत महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ जनार्दन कैरवान ने हिस्सा लिया.
कार्यक्रम में उपस्थित संस्कृत विद्यालय और योगा के छात्रों को संस्कृत भाषा के महत्व की जानकारी देकर जागरूक किया गया. बताया कि संस्कृत भाषा ही सभी भाषाओं की जननी है. वर्तमान समय में संस्कृत भाषा लगातार विलुप्त होती जा रही है, जो एक चिंता का विषय है. इसलिए सरकार को संस्कृत भाषा के संरक्षण और उत्थान के लिए उचित कदम उठाने की जरूरत है.
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ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने साफ कहा कि यदि सरकार चाहेगी तो वह आश्रम की ओर से भी हर संभव मदद देंगे. यही नहीं संस्कृत के उत्थान के लिए सरकार जितना बजट खर्च करेगी, उतना ही बजट जयराम आश्रम भी खर्च करने के लिए तैयार है. उत्तराखंड संस्कृत अकादमी के सचिव रमेश कुमार ने बताया कि बजट कम होने की वजह से ज्यादा कार्यक्रम नहीं किए जाते हैं. फिर भी विभाग की कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा संस्कृत का प्रचार प्रसार किया जाए.