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उत्तराखंड: 4G का नेटवर्क रोक पाने में नाकाम जेलों के जैमर, टेक्नोलॉजी ने खतरे में डाली सुरक्षा - 4जी नेटवर्क को रोकने में नाकाम जैमर

जेल में मोबाइल मिलने को लेकर यह सभी मामले साफ करते हैं कि जेलों के अंदर मोबाइलों का खूब प्रयोग हो रहा है. जेल प्रशासन मोबाइल को जेल में जाने के रोक नहीं पा रहा है. वहीं, दूसरी ओर जेल में ऐसी कोई टेक्नोलॉजी नहीं है. जिससे 4जी के नेटवर्क को जाम किया जा सके.

jail
जेलों की सुरक्षा
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Published : Dec 13, 2019, 9:07 PM IST

Updated : Dec 16, 2019, 7:33 PM IST

देहरादून: टेलीकॉम कंपनियों का 4जी गृह मंत्रालय के लिए सरदर्द बन गया है. हालात ये है कि देशभर की जेलों में 4G का दे दनादन इस्तेमाल हो रहा हैं, लेकिन पुलिस के पास इसका कोई तोड़ नहीं है. इस पर ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट...

टेक्नोलॉजी ने खतरे में डाली सुरक्षा

अकेले हरिद्वार जेल में ही पिछले कुछ समय के दौरान आधा दर्जन से ज्यादा मोबाइल पकड़े जा चुके हैं. यहीं हालात उत्तराखंड की बाकी जेलों के भी हैं. लेकिन यहां बात केवल उत्तराखंड की ही नहीं है. मसला देशभर में 4G नेटवर्क के बढ़ते उपयोग और फिलहाल इसका कोई तोड़ नहीं होने को लेकर है.

दरअसल, देशभर की एक भी जेल 4G नेटवर्क को बैन करने में सक्षम नहीं है. तिहाड़ जैसी मॉडर्न जेल को भी 4G नेटवर्क के लिहाज से सक्षम नहीं बनाया जा सका है. खास बात ये है कि उत्तराखंड की जेलों में जैमर लगाने के प्रस्ताव को स्वीकृति मिल चुकी है, लेकिन 4G के सामने फेल हो चुके जैमर महज पैसों की बर्बादी ही माने जा रहे हैं. खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी जैमर के फेल होने को लेकर चिंता जता रहे हैं.

पढ़ें- NGT के आदेश पर 10 साल पुराने वाहनों को लेकर फिर टला फैसला, RTA की बैठक स्थगित

देशभर की जेलों में कैदी मोबाइल से जरिए किसी से बात न करे सके इसलिए सुरक्षा की दृष्टि से जैल में जैमर लगाए जाते हैं. लेकिन ये जैमर मजह 3जी तकनीक को ही जैम कर सकते हैं. लेकिन जेल में कैदी 4जी नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे हैं. जिसे जेल का जैमर रोक पाने में असमर्थ है. प्रदेश सरकार ने केंद्र को 4जी नेटवर्क को रोकने के लिए नई तकनीक के जैमर उपलब्ध कराने के लिए प्रस्ताव भेजा है.

इस बारे में आईजी जेल पीवीके प्रसाद बताते हैं कि उत्तराखंड ही नहीं बल्कि देश की किसी भी जेल में 4जी नेटवर्क को रोकने कोई व्यवस्था नहीं है. जैमर की एक सीमित क्षमता होने के कारण पूरे जेल परिसर में भी 3जी के लिहाज से भी जैमर काम नहीं कर पा रहे हैं. वहीं, इस बारे में डीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार का कहना है कि जेल प्रशासन के पास अब एक ही विकल्प बचा है वो है किसी भी कीमत पर मोबाइल जेल में न जा सकें.

पढ़ें- ऋषिकेश में लगातार बारिश से सर्द हुआ मौसम, राजधानी में भी प्रशासन ने की अलाव व्यवस्था

जेलों में मोबाइल को लेकर इतनी चिंता क्यों की जा रही है यह जानना भी जरूरी है. जानें आखिर जेलों में क्यों मोबाइल बैन किया जाता है और इससे क्या खतरे होते हैं.

  • जेलों में मोबाइल के इस्तेमाल से कैदी आसानी से बाहर संपर्क कर पाते हैं.
  • मोबाइल के इस्तेमाल से कैदी आसानी से जेल में रहकर बाहर आपराध को अंजाम दे सकते है.
  • कैदियों द्वारा आपराधिक षड्यंत्र करने के साथ जेल की सुरक्षा को भी मोबाइल के उपयोग से खतरा बढ़ जाता है.

उत्तराखंड में जेलों की संख्या

  • उत्तराखंड में 11 जेल है. जिसमें 9 जिला जेल और दो उप कारागार हैं.
  • उत्तराखंड की जेलो में करीब 5500 कैदियों की सुरक्षा 4जी नेटवर्क के चलते खतरे में पड़ी है.

उत्तराखंड में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जब जेलों में कैदियों के पास मोबाइल मिले हैं.

  • 10 दिसंबर 2019 को हरिद्वार जेल से मोबाइल बरामद किया गया था. जेल के निरीक्षण के दौरान गैर इरादतन हत्या के सजायाफ्ता कैदी से मोबाइल मिला था.
  • 29 नवंबर 2019 को उत्तराखंड की रोशनाबाद जेल की बैरक के बाहर कूड़े के ढेर से मोबाइल बरामद हुआ था. जिस पर अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया गया.
  • 5 अक्टूबर 2019 को हरिद्वार जेल से पांच मोबाइल बरामद किए गए थे. जिसमें से दो मोबाइल गैंग लीडरशिप विक्रांत मलिक और तीन मोबाइल दूसरे कैदियों से बरामद हुए थे. खास बात यह है कि इन्हीं मोबाइल से एक ट्रैवल व्यवसाई से 20 लाख की रंगदारी मांगने की भी बात सामने आई थी.
  • अक्टूबर 2018 में हरिद्वार जेल में तीन मोबाइल मिले थे. यह मोबाइल सुनील राठी गैंग के गुर्गों से बरामद किए गए थे.
  • 4 मार्च 2018 को हत्या और मारपीट के मामले में सजायाफ्ता 2 कैदियों से मोबाइल बरामद हुए थे.
  • 5 जनवरी 2018 को नैनीताल जेल से छापेमारी में बैरक के शौचालय में मोबाइल मिला था.

जेल में मोबाइल मिलने को लेकर यह सभी मामले साफ करते हैं कि जेलों के अंदर मोबाइलों का खूब प्रयोग हो रहा है. जेल प्रशासन मोबाइल को जेल में जाने के रोक नहीं पा रहा है. वहीं, दूसरी और जेल में ऐसी कोई टेक्नोलॉजी नहीं है, जिससे 4जी के नेटवर्क को जाम किया जा सके. ऐसे में पुलिस और जेल प्रशासन के सामने बड़ी चुनौती है कि वे कैसे जेलों में मोबाइल के प्रयोग पर रोक लगाए.

देहरादून: टेलीकॉम कंपनियों का 4जी गृह मंत्रालय के लिए सरदर्द बन गया है. हालात ये है कि देशभर की जेलों में 4G का दे दनादन इस्तेमाल हो रहा हैं, लेकिन पुलिस के पास इसका कोई तोड़ नहीं है. इस पर ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट...

टेक्नोलॉजी ने खतरे में डाली सुरक्षा

अकेले हरिद्वार जेल में ही पिछले कुछ समय के दौरान आधा दर्जन से ज्यादा मोबाइल पकड़े जा चुके हैं. यहीं हालात उत्तराखंड की बाकी जेलों के भी हैं. लेकिन यहां बात केवल उत्तराखंड की ही नहीं है. मसला देशभर में 4G नेटवर्क के बढ़ते उपयोग और फिलहाल इसका कोई तोड़ नहीं होने को लेकर है.

दरअसल, देशभर की एक भी जेल 4G नेटवर्क को बैन करने में सक्षम नहीं है. तिहाड़ जैसी मॉडर्न जेल को भी 4G नेटवर्क के लिहाज से सक्षम नहीं बनाया जा सका है. खास बात ये है कि उत्तराखंड की जेलों में जैमर लगाने के प्रस्ताव को स्वीकृति मिल चुकी है, लेकिन 4G के सामने फेल हो चुके जैमर महज पैसों की बर्बादी ही माने जा रहे हैं. खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी जैमर के फेल होने को लेकर चिंता जता रहे हैं.

पढ़ें- NGT के आदेश पर 10 साल पुराने वाहनों को लेकर फिर टला फैसला, RTA की बैठक स्थगित

देशभर की जेलों में कैदी मोबाइल से जरिए किसी से बात न करे सके इसलिए सुरक्षा की दृष्टि से जैल में जैमर लगाए जाते हैं. लेकिन ये जैमर मजह 3जी तकनीक को ही जैम कर सकते हैं. लेकिन जेल में कैदी 4जी नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे हैं. जिसे जेल का जैमर रोक पाने में असमर्थ है. प्रदेश सरकार ने केंद्र को 4जी नेटवर्क को रोकने के लिए नई तकनीक के जैमर उपलब्ध कराने के लिए प्रस्ताव भेजा है.

इस बारे में आईजी जेल पीवीके प्रसाद बताते हैं कि उत्तराखंड ही नहीं बल्कि देश की किसी भी जेल में 4जी नेटवर्क को रोकने कोई व्यवस्था नहीं है. जैमर की एक सीमित क्षमता होने के कारण पूरे जेल परिसर में भी 3जी के लिहाज से भी जैमर काम नहीं कर पा रहे हैं. वहीं, इस बारे में डीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार का कहना है कि जेल प्रशासन के पास अब एक ही विकल्प बचा है वो है किसी भी कीमत पर मोबाइल जेल में न जा सकें.

पढ़ें- ऋषिकेश में लगातार बारिश से सर्द हुआ मौसम, राजधानी में भी प्रशासन ने की अलाव व्यवस्था

जेलों में मोबाइल को लेकर इतनी चिंता क्यों की जा रही है यह जानना भी जरूरी है. जानें आखिर जेलों में क्यों मोबाइल बैन किया जाता है और इससे क्या खतरे होते हैं.

  • जेलों में मोबाइल के इस्तेमाल से कैदी आसानी से बाहर संपर्क कर पाते हैं.
  • मोबाइल के इस्तेमाल से कैदी आसानी से जेल में रहकर बाहर आपराध को अंजाम दे सकते है.
  • कैदियों द्वारा आपराधिक षड्यंत्र करने के साथ जेल की सुरक्षा को भी मोबाइल के उपयोग से खतरा बढ़ जाता है.

उत्तराखंड में जेलों की संख्या

  • उत्तराखंड में 11 जेल है. जिसमें 9 जिला जेल और दो उप कारागार हैं.
  • उत्तराखंड की जेलो में करीब 5500 कैदियों की सुरक्षा 4जी नेटवर्क के चलते खतरे में पड़ी है.

उत्तराखंड में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जब जेलों में कैदियों के पास मोबाइल मिले हैं.

  • 10 दिसंबर 2019 को हरिद्वार जेल से मोबाइल बरामद किया गया था. जेल के निरीक्षण के दौरान गैर इरादतन हत्या के सजायाफ्ता कैदी से मोबाइल मिला था.
  • 29 नवंबर 2019 को उत्तराखंड की रोशनाबाद जेल की बैरक के बाहर कूड़े के ढेर से मोबाइल बरामद हुआ था. जिस पर अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया गया.
  • 5 अक्टूबर 2019 को हरिद्वार जेल से पांच मोबाइल बरामद किए गए थे. जिसमें से दो मोबाइल गैंग लीडरशिप विक्रांत मलिक और तीन मोबाइल दूसरे कैदियों से बरामद हुए थे. खास बात यह है कि इन्हीं मोबाइल से एक ट्रैवल व्यवसाई से 20 लाख की रंगदारी मांगने की भी बात सामने आई थी.
  • अक्टूबर 2018 में हरिद्वार जेल में तीन मोबाइल मिले थे. यह मोबाइल सुनील राठी गैंग के गुर्गों से बरामद किए गए थे.
  • 4 मार्च 2018 को हत्या और मारपीट के मामले में सजायाफ्ता 2 कैदियों से मोबाइल बरामद हुए थे.
  • 5 जनवरी 2018 को नैनीताल जेल से छापेमारी में बैरक के शौचालय में मोबाइल मिला था.

जेल में मोबाइल मिलने को लेकर यह सभी मामले साफ करते हैं कि जेलों के अंदर मोबाइलों का खूब प्रयोग हो रहा है. जेल प्रशासन मोबाइल को जेल में जाने के रोक नहीं पा रहा है. वहीं, दूसरी और जेल में ऐसी कोई टेक्नोलॉजी नहीं है, जिससे 4जी के नेटवर्क को जाम किया जा सके. ऐसे में पुलिस और जेल प्रशासन के सामने बड़ी चुनौती है कि वे कैसे जेलों में मोबाइल के प्रयोग पर रोक लगाए.

Intro:ready to air

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Summary-टेलीकॉम कंपनियों का 4G गृह मंत्रालय के लिए सरदर्द बन गया है..हालात ये है कि देशभर की जेलों में 4G का दे दनादन उपयोग हो रहा हैं..तो पुलिस महकमे के पास इसका कोई तोड़ नही है...etv bharat की super exclusive report...







Body:अकेले हरिद्वार जेल में ही पिछले कुछ समय के दौरान आधा दर्जन से ज्यादा मोबाइल पकड़े जा चुके हैं..यही हालात उत्तराखंड की बाकी तमाम जेलों के भी हैं..लेकिन यहां बात केवल उत्तराखंड की ही नहीं है..मसला देशभर में 4G के बढ़ते उपयोग और इसका फिलहाल कोई तोड़ नही होने को लेकर है.. दरअसल देशभर की एक भी जेल 4G नेटवर्क को बैन करने में सक्षम नही है.. तिहाड़ जैसी मॉर्डन जेल को भी 4G नेटवर्क के लिहाज से सक्षम नही बनाया जा सका है..खास बात ये है कि उत्तराखंड की जेलों के लिए तो जब लगाए जाने को लेकर प्रस्ताव जाने के बाद बजट तक पर स्वीकृति मिल चुकी है लेकिन 4G के सामने फेल हो चुके जैमर महज पैसों की बर्बादी ही माने जा रहे हैं...खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी जैमर के फेल होने को लेकर चिंता जता रहे हैं...


बाइट- त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री उत्तराखंड


देशभर में जेलो को कैदियों के कम्युनिकेशन के लिहाज से सुरक्षित बनाने के लिए जैमर लगाए जाते हैं...लेकिन ये जैमर मजह 3G तकनीक को ही जैम कर सकते हैं... लेकिन मौजूदा समय में कैदी 4G का इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे जैमर जेल के अंदर 4G नेटवर्क को नहीं रोक पा रहे.. हालांकि केंद्र सरकार को 4G नेटवर्क को रोकने के लिए नई तकनीक के जेवर उपलब्ध कराने के लिए प्रस्ताव भेजे गए हैं... उत्तराखंड के आईजी जेल पीवीके प्रसाद बताते हैं कि उत्तराखंड ही नहीं बल्कि देश भर में अब तक 4G के लिए किसी भी जेल में व्यवस्था नहीं की गई है... बताया जा रहा है कि जैमर की एक सीमित क्षमता होने के कारण जेल के समस्त परिसर में भी 3G के लिहाज से भी जैमर काम नहीं कर पा रहे हैं.. हालांकि कैदियों के इस्तेमाल करने के बाद अपराधी आसानी से जेल के अंदर मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर पा रहे हैं... डीजी कानून व्यवस्था बताते हैं कि जेल प्रशासन के पास अब महज मोबाइल अंदर ना पहुंच सके यही एकमात्र विकल्प बचा है...


बाईट-अशोक कुमार, डीजी कानून व्यवस्था 


जेलों में मोबाइल फोन को लेकर इतनी चिंता क्यों की जा रही है यह जानना भी जरूरी है... आइए आपको बताते हैं कि जेलों में क्यों मोबाइल फोन बैन किया जाता है और इससे क्या खतरे होते हैं...


जेलों में मोबाइल फोन के इस्तेमाल से कैदी आसानी से बाहर संपर्क कर पाते हैं


मोबाइल फोन के इस्तेमाल से ही कैदी बाहर अपराधों को अंजाम दे रहे हैं


कैदियों द्वारा आपराधिक षड्यंत्र करने के साथ जेल की सुरक्षा को भी मोबाइल फोन के उपयोग से खतरा बढ़ जाता है


उत्तराखंड में 11 जेल है जिसमें 9 जिला जेल और दो उप जेल है


उत्तराखंड की जेलो में करीब 5500 कैदियों की सुरक्षा 4G नेटवर्क के चलते खतरे में पड़ी है..


उत्तराखंड में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जब जेलों से मोबाइल फोन मिले हैं और इसका उपयोग रंगदारी और हत्या की अपराधिक षड्यंत्र तक के लिए किया गया है...


10 दिसंबर 2019 को हरिद्वार जेल से मोबाइल बरामद किया गया.. जेल के निरीक्षण के दौरान गैर इरादतन हत्या के सजायाफ्ता कैदी से मोबाइल मिला..


29 नवंबर 2019 को उत्तराखंड की रोशनाबाद जेल की बैरक के बाहर कूड़े के ढेर से मोबाइल बरामद हुआ जिस पर अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया गया।


5 अक्टूबर 2019 को हरिद्वार जेल से पांच मोबाइल बरामद किए गए जिसमें दो मोबाइल गैंग लीडरशिप विक्रांत मलिक और तीन मोबाइल दूसरे कैदियों से बरामद हुए.. खास बात यह है कि इन्हीं मोबाइल से एक ट्रैवल व्यवसाई से 20 लाख की रंगदारी मांगने की भी बात सामने आई थी।


अक्टूबर 2018 को हरिद्वार जेल में ही 3 मोबाइल मिले यह मोबाइल सुनील राठी गैंग के गुर्गो से बरामद किए गए


4 मार्च 2018 को हत्या और मारपीट के मामले में सजायाफ्ता 2 कैदियों से मोबाइल बरामद हुए


5 जनवरी 2018 को नैनीताल जेल से छापेमारी में बैरक के शौचालय में मोबाइल फोन मिला





Conclusion:जेल में मोबाइल फोन मिलने को लेकर यह सभी मामले साफ करते हैं कि जेलों के अंदर मोबाइलों का खूब प्रयोग हो रहा है और जेल प्रशासन मोबाइल जेलों में ले जाने से नहीं रोक पा रहा है.. जबकि आम 4G के इस्तेमाल ले यह भी साफ कर दिया है कि फिलहाल पुलिस के पास ऐसी कोई टेक्नोलॉजी नहीं होने जा रही है जिससे वह मोबाइल के नेटवर्क को जाम कर सके.. जरूरत है कि जेल प्रशासन और मुस्तैद हो और मोबाइल फ़ोन जेल परिसर के भीतर ले जाने पर पूरी तरह रोक लगाये।। 
Last Updated : Dec 16, 2019, 7:33 PM IST
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