देहरादून: यूं तो हर विधानसभा चुनाव के दौरान भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा होता है लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव (uttarakhand assembly election 2022) में यह मुद्दा राजनीतिक दलों से दूर होता दिखाई दे रहा है. बीजेपी 2017 के चुनाव में लोकायुक्त बनाने के वादे के बाद ही सत्ता में आई थी लेकिन साल 2022 में भाजपा ने इस मुद्दे से दूरी बना ली है. वहीं, कांग्रेस भी भ्रष्टाचार के मुद्दे को भुनाने में नाकाम दिखाई दी है.
विधानसभा चुनाव आते ही भ्रष्टाचार के मामले उजागर करना राजनीतिक पार्टियों का चलन रहा है लेकिन वर्तमान में दोनों ही राष्ट्रीय पार्टियां (बीजेपी और कांग्रेस) इस मुद्दे पर खुलकर बोलने से बचती दिखाई दे रही हैं. एक तरफ बीजेपी लोकायुक्त बनाने को लेकर बड़े-बड़े दावे करती रहीं, तो वहीं 5 साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद भी राज्य में सशक्त लोकायुक्त लागू करा पाने में नाकाम ही साबित हुई.
कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री मथुरा दत्त जोशी (mathura dutt joshi) ने बीजेपी सरकार पर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि घोषणापत्र का पहला बिंदु ही लोकायुक्त लागू करने का था लेकिन 5 साल का कार्यकाल बीत जाने के बाद भी बीजेपी सरकार ने कोई लोकायुक्त नहीं बनाया. वहीं, वर्तमान घोषणापत्र से तो बीजेपी ने लोकायुक्त का जिक्र ही हटा दिया है, जिससे पता लगता है कि राज्य की सरकार भ्रष्टाचार में लिप्त रही है. इसलिए लोकायुक्त को लेकर चर्चा से भी बच रही है.
उधर, बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता शादाब शम्स (BJP spokesperson Shadab Shams) ने कहा कि सरकार लोकायुक्त लाने को लेकर गंभीर है और इस पर काम किया जा रहा है. लिहाजा, कांग्रेस के नेताओं को भ्रष्टाचार जैसे बिंदुओं पर बोलने से बचना चाहिए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पहले ही भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाली पार्टी रही है. ऐसे में भ्रष्टाचार के नाम पर बातचीत करना उनके लिए बेमानी होगा.