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ऋषिकेश पहुंचा ईरानी जिज्ञासुओं का दल, चिदानंद सरस्वती से ईरान आने का निवेदन

ईरान से जिज्ञासुओं के दल ने परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती से मुलाकत की. उन्होंने चिदानंद से विनती की कि वे ईरान के धरती आकर योग और अध्यात्म का प्रकाश फैलाएं.

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ईरानी जिज्ञासु पहुंचे ऋषिकेश
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Published : Feb 25, 2020, 9:06 PM IST

ऋषिकेश: परमार्थ निकेतन में ईरान से जिज्ञासुओं का दल पहुंचा. इस दल के सदस्यों ने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती से मुलाकात किया. जिज्ञासुओं ने कहा कि वे ईरान की धरती पर आकर योग और अध्यात्म का प्रकाश फैलाएं. स्वामी चिदानंद ने ईरानी दल का निमंत्रण स्वीकार किया और कहा कि अगले साल वे अपनी टीम के साथ ईरान जाने का प्रयास करेंगे.

स्वामी चिदानंद सरस्वती ने ईरान से आए प्रतिनिधिमंडल से कहा कि ईरान में तेल के अपार भंडार हैं. जिससे ईरान ने अद्भुत प्रगति की है. उसी तरह से जल संरक्षण के क्षेत्र में भी उन्हें आगे आना चाहिए. हम सभी को जल के संरक्षण हेतू मिलकर कार्य करने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि केवल तेल से हमारा काम नहीं चलेगा. पर्याप्त जल का होना भी जीवन के लिये बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा कि सभी अपने टाइम, टैलेंट, टेक्नोलॉजी एवं टेनासिटी के साथ जल संरक्षण के लिए कार्य करें. आज समय आ गया है कि हम जल संरक्षण के माध्यम से अपनी भावी पीढ़ियों के लिये कुछ कर सकते हैं. जल संरक्षण के लिये स्वंय को जोड़ें और फिर जनमानस को भी इसके लिए जागृत करें.

ये भी पढ़ें: हरीश रावत ने बीजेपी सरकार पर बोला हमला, कहा- सरकार ने जनता को लूटने का किया काम

साथ ही उन्होंने वैश्विक स्तर पर बढ़ते सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग कम करने की बात कही. चिदानंद सरस्वती ने कहा कि हमें यूज एंड थ्रो कल्चर की नहीं, बल्कि री-यूज, रीडयूस और रिसाईकलिंग की संस्कृति को आत्मसात करना होगा. अब समय आ गया है कि हम इकोनॉमी और इकोलॉजी को साथ-साथ लेकर आगे बढ़ें.

ईरान से ऋषिकेश पहुंचे चांद्रा ने कहा कि परमार्थ निकेतन आकर जो सुकून और शांति मिलती है. वह अद्भुत है, उसका वर्णन अलौकिक है. हम जब भी परमार्थ निकेतन आते हैं और गंगा आरती में शामिल होते हैं, उसका एक अलौकिक आनन्द प्राप्त होता है.

ऋषिकेश: परमार्थ निकेतन में ईरान से जिज्ञासुओं का दल पहुंचा. इस दल के सदस्यों ने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती से मुलाकात किया. जिज्ञासुओं ने कहा कि वे ईरान की धरती पर आकर योग और अध्यात्म का प्रकाश फैलाएं. स्वामी चिदानंद ने ईरानी दल का निमंत्रण स्वीकार किया और कहा कि अगले साल वे अपनी टीम के साथ ईरान जाने का प्रयास करेंगे.

स्वामी चिदानंद सरस्वती ने ईरान से आए प्रतिनिधिमंडल से कहा कि ईरान में तेल के अपार भंडार हैं. जिससे ईरान ने अद्भुत प्रगति की है. उसी तरह से जल संरक्षण के क्षेत्र में भी उन्हें आगे आना चाहिए. हम सभी को जल के संरक्षण हेतू मिलकर कार्य करने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि केवल तेल से हमारा काम नहीं चलेगा. पर्याप्त जल का होना भी जीवन के लिये बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा कि सभी अपने टाइम, टैलेंट, टेक्नोलॉजी एवं टेनासिटी के साथ जल संरक्षण के लिए कार्य करें. आज समय आ गया है कि हम जल संरक्षण के माध्यम से अपनी भावी पीढ़ियों के लिये कुछ कर सकते हैं. जल संरक्षण के लिये स्वंय को जोड़ें और फिर जनमानस को भी इसके लिए जागृत करें.

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साथ ही उन्होंने वैश्विक स्तर पर बढ़ते सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग कम करने की बात कही. चिदानंद सरस्वती ने कहा कि हमें यूज एंड थ्रो कल्चर की नहीं, बल्कि री-यूज, रीडयूस और रिसाईकलिंग की संस्कृति को आत्मसात करना होगा. अब समय आ गया है कि हम इकोनॉमी और इकोलॉजी को साथ-साथ लेकर आगे बढ़ें.

ईरान से ऋषिकेश पहुंचे चांद्रा ने कहा कि परमार्थ निकेतन आकर जो सुकून और शांति मिलती है. वह अद्भुत है, उसका वर्णन अलौकिक है. हम जब भी परमार्थ निकेतन आते हैं और गंगा आरती में शामिल होते हैं, उसका एक अलौकिक आनन्द प्राप्त होता है.

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