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उत्तराखंड परिवहन निगम में डीजल घपला, प्रबंधन ने दिए जांच के आदेश - उत्तराखंड डीजल घोटाले में जांच के आदेश

सूत्रों के अनुसार इस साल की तेल खरीद और उपयोग की समीक्षा में पाया गया कि 35 हजार लीटर से ज्यादा डीजल का हिसाब नहीं मिल रहा है.

uttarakhand roadways diesel scam
उत्तराखंड परिवहन निगम
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Published : Nov 8, 2020, 10:03 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड परिवहन निगम के नैनीताल रीजन डीजल घपला सामने आने के बाद रोडवेज प्रबंधन ने मामले की जांच के आदेश दे दिए. साथ ही सभी डिपो से डीजल की मात्रा और अंतर की रिपोर्ट मांगी है.

मिली जानकारी के अनुसार वित्तीय वर्ष 2019-20 में करीब 26 लाख रुपए से अधिक का डीजल गायब हो गया है. यानी कुमाऊं के सात डिपो में छूट के बावजूद 37,317 लीटर तेल का हिसाब नहीं मिल रहा है. जिसका संज्ञान लेते हुए उत्तराखंड परिवहन निगम प्रबंधन ने न सिर्फ जांच के आदेश दे दिए हैं. बल्कि सात दिन के भीतर सभी डिपो से डीजल की मात्रा और अंतर की रिपोर्ट भी मांगी है.

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मार्च 2020 के रिकॉर्ड के तहत नैनीताल रीजन के अल्मोड़ा, रानीखेत, भवाली, काठगोदाम, हल्द्वानी, काशीपुर और रामनगर डिपो में इंडियन आयल और परिवहन निगम के आंकड़ों में 37,317 लीटर डीजल का फर्क आ रहा है.

पढ़ें- गैरसैंण में बड़ा इन्वेस्टमेंट लाने की तैयारी में सरकार, स्थायी राजधानी पर अब भी संशय बरकरार

बता दे कि नैनीताल डिपो में इंडियन आयल से डीजल की सप्लाई होता है, जहां से बाहरी डिपो की बसें भी तेल भरा सकती है. लेकिन इसका पूरा रिकॉर्ड रखना होता है. ताकि समीक्षा में रिपोर्ट दी जा सके. साथ ही हर साल डिपो के एआरएम को तेल खर्च का ब्योरा देना होता है. उसी आधार पर इंडियन आयल को भुगतान होता है.

इस मामले पर परिवहन निगम के संचालन महाप्रबंधक दीपक जैन ने बताया कि वाष्पीकरण के कारण भी डीजल की मात्रा कम होना स्वभाविक है, लेकिन नैनीताल रीजन में डीजल की मात्रा का अंतर काफी ज्यादा आया है. जिसके चलते जांच के आदेश दिए है और रिपोर्ट को अधिकतम एक हफ्ते में सौंपने को कहा गया हैं.

देहरादून: उत्तराखंड परिवहन निगम के नैनीताल रीजन डीजल घपला सामने आने के बाद रोडवेज प्रबंधन ने मामले की जांच के आदेश दे दिए. साथ ही सभी डिपो से डीजल की मात्रा और अंतर की रिपोर्ट मांगी है.

मिली जानकारी के अनुसार वित्तीय वर्ष 2019-20 में करीब 26 लाख रुपए से अधिक का डीजल गायब हो गया है. यानी कुमाऊं के सात डिपो में छूट के बावजूद 37,317 लीटर तेल का हिसाब नहीं मिल रहा है. जिसका संज्ञान लेते हुए उत्तराखंड परिवहन निगम प्रबंधन ने न सिर्फ जांच के आदेश दे दिए हैं. बल्कि सात दिन के भीतर सभी डिपो से डीजल की मात्रा और अंतर की रिपोर्ट भी मांगी है.

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मार्च 2020 के रिकॉर्ड के तहत नैनीताल रीजन के अल्मोड़ा, रानीखेत, भवाली, काठगोदाम, हल्द्वानी, काशीपुर और रामनगर डिपो में इंडियन आयल और परिवहन निगम के आंकड़ों में 37,317 लीटर डीजल का फर्क आ रहा है.

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बता दे कि नैनीताल डिपो में इंडियन आयल से डीजल की सप्लाई होता है, जहां से बाहरी डिपो की बसें भी तेल भरा सकती है. लेकिन इसका पूरा रिकॉर्ड रखना होता है. ताकि समीक्षा में रिपोर्ट दी जा सके. साथ ही हर साल डिपो के एआरएम को तेल खर्च का ब्योरा देना होता है. उसी आधार पर इंडियन आयल को भुगतान होता है.

इस मामले पर परिवहन निगम के संचालन महाप्रबंधक दीपक जैन ने बताया कि वाष्पीकरण के कारण भी डीजल की मात्रा कम होना स्वभाविक है, लेकिन नैनीताल रीजन में डीजल की मात्रा का अंतर काफी ज्यादा आया है. जिसके चलते जांच के आदेश दिए है और रिपोर्ट को अधिकतम एक हफ्ते में सौंपने को कहा गया हैं.

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