देहरादून: उत्तराखंड के सबसे बड़े छात्रवृत्ति घोटाले की जांच लगभग समाप्ति की तरफ है. ऐसे में दोनों एसआइटी जल्द ही अपनी रिपोर्ट शासन को भेज सकती है. हरिद्वार और देहरादून में हुए छात्रवृत्ति घोटाले में मंजूनाथ टीसी की अध्यक्षता में बनी एसआइटी जांच कर रही है. जांच के दौरान एसआइटी ने देहरादून और हरिद्वार के 74 कॉलेजों को दोषी पाते हुए मुकदमा दर्ज करते हुए 66 लोगों को गिरफ्तार किया है. इसके साथ ही एसआइटी ने पूरे मामले में समाज कल्याण विभाग के 6 अधिकारियों और कर्मचारियों को भी गिरफ्तार कर चुकी है.
हरिद्वार और देहरादून जिले में छात्रवृत्ति घोटाले की जांच इस सप्ताह खत्म हो जाएगी. जिसके बाद एसआइटी की टीम इन दोनों जिलों की रिपोर्ट शासन को सौंप देगी. वहीं, अन्य 11 जिले की जांच में समय लगता है. डीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार ने कहा कि समाज कल्याण के घोटाले की जांच के लिए गठित दो एसआइटी हरिद्वार और देहरादून में अपनी जांच लगभग खत्म कर चुकी है. पहली एसआइटी टीसी मंजूनाथ और दूसरी एसआइटी संजय गुंज्याल के नेतृत्व में जांच कर रही है. दोनों जिलों की जांच अंतिम चरण में है और इस सप्ताह में खत्म हो जाएगी. बाकी 11 जिलों की जांच में समय लगेगा.
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बता दें की 2017 में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने घोटाले की जांच के लिए एसआइटी बनाने का आदेश दिया था. सीएम के आदेश के एक साल बाद एसआइटी का गठन हुआ था. इस दौरान समाज कल्याण विभाग दस्तावेज देरी से देने की कोशिश में थी, जिसके बाद नैनीताल हाईकोर्ट की सख्ती के बाद एसआइटी हरकर में आई थी.
क्या है घोटाला
उत्तराखंड में साल 2010 से लेकर 2016 तक समाज कल्याण विभाग से SC/ST छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति में बड़े पैमाने पर घोटाला किया गया था. इस दौरान कॉलेजों की मिलीभगत से छात्रवृत्ति अपात्र लोगों को बांटी गई थी. इस फर्जीवाड़े में उत्तराखंड के अलावा अन्य राज्यों के भी कई शिक्षण संस्थान शामिल थे.
आरोप है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के कई शिक्षण संस्थानों ने छात्रवृत्ति के नाम पर करोड़ों से अधिक की रकम डकारी है. इस घोटाले की जांच दो एसआइटी कर रही हैं. अभी तक एसआइटी ने समाज कल्याण विभाग के 6 बड़े अफसरों सहित 100 से अधिक लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. इस घोटाले में उत्तराखंड के अलावा अन्य प्रदेशों के भी कई शिक्षण संस्थानों पर केस दर्ज किया जा चुका है.