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अमेरिका लड़की को इतनी भायी भारतीय संस्कृति की दिव्यता, मानव सेवा में तपा रही जीवन

साध्वी भगवती मूलरूप से अमेरिकन की रहने वाली हैं. लेकिन सन्यास धारण करने के बाद वह भारत में ही रहती हैं और भारतीय नागरिकता भी ले ली है. उनका कहना है कि उनका शरीर भले ही अमेरिकन हो लेकिन उनका दिल और मन पूर्ण रूप से हिंदुस्तानी है.

साध्वी भगवती से खास बातचीत.
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Published : Sep 5, 2019, 3:24 PM IST

Updated : Sep 5, 2019, 7:42 PM IST

ऋषिकेश: भारतीय संस्कृति और दर्शन हमेशा से पूरी दुनिया को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है. भारतीय संस्कृति और गंगा की दिव्यता से प्रभावित होकर अमेरिका की एक 25 वर्षीय लड़की को यहां रचने और बसने को मजबूर कर दिया. जो 23 साल से तीर्थनगरी के शांत आभा मंडल में आधात्म को महसूस कर रही हैं. साध्वी का जीवन जीते हुए वे रामझूला के परमार्थ निकेतन आश्रम में रहते हुए अपनी निरंतर सेवाएं दे रही हैं. साथ ही जन कल्याण के कार्यों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेकर अपने जीवन को सार्थक कर रही हैं.

साध्वी भगवती मूलरूप से अमेरिकन की रहने वाली हैं. लेकिन सन्यास धारण करने के बाद वह भारत में ही रहती हैं और भारतीय नागरिकता भी ले ली है. उनका कहना है कि उनका शरीर भले ही अमेरिकन हो लेकिन उनका दिल और मन पूर्ण रूप से हिंदुस्तानी है. उन्होंने बताया कि वह ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ते हुए ग्रेजुएशन हैं. ग्रेजुएशन करने के बाद अमेरिका के एक ग्रुप के साथ वह भारत घूमने के लिए आई थी.

घूमते हुए वे ऋषिकेश पहुंची जहां उन्होंने ऋषिकेश में परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद सरस्वती से मुलाकात हुई थी. जहां उन्होंने उनसे कई सवाल पूछे, वहीं गंगा आरती में शामिल होने के बाद शादी भगवती को गंगा की दिव्यता इतनी भायी की उन्होंने अपना सब कुछ त्याग कर यही रहने का मन बना लिया.

पढ़ें-ये है मास्टरजी का घर, यहां 700 रूपों में विराजते हैं गणपति बप्पा

25 साल की उम्र में ऋषिकेश पहुंची और साध्वी भगवती को यहां रहते हुए 23 वर्ष हो चुके हैं. वे 23 वर्षों से लगातार परमार्थ निकेतन आश्रम में रहकर एक साध्वी का जीवन यापन कर रही हैं और सभी को भारतीय संस्कृति से रूबरू करा रही हैं. साध्वी भगवती बताती है कि उनके परिवार में उनके माता और पिता हैं. हालांकि जब वे माता पिता को छोड़कर आ रही थी तो उनके भीतर छोड़ने का दु:ख भी था.

अमेरिका की इस लड़की को भायी भारतीय संस्कृति

लेकिन जिस ओर वे बढ़ना चाहती थी वह उससे अधिक ही महत्वपूर्ण लगा. वहीं उनके माता-पिता को भी काफी दु:ख हो रहा था क्योंकि साध्वी भगवती अपने माता-पिता की इकलौती पुत्री हैं. इनके अलावा उनकी कोई संतान नहीं है. हालांकि साध्वी भगवती के समझाने बुझाने पर माता-पिता मान गए. आज साध्वी भगवती भगवती पिछले 23 वर्षों से ऋषिकेश में रह रही हैं और उनका अपने परिवार से कोई भी मोह नहीं है. साध्वी भगवती बताती हैं कि जब यह पहली बार भारत आई तो उन्हें ऐसा लगा कि उनका यहां से पुराना नाता है.

यही कारण रहा कि उन्होंने भारत में रहने की ठानी और यहां की संस्कृति को बारीकी से जाना. साध्वी भगवती ने बताया कि उन्होंने 23 वर्षों से ऋषिकेश के गंगा किनारे पर रहते हुए उन्होंने जो कुछ भी अर्जित किया है अपने उस ज्ञान को एक बुक के माध्यम से लोगों तक पहुंचाता हैं. यही कारण है कि उन्होंने एक पुस्तक लिखी जिसका नाम "कम होम टू योरसेल्फ" है. इस पुस्तक में उन्होंने इंसानी जीवन के हर उस सवाल का जवाब देने का प्रयास किया है, जिसमें इंसान की पूरी जिंदगी बीत जाती है. उन्होंने आगे बताया कि इस पुस्तक को लिखने में उनको 2 वर्ष से भी अधिक का समय लगा है आज यह पुस्तक amazon स्टोर पर भी उपलब्ध है. वहीं इस पुस्तक को पब्लिश करने वाले कंपनी पेंगुइन आनंदा है.

पुस्तक के सभी इस समय यह बताने की कोशिश की गई है कि इंसान के जीवन में क्या कुछ महत्वपूर्ण है उसका मन क्या सोचता है उसके जीवन का उद्देश्य क्या है उसकी भावनाएं कितनी है चाहे अपने माता-पिता के प्रति हो चरण भाई-बहन के प्रति हो मित्रों के प्रति हो भावनाएं किस तरह की होती हैं. किस तरह उन को सोचना चाहिए. वहीं आध्यात्मिक रूप से यह जीवन कैसा दिखता है.

आध्यात्मिक क्या है इन सभी विषयों पर एक बारीकी से इस पुस्तक में शामिल किया गया है. साध्वी भगवती ने भारतीय दर्शन को अपने में उतार लिया है. आज वे हिन्दी में ही लोगों से वार्तालाब करती हैं. उन्होंने बताया कि अपने आने वाले जीवन को भी वे इसी तरह से लोगों मैं समर्पित रखेंगी और सेवा भाव से लगातार लोगों की सेवा करते हुए अध्यात्म का ज्ञान बांटेंगी.

ऋषिकेश: भारतीय संस्कृति और दर्शन हमेशा से पूरी दुनिया को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है. भारतीय संस्कृति और गंगा की दिव्यता से प्रभावित होकर अमेरिका की एक 25 वर्षीय लड़की को यहां रचने और बसने को मजबूर कर दिया. जो 23 साल से तीर्थनगरी के शांत आभा मंडल में आधात्म को महसूस कर रही हैं. साध्वी का जीवन जीते हुए वे रामझूला के परमार्थ निकेतन आश्रम में रहते हुए अपनी निरंतर सेवाएं दे रही हैं. साथ ही जन कल्याण के कार्यों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेकर अपने जीवन को सार्थक कर रही हैं.

साध्वी भगवती मूलरूप से अमेरिकन की रहने वाली हैं. लेकिन सन्यास धारण करने के बाद वह भारत में ही रहती हैं और भारतीय नागरिकता भी ले ली है. उनका कहना है कि उनका शरीर भले ही अमेरिकन हो लेकिन उनका दिल और मन पूर्ण रूप से हिंदुस्तानी है. उन्होंने बताया कि वह ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ते हुए ग्रेजुएशन हैं. ग्रेजुएशन करने के बाद अमेरिका के एक ग्रुप के साथ वह भारत घूमने के लिए आई थी.

घूमते हुए वे ऋषिकेश पहुंची जहां उन्होंने ऋषिकेश में परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद सरस्वती से मुलाकात हुई थी. जहां उन्होंने उनसे कई सवाल पूछे, वहीं गंगा आरती में शामिल होने के बाद शादी भगवती को गंगा की दिव्यता इतनी भायी की उन्होंने अपना सब कुछ त्याग कर यही रहने का मन बना लिया.

पढ़ें-ये है मास्टरजी का घर, यहां 700 रूपों में विराजते हैं गणपति बप्पा

25 साल की उम्र में ऋषिकेश पहुंची और साध्वी भगवती को यहां रहते हुए 23 वर्ष हो चुके हैं. वे 23 वर्षों से लगातार परमार्थ निकेतन आश्रम में रहकर एक साध्वी का जीवन यापन कर रही हैं और सभी को भारतीय संस्कृति से रूबरू करा रही हैं. साध्वी भगवती बताती है कि उनके परिवार में उनके माता और पिता हैं. हालांकि जब वे माता पिता को छोड़कर आ रही थी तो उनके भीतर छोड़ने का दु:ख भी था.

अमेरिका की इस लड़की को भायी भारतीय संस्कृति

लेकिन जिस ओर वे बढ़ना चाहती थी वह उससे अधिक ही महत्वपूर्ण लगा. वहीं उनके माता-पिता को भी काफी दु:ख हो रहा था क्योंकि साध्वी भगवती अपने माता-पिता की इकलौती पुत्री हैं. इनके अलावा उनकी कोई संतान नहीं है. हालांकि साध्वी भगवती के समझाने बुझाने पर माता-पिता मान गए. आज साध्वी भगवती भगवती पिछले 23 वर्षों से ऋषिकेश में रह रही हैं और उनका अपने परिवार से कोई भी मोह नहीं है. साध्वी भगवती बताती हैं कि जब यह पहली बार भारत आई तो उन्हें ऐसा लगा कि उनका यहां से पुराना नाता है.

यही कारण रहा कि उन्होंने भारत में रहने की ठानी और यहां की संस्कृति को बारीकी से जाना. साध्वी भगवती ने बताया कि उन्होंने 23 वर्षों से ऋषिकेश के गंगा किनारे पर रहते हुए उन्होंने जो कुछ भी अर्जित किया है अपने उस ज्ञान को एक बुक के माध्यम से लोगों तक पहुंचाता हैं. यही कारण है कि उन्होंने एक पुस्तक लिखी जिसका नाम "कम होम टू योरसेल्फ" है. इस पुस्तक में उन्होंने इंसानी जीवन के हर उस सवाल का जवाब देने का प्रयास किया है, जिसमें इंसान की पूरी जिंदगी बीत जाती है. उन्होंने आगे बताया कि इस पुस्तक को लिखने में उनको 2 वर्ष से भी अधिक का समय लगा है आज यह पुस्तक amazon स्टोर पर भी उपलब्ध है. वहीं इस पुस्तक को पब्लिश करने वाले कंपनी पेंगुइन आनंदा है.

पुस्तक के सभी इस समय यह बताने की कोशिश की गई है कि इंसान के जीवन में क्या कुछ महत्वपूर्ण है उसका मन क्या सोचता है उसके जीवन का उद्देश्य क्या है उसकी भावनाएं कितनी है चाहे अपने माता-पिता के प्रति हो चरण भाई-बहन के प्रति हो मित्रों के प्रति हो भावनाएं किस तरह की होती हैं. किस तरह उन को सोचना चाहिए. वहीं आध्यात्मिक रूप से यह जीवन कैसा दिखता है.

आध्यात्मिक क्या है इन सभी विषयों पर एक बारीकी से इस पुस्तक में शामिल किया गया है. साध्वी भगवती ने भारतीय दर्शन को अपने में उतार लिया है. आज वे हिन्दी में ही लोगों से वार्तालाब करती हैं. उन्होंने बताया कि अपने आने वाले जीवन को भी वे इसी तरह से लोगों मैं समर्पित रखेंगी और सेवा भाव से लगातार लोगों की सेवा करते हुए अध्यात्म का ज्ञान बांटेंगी.

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ऋषिकेश-- भारतीय संस्कृति और गंगा की दिव्यता से प्रभावित होकर अमेरिका में ऐसो आराम की जिंदगी को त्याग कर 25 वर्ष की आयु में ऋषिकेश पहुंची थी साध्वी भगवती, शादी भगवती को यह देश और यहां कि संस्कृति इतनी भाई कि उन्होंने सब कुछ त्याग कर ऋषिकेश में रहना ही ठीक समझा 23 वर्षों से लगातार साध्वी जीवन जीते हुए राम झूला के परमार्थ निकेतन आश्रम में रहते हुए अपनी सेवाएं दे रही हैं, आइए हम आपको बताते हैं कि आखिर साध्वी भगवती कौन है और उन्होंने क्या कुछ किया है--


Body:वी/ओ-- साध्वी भगवती जो कि एक अमेरिकन महिला है लेकिन सन्यास धारण करने के बाद वह भारत में ही रहती हैं और भारतीय नागरिकता भी ले ली है उनका कहना है कि उनका शरीर भले ही अमेरिकन हो लेकिन उनका दिल उनका मन पूर्ण रूप से हिंदुस्तानी है उन्होंने बताया कि वह ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ते हुए ग्रेजुएशन किया है ग्रेजुएशन करने के बाद अमेरिका के एक ग्रुप के साथ वह भारत घूमने के लिए आई थी घूमते हुए वे ऋषिकेश पहुंची जहां उन्होंने ऋषिकेश में परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद सरस्वती से मुलाकात हुई जहां उन्होंने उनसे कई सवाल पूछे वही गंगा आरती में शामिल होने के बाद शादी भगवती को गंगा की दिव्यता इतनी भाई कि उन्होंने अपना सब कुछ त्याग कर यही रहने का मन बनाया 25 साल की उम्र में ऋषिकेश पहुंची साध्वी भगवती को आज यहां रहते हुए 23 वर्ष हो चुके हैं वे 23 वर्षों से लगातार परमार्थ निकेतन आश्रम में रहकर एक साध्वी जीवन यापन कर रही हैं और सभी को भारतीय संस्कृति के बारे में बता रहीं हैं।

साध्वी भगवती बताती है कि उनके परिवार में उनके माता और पिता हैं हालांकि जब हुए अपने माता पिता को छोड़कर आ रही थी तो उनके भीतर छोड़ने का एक दुख था लेकिन जिस और वह बढ़ना चाहती थी वह उससे अधिक ही महत्वपूर्ण लगा वही उनके माता-पिता को भी काफी दुख हो रहा था क्योंकि साध्वी भगवती अपने माता-पिता की इकलौती पुत्री है इनके अलावा उनकी कोई संतान नहीं है, हालांकि साध्वी भगवती के समझाने बुझाने के बाद माता-पिता ने दी उनको आजादी से अपना जीवन जीने के लिए छोड़ दिया आज शादी भगवती पिछले 23 वर्षों से ऋषिकेश में रह रही हैं और उनका अपने परिवार से कोई भी मोह नहीं है, शादी भगवती बताती हैं कि जब यह पहली बार भारत आई तुमको ऐसा लगा कि वह पहली बार रही बल्कि भारत सुन का पुराना नाता है यही कारण रहा कि उन्होंने भारत में रहने की ठानी और यहां की संस्कृति को बारीकी से जाना।


साध्वी भगवती ने बताया कि उन्होंने 23 वर्षों से ऋषिकेश के गंगा किनारे पर रहते हुए उन्होंने जो कुछ भी अर्जित किया है अपने उस ज्ञान को एक बुक के माध्यम से लोगों तक पहुंचाई जाए यही कारण है कि उन्होंने एक पुस्तक लिखी जिसका नाम "कम होम टू योरसेल्फ" है इस पुस्तक में उन्होंने इंसानी जीवन के हर उस सवाल का जवाब देने का प्रयास किया है जिसमें इंसान की पूरी जिंदगी बीत जाती है शादी भगवती ने बताया कि इस पुस्तक को लिखने में उनको 2 वर्ष से भी अधिक का समय लगा है आज यह पुस्तक amazon-in स्टोर पर भी मिल रही है वही इस पुस्तक को पब्लिश करने वाले कंपनी पेंगुइन आनंदा है यह भी बताया जाता है कि यह पब्लिक कंपनी किसी भी अरे गैरों बुक को पब्लिश नहीं करती है अगर इस बुक को इस कंपनी ने पब्लिश किया है तो कहीं न कहीं इसमें बहुत ही बड़ी सच्चाई है।


साध्वी भगवती के द्वारा लिखी गई पुस्तक में कंटेंट्स जो दिए गए हैं उनमें मुख्य चार ऐसे चैप्टर हैं जो इंसान की जीवन से सीधे जुड़े हुए हैं इंसान का पूरा जीवन इसी में बीत जाता है जैसे कि
1- जीवन का उद्देश्य,
2-मन
3-हमारी भावनाएं
4-आध्यात्मिक रूप से हमारा जीवन भर।
पुस्तक के सभी इस समय यह बताने की कोशिश की गई है कि इंसान के जीवन में क्या कुछ महत्वपूर्ण है उसका मन क्या सोचता है उसके जीवन का उद्देश्य क्या है उसकी भावनाएं कितनी है चाहे अपने माता-पिता के प्रति हो चरण भाई-बहन के प्रति हो मित्रों के प्रति हो भावनाएं किस तरह की होती हैं किस तरह उन को सोचना चाहिए वही आध्यात्मिक रूप से यह जीवन कैसा दिखता है आध्यात्मिक क्या है इन सभी विषयों पर एक बारीकी से लिख लिखी गई है जो कि इस पुस्तक में शामिल है,

साध्वी भगवती बताती हैं कि वह इस पुस्तक को ज्यादा से ज्यादा शेयर करेंगी और इसको लेकर मिलने वाले फीडबैक के बाद जो भी इंसान के भीतर और भी प्रश्न पैदा होंगे उनको एकत्रित किया जाएगा और उन प्रश्नों के उत्तर के साथ "कम होम टू योरसेल्फ" पुस्तक वॉल्यूम टू को भी सभी के सामने लाया जाएगा।




Conclusion:वी/ओ-- भारत आने के बाद भारत के संस्कृति भारत की बोली भाषा को भी शादी भगवती ने अपने अंदर उतार लिया है और से बहुत ही साफ हिंदी बोलती हैं सिर्फ हिंदी ही नहीं बल्कि संस्कृत में श्लोक भी उनको कंठस्थ याद है और वह संस्कृति बोलती हैं उन्हें बताया कि भारत आने के बाद हिंदी भाषा को लेकर थोड़ी कठिनाई तो हुई लेकिन उन्होंने डेढ़ से 2 वर्षों में हिंदी पर एक अच्छी पकड़ बनाई और वह हिंदी बोलने लगी साथ ही उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा एक ऐसी भाषा है जो सभी भाषाओं से अलग है और इस भाषा में एक अलग ही अपनापन नजर आता है इसलिए आज अंग्रेजी का अनुवाद तो हो सकता है लेकिन हिंदी का अनुवाद नहीं हो सकता उन्होंने बताया कि अपने आने वाले जीवन को भी वे इसी तरह से लोगों मैं समर्पित रखेंगी और सेवा भाव से लगातार लोगों की सेवा करते हुए अध्यात्म का ज्ञान बांटेगी।

वन टू वन--साध्वी भगवती
Last Updated : Sep 5, 2019, 7:42 PM IST
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