देहरादूनः महिला सरोकारों पर एक और कार्यक्रम के रूप में दून विश्वविद्यालय 25 और 26 नवंबर को भारतीय नारी एक सत्य आधारित दृष्टिकोण (सही नजरिया) विषय पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन कर रहा है. एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय मुंबई और संवर्धिनी न्यास दिल्ली की सहभागिता से हो रहे इस आयोजन का उद्घाटन उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह करेंगे.
समापन सत्र के मुख्य अतिथि महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी होंगे. इस आयोजन में चार कुलपतियों समेत देश के कई विद्वान प्रोफेसर दो दिन तक महिलाओं से जुड़े विभिन्न विषयों पर मंथन करेंगे. दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल ने बताया कि इस आयोजन के पीछे एक लंबी तैयारी और गहरा सरोकार है. 2019 में देश की 75 हजार महिलाओं पर किए गए सर्वे का निष्कर्ष इसकी पृष्ठभूमि में है. हम पाठ्यक्रम में जो पढ़ते-पढ़ाते हैं, उसके इतर भी महिलाओं का सत्य है. विविधता वाले भारतीय समाज में महिलाओं की सहभागिता और सोच बहुत बेहतर और उस पाश्चात्य सोच से अलग है, जो कहती है कि मातृत्व का महिमामंडन महिला को कमजोर करना है.
उन्होंने बताया कि आयोजन में भारतीय नारीत्व के वैशिष्ठ्य, क्षमताओं, संभावनाओं और चुनौतियों पर विमर्श होगा. महिला आर्थिक सशक्तिकरण, निर्णय दक्षता, महिला और पर्यावरण, महिला शिक्षा और आत्मसम्मान, मीडिया और महिला, महिला और पर्यावरण, परिवार और मातृत्व, लड़कियां और लड़कपन, धर्मधारणा और लोक संस्कृति के परिप्रेक्ष्य में महिला आदि कई आयामों के साथ इस संगोष्ठी में कई सत्र होंगे.
संवर्धिनी न्यास की संयोजक सचिव माधुरी मराठे ने नारित्व के भारतीय रूप को परिभाषित कर सर्वे के दौरान अपने अनुभव बताए. देश के सबसे पुराने महिला विश्वविद्यालय एसएनडीटी की कुलपति प्रो. उज्ज्वला चक्रदेव और एनएएसी की उप सलाहकार लीला गहाने ने ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रतिभाग कर महिलाओं के सत्य आधारित दृष्टिकोण पर अपनी बात रखी. जिस पर यह आयोजन हो रहा है. सेमिनार के पहले सत्र के वक्ताओं में एसएनडीटी विश्वविद्यालय की कुलपति डॉक्टर उज्ज्वला चक्रदेव, यूकोस्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत, राष्ट्र सेवा समिति की प्रमुख संचालिका शांता अक्का, नॉक की उप सलाहकार डॉ. लीना गहाने शामिल रहीं.