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अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस: ऑनलाइन क्लास से पूरी तरह बदला पढ़ाई का तरीका - उत्तराखंड की साक्षरता दर

कोरोना काल में ऑनलाइन क्लास ही बच्चों की पढ़ाई के लिए सबसे बेहतर विकल्प बनकर सामने आया है. वर्तमान में प्रदेश भर में राजकीय और शासकीय विद्यालयों के 23 लाख बच्चे ऑनलाइन क्लासेस के जरिए पढ़ाई कर रहे हैं.

उत्तराखंड
अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस
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Published : Sep 8, 2020, 4:03 AM IST

देहरादून: यूनेस्को की पहल पर साल 1966 से हर साल विश्वभर में 8 सितंबर का दिन 'अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस' के तौर पर मनाया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य लोगों को शिक्षा और साक्षरता के महत्व के विषय में जागरूक करना है. साथ ही साथ इस बात पर भी गंभीरता से विचार विमर्श करना है कि किस तरह साक्षरता को और बेहतर बनाया जाए.

ऐसे में अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के मौके पर ईटीवी भारत आपका ध्यान कोरोना संकट काल में देश के साथ ही प्रदेश में प्रचलित हुई ऑनलाइन क्लासेस की ओर ले जा रहा है. बता दें कि हर क्षेत्र की तरह कोरोना संकट काल का असर शिक्षा जगत पर भी पड़ा है. जहां पहले क्लास रूम में पढ़ाई हुआ करती थी. वहीं, अब डिजिटल मीडिया के माध्यम से ऑनलाइन क्लासेस का दौर जारी है.

ऑनलाइन क्लास से पूरी तरह बदला पढ़ाई का तरीका.

ये भी पढ़े: हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक विकसित करने वाला चौथा देश बना भारत

ईटीवी भारत से बात करते हुए शिक्षा निदेशक आरके कुंवर ने बताया कि कोरोना काल में ऑनलाइन क्लासेस ही बच्चों की पढ़ाई के लिए सबसे बेहतर विकल्प है. वर्तमान में प्रदेश भर में राजकीय और शासकीय विद्यालयों के 23 लाख बच्चे ऑनलाइन क्लासेस की माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं. हालांकि, प्रदेश की विषम भौगोलिक स्थितियों की वजह से कई जगहों पर नेटवर्क की समस्या है, जिसे देखते हुए राज्य सरकार आकाशवाणी के माध्यम से भी बच्चों के लिए ऑनलाइन क्लासेस चला रही है.

साल 2011 में हुए जनगणना के आधार पर उत्तराखंड की साक्षरता दर 78.8% है. इसमें 87.4 % पुरुष और 70.0 % महिलाएं शिक्षित हैं.

जिला का नामसाक्षरता दर
उधमसिंह नगर73.1%
देहरादून 84.2 %
हरिद्वार 73.4 %
नैनीताल 83.9 %
पौड़ी 82.0%
अल्मोड़ा 80.5%
टिहरी 76.4%
पिथौरागढ़ 82.2%
चमोली 82.7%
उत्तरकाशी 75.8%
बागेश्वर 80.0%
चम्पावत 79.8%
रुद्रप्रयाग 81.3%

एक तरफ कोरोना काल में ऑनलाइन क्लासेस काफी ज्यादा प्रचलन में आ चुकी है. वहीं, दूसरी तरफ मनोचिकित्सक ऑनलाइन क्लासेस के चलते बच्चों की सेहत पर पड़ रहे असर को लेकर चिंतित हैं. राजधानी देहरादून की जानी-मानी मनोचिकित्सक डॉक्टर स्वाति मिश्रा के मुताबिक ऑनलाइन क्लासेस की वजह से आज बच्चों का ज्यादातर समय स्मार्टफोन या लैपटॉप के साथ बीत रहा है. जिसका सीधा असर उनकी आंखों पर पड़ रहा है.

वहीं, दूसरी तरफ बच्चों की फिजिकल एक्टिविटीज कोरोना की वजह से पूरी तरह से बंद हो चुकी है. जिसकी वजह से बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर गहरा असर पड़ रहा है. ऐसे में जरूरत है कि अभिभावक अपने बच्चों के दिनचर्या में योगा या व्यायाम को जरूर शामिल करें, जिससे बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में संतुलन बना रहेगा.

ऑनलाइन क्लासेस को लेकर वरिष्ठ स्तंभकार सुशील कुमार सिंह कहते हैं कि साक्षरता का मतलब सिर्फ किताबी ज्ञान तक ही सीमित नहीं है, बल्कि साक्षरता किसी भी तरह के ज्ञान को कहा जाता है. ऐसे में जिस तरह वर्तमान में ऑनलाइन क्लासेस का दौर जारी है. इससे भी छात्रों को बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है. किताबी ज्ञान के साथ ही ऑनलाइन क्लासेज के माध्यम से छात्रों में टेक्निकल ज्ञान का भी संचार हो रहा है.

देहरादून: यूनेस्को की पहल पर साल 1966 से हर साल विश्वभर में 8 सितंबर का दिन 'अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस' के तौर पर मनाया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य लोगों को शिक्षा और साक्षरता के महत्व के विषय में जागरूक करना है. साथ ही साथ इस बात पर भी गंभीरता से विचार विमर्श करना है कि किस तरह साक्षरता को और बेहतर बनाया जाए.

ऐसे में अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के मौके पर ईटीवी भारत आपका ध्यान कोरोना संकट काल में देश के साथ ही प्रदेश में प्रचलित हुई ऑनलाइन क्लासेस की ओर ले जा रहा है. बता दें कि हर क्षेत्र की तरह कोरोना संकट काल का असर शिक्षा जगत पर भी पड़ा है. जहां पहले क्लास रूम में पढ़ाई हुआ करती थी. वहीं, अब डिजिटल मीडिया के माध्यम से ऑनलाइन क्लासेस का दौर जारी है.

ऑनलाइन क्लास से पूरी तरह बदला पढ़ाई का तरीका.

ये भी पढ़े: हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक विकसित करने वाला चौथा देश बना भारत

ईटीवी भारत से बात करते हुए शिक्षा निदेशक आरके कुंवर ने बताया कि कोरोना काल में ऑनलाइन क्लासेस ही बच्चों की पढ़ाई के लिए सबसे बेहतर विकल्प है. वर्तमान में प्रदेश भर में राजकीय और शासकीय विद्यालयों के 23 लाख बच्चे ऑनलाइन क्लासेस की माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं. हालांकि, प्रदेश की विषम भौगोलिक स्थितियों की वजह से कई जगहों पर नेटवर्क की समस्या है, जिसे देखते हुए राज्य सरकार आकाशवाणी के माध्यम से भी बच्चों के लिए ऑनलाइन क्लासेस चला रही है.

साल 2011 में हुए जनगणना के आधार पर उत्तराखंड की साक्षरता दर 78.8% है. इसमें 87.4 % पुरुष और 70.0 % महिलाएं शिक्षित हैं.

जिला का नामसाक्षरता दर
उधमसिंह नगर73.1%
देहरादून 84.2 %
हरिद्वार 73.4 %
नैनीताल 83.9 %
पौड़ी 82.0%
अल्मोड़ा 80.5%
टिहरी 76.4%
पिथौरागढ़ 82.2%
चमोली 82.7%
उत्तरकाशी 75.8%
बागेश्वर 80.0%
चम्पावत 79.8%
रुद्रप्रयाग 81.3%

एक तरफ कोरोना काल में ऑनलाइन क्लासेस काफी ज्यादा प्रचलन में आ चुकी है. वहीं, दूसरी तरफ मनोचिकित्सक ऑनलाइन क्लासेस के चलते बच्चों की सेहत पर पड़ रहे असर को लेकर चिंतित हैं. राजधानी देहरादून की जानी-मानी मनोचिकित्सक डॉक्टर स्वाति मिश्रा के मुताबिक ऑनलाइन क्लासेस की वजह से आज बच्चों का ज्यादातर समय स्मार्टफोन या लैपटॉप के साथ बीत रहा है. जिसका सीधा असर उनकी आंखों पर पड़ रहा है.

वहीं, दूसरी तरफ बच्चों की फिजिकल एक्टिविटीज कोरोना की वजह से पूरी तरह से बंद हो चुकी है. जिसकी वजह से बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर गहरा असर पड़ रहा है. ऐसे में जरूरत है कि अभिभावक अपने बच्चों के दिनचर्या में योगा या व्यायाम को जरूर शामिल करें, जिससे बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में संतुलन बना रहेगा.

ऑनलाइन क्लासेस को लेकर वरिष्ठ स्तंभकार सुशील कुमार सिंह कहते हैं कि साक्षरता का मतलब सिर्फ किताबी ज्ञान तक ही सीमित नहीं है, बल्कि साक्षरता किसी भी तरह के ज्ञान को कहा जाता है. ऐसे में जिस तरह वर्तमान में ऑनलाइन क्लासेस का दौर जारी है. इससे भी छात्रों को बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है. किताबी ज्ञान के साथ ही ऑनलाइन क्लासेज के माध्यम से छात्रों में टेक्निकल ज्ञान का भी संचार हो रहा है.

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